For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल........122, 122, 122, 122

 

तुम्हारी  कसम  बेसहारा  नहीं हूँ.

महज़ इक गज़ल हित आवारा नहीं हूँ.

 

सँवारे ज़मी आस्माँ चाँद तारें

वही इक जुगनू बेचारा नहीं हूँ.

 

गली घाट घर गाँव सबका सहारा

सजग कौम कुत्ता दुलारा नहीं हूँ.

 

लगी आग महलों दुमहलों में जब भी

बुझाया हमेशा लुकारा नहीं हूँ.

 

सकल जीव मे आत्मा एक सत्यम

सदा सच कहूं इक तुम्हारा नहीं हूँ.

 

के0पी0 सत्यम / मौलिक व अप्रकाशित

 

Views: 381

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मनोज अहसास on August 20, 2015 at 11:53pm
बहुत बधाई सर
आपका गहन चिंतन शब्दों में समाहित नहीं हो पाया ऐसा मुझे लग रहा है
बात बहुत बड़ी रही है और शब्द समेटने का प्रयास कर रहे
बहुत बहुत बधाई
सादर

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 20, 2015 at 11:12pm

ग़ज़ल का अभ्यास अच्छा लगा केवल प्रसादजी. आपकी ग़ज़ल पर बहुत ही सार्थक टिप्पणी आ. मिथिलेश भाई ने की है. आप लाभ ले सकते हैं.

शुभेच्छाएँ

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on August 5, 2015 at 7:36pm

इस प्रस्तुति पर बधाई आ० बड़े भाई केवल जी! बाकि बातें आदरणीय मिथलेश सर ने कह ही दी हैं!

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 5, 2015 at 6:44pm

आ0 वामनकर भाईजी,  सादर प्रणाम!  अगर आप बह्र के दृष्टि से देख रहे हैं,  तो सही है. है.कुत्ता और लुकारा भी  सही है. हां, यदि कहन की दृष्टि से कुछ गुंजायिश है तो वह आप सुधीजनो के हवाले मैं सदा ही सीखने को तत्पर हूं.  आपका तहेदिल से शुक्रिया, आभार. सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 5, 2015 at 11:43am

आदरणीय केवल जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं.

आपकी बेहतरीन रचनाये पढ़ी है इसलिए इन कारणों से अशआर के मिसरा-ए-सानी से संतुष्ट नहीं हो पा रहा हूँ.

महज़ इक गज़ल हित आवारा नहीं हूँ........... बह्र के हवाले से 

वही इक जुगनू बेचारा नहीं हूँ...................बह्र के हवाले से 

सजग कौम कुत्ता दुलारा नहीं हूँ..................कुत्ता के प्रयोग से 

बुझाया हमेशा लुकारा नहीं हूँ................लुकारा के प्रयोग से 

हो सकता है मेरी समझ का फेर हो. पुनः बधाई ....सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service