For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चौराहे-चौपाल हर जगह मिलते हैं बौराए लोग --- सुलभ अग्निहोत्री

चौराहे-चौपाल हर जगह मिलते हैं बौराये लोग
हमसे, तुमसे, इससे, उससे, सबसे आजिज आये लोग

बड़ी दिलेरी दिखलाते थे बिला वजह हर मौके पर
वक्त पड़ा तो सबसे पहले भागे पूँछ दबाये लोग

भाई का कंधा भी अपने कंधे से उठता देखा
कैसे उसके कद को छांटें, सोच-सोच पगलाये लोग

नुक्कड़-नुक्कड़ ढोल पीटते अपने सूरज होने का
सूरज जब निकला तो बरबस चुंधियाये अँधराये लोग

खुद ही तमगे गढ़े टांककर खुद ही अपने सीने पर
अपने चारण बने आप ही अपने पर इतराये लोग

.. सुलभ अग्निहोत्री

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 645

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sulabh Agnihotri on November 23, 2014 at 10:50am

बहुत-बहुत आभार आदरणीय योगराज जी !
गुणीजनों की अनुशंसा आल्हादित करती है, साथ ही सार्थक दिशा-निर्देश भी देती है।
आपने मेरी सभी प्रस्तुतियों को समय दिया इससे और संबल मिला - पुनः आभार!


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 3, 2014 at 4:09pm

//भाई का कंधा भी अपने कंधे से उठता देखा
कैसे उसके कद को छांटें, सोच-सोच पगलाये लोग//

बहुत खूब आ० सुलभ अग्निहोत्री जी.

Comment by Sulabh Agnihotri on October 16, 2014 at 1:26pm

बहुत-बहुत आभार आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी !

Comment by Sulabh Agnihotri on October 16, 2014 at 1:26pm

बहुत-बहुत आभार भाई  Ram Awadh VIshwakarma जी !

Comment by Sulabh Agnihotri on October 16, 2014 at 1:25pm

बहुत-बहुत आभार भाई  जितेन्द्र 'गीत' जी !

Comment by Sulabh Agnihotri on October 16, 2014 at 1:25pm

बहुत-बहुत आभार आदरणीय Dr. Vijai Shanker जी !

Comment by Sulabh Agnihotri on October 16, 2014 at 1:24pm

बहुत-बहुत आभार आदरणीया rajesh kumari  जी !

Comment by Sulabh Agnihotri on October 16, 2014 at 1:23pm

बहुत-बहुत आभार भाई  narendrasinh chauhan जी !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 10, 2014 at 4:37pm

सुलभ जी

बहुत उम्दा i

नुक्कड़-नुक्कड़ ढोल पीटते अपने सूरज होने का
सूरज जब निकला तो बरबस चुंधियाये अँधराये लोग

खुद ही तमगे गढ़े टांककर खुद ही अपने सीने पर
अपने चारण बने आप ही अपने पर इतराये लोग

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on October 8, 2014 at 2:28pm

लाजबाब गजल बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
3 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
11 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
11 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service