For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक ग़ज़ल - सुलभ अग्निहोत्री

सुरभि की छाँव में आकर हुआ दरपन सहज कायल
तुम्हारा रूप बादल सा इबादत की तरह निर्मल

नहाकर ओस से निकली प्रकृति की नायिका तड़के
उषा की बाँह फैलाये विमोहित रवि हुआ चंचल

न दो व्यवधान अलियों को उन्हें करने निवेदन दो
सुवासित प्रीति का उपवन, समर्पण के खिले शतदल

समूचा सींच डाला मन, बदन, अस्तित्व रिमझिम ने
तुम्हारी याद सावन सी बरसती हर घड़ी, हर पल

नदी की धार पर लिक्खा किसी ने गीत प्राणों का
बहा जब मन तरल होकर, लहर भी हो उठी विव्हल

नज़र की अंजुरियाँ भर-भर के अक्षय कोष लूटा है
बहारों बाँट दूँ हिस्सा, बिछाओ तो जरा आंचल

निगाहों ने लिखे मधुमास, इतराने लगा मौसम
समीरण ने पढ़ी पाती, हवा ने बाँध ली पायल


मौलिक एवं अप्रकाशित

-------- सुलभ अग्निहोत्री

Views: 625

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sulabh Agnihotri on August 5, 2015 at 11:28am

बहुत-बहुत आभार आदरणीय दिनेश कुमार जी ! मातृभूमि के साथ-साथ मातृभाषा का भी ऋण है हमारे ऊपर, फिर जितनी सहज अभिव्यक्ति अपनी भाषा में संभव है उतनी ....

Comment by Sulabh Agnihotri on August 5, 2015 at 11:26am

बहुत-बहुत आभार आदरणीय krishna mishra 'jaan'gorakhpuri जी !

Comment by Sulabh Agnihotri on August 5, 2015 at 11:26am

बहुत-बहुत आभार आदरणीय Mohan Sethi 'इंतज़ार' जी !

Comment by Sulabh Agnihotri on August 5, 2015 at 11:25am

बहुत-बहुत आभार आदरणीय Saurabh Pandey जी ! ... आपकी ही प्रेरणा का सुफल है।

Comment by दिनेश कुमार on August 5, 2015 at 4:15am
आदरणीय सुलभ अग्निहोत्री जी, लाजवाब ग़ज़ल कही है। हिन्दी के शब्दों का प्रयोग चमत्कृत करता है। उच्च कोटि के विचार और बेहतरीन कहन है। इसके अलावा और क्या कहे कोई, वाह वाह वाह।
Comment by shree suneel on August 5, 2015 at 1:31am
आदरणीय सुलभ अग्निहोत्री जी, क्या कहने इस प्रस्तुति के... बहुत सुन्दर... मनमोहक... मन में उतरती...
'निगाहों ने लिखे मधुमास, इतराने लगा मौसम
समीरण ने पढ़ी पाती, हवा ने बाँध ली पायल... बहुत प्यारा.
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on August 4, 2015 at 7:50pm

नदी की धार पर लिक्खा किसी ने गीत प्राणों का
बहा जब मन तरल होकर, लहर भी हो उठी विव्हल

लाजव़ाब!हर शेर बेहतरीन! हार्दिक बधाई आ० सुलभ जी!

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on August 4, 2015 at 5:23pm

आदरणीय Sulabh Agnihotri जी बहुत लाजवाब शेर ....बधाई स्वीकार करें 

नहाकर ओस से निकली प्रकृति की नायिका तड़के
उषा की बाँह फैलाये विमोहित रवि हुआ चंचल


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 4, 2015 at 4:18pm

नज़र की अंजुरियाँ भर-भर के अक्षय कोष लूटा है
बहारों बाँट दूँ हिस्सा, बिछाओ तो जरा आंचल

हम पाठक प्रतीक्षित ’बहार’ हुए आपसे अपने हिस्से की आशा में बैठे ही हुए हैं. आपकी ग़ज़लों का हार्दिक स्वागत है, आदरणीय सुलभजी. 

हार्दिक बधाइयाँ और अशेष शुभकामनाएँ..

सादर

Comment by Sulabh Agnihotri on August 4, 2015 at 3:53pm

बहुत-बहुत आभार आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी। समर्थ लोगों की तारीफ उत्साहित करती है। बहरों का जहां तक सवाल हैं मैं तो बस रुक्न जानता हूं और उन रुक्नों को जिस क्रम में भी लगा कर गुनगुना सकता हूं वही मेरे लिए बहर है। ये इतने कठिन नाम तो मुझे याद होने से रहे, मैं तो चैपाइई आदि को भी बहर मान कर लिख डालता हूं।
एक बार पुनः आभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"ग़ज़ल — 212 1222 212 1222....वक्त के फिसलने में देर कितनी लगती हैबर्फ के पिघलने में देर कितनी…"
40 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"शुक्रिया आदरणीय, माजरत चाहूँगा मैं इस चर्चा नहीं बल्कि आपकी पिछली सारी चर्चाओं  के हवाले से कह…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
2 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
8 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
15 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
15 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
15 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
15 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
15 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service