सर्द रात में कोहरे को चीरती हुईं कई गाड़ियाँ, आपस में बतियाती हुयीं शहरों की झुग्गियों में कुछ ढूँढ रहीं थी तभी अचानक !
“अबे गाड़ी रोक, बॉस का फ़ोन आ रहा है I”
ड्राईवर ने कस कर ब्रेक दबा दिया और धमाके के साथ “जी, साहब , कहते ही आदमी फ़ोन सहित गाडी के बाहर I”
“अबे ! यह धमाका कैसा सुनाई दिया, जिन्दा हो या फ्री में खर्च हो गए ?”
“नहीं जनाब, सब ठीक है, लगभग सब काम हो गया है, सारे छुटभैये नेता खरीद लिए हैं!” “अल्लाह ने चाहा तो…
ContinueAdded by Hari Prakash Dubey on July 11, 2017 at 12:51am — 10 Comments
“खाना लगा दूं ! लेफ्टिनेंट साहब ?”
“अभी नहीं ! रूक जा जरा, बस यह चित्र पूरा ही होने वाला है, तब तक जरा एक पैग बना ला ‘ऑन द रोक्स’ I”
“क्या साब, आज दिन में ही...?”
“हूँ ! ... बेटा, एक काम कर सारे खिड़की दरवाजे बंद कर दे और लाइट्स जला दे I”
थापा ने ठीक वैसा ही किया, पैग बना लाया और बोला, “लीजिये साब, हो गयी रात I”
लेफ्टिनेंट साहब अपनी बैसाखी के सहारे मुस्कराते हुए आगे बढे, गिलास पकड़ लिया और बोले…
ContinueAdded by Hari Prakash Dubey on July 10, 2017 at 10:47pm — 5 Comments
Added by khursheed khairadi on July 10, 2017 at 9:00pm — 15 Comments
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 10, 2017 at 5:00pm — 9 Comments
Added by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on July 10, 2017 at 12:00pm — 10 Comments
2122 2122 212
वो हमारा आइना हो जाएगा ।
सच कहूँ दिल का खुदा हो जाएगा ।
हैं विचाराधीन सारे जुर्म क्यों ।
वह इलेक्शन में खड़ा हो जाएगा ।।
देखना तुम भी इसी बाजार में ।
सच भी कोई मकबरा हो जाएगा ।।
फैसले होंगे उसी के हक़ में अब ।
हाकिमों से मशबरा हो जाएगा ।।
इस सियासत में कोई जल्लाद भी ।
जिंदगी का रहनुमा हो जाएगा ।।
फिर कहर ढाने लगा है वह शबाब ।
हुस्न पर कोई फ़ना हो जाएगा ।।
शरबती आंखों की हरकत…
Added by Naveen Mani Tripathi on July 10, 2017 at 10:00am — 8 Comments
Added by Samar kabeer on July 10, 2017 at 12:31am — 26 Comments
Added by रामबली गुप्ता on July 9, 2017 at 10:30pm — 14 Comments
Added by Mohammed Arif on July 9, 2017 at 7:00pm — 12 Comments
Added by Hariom Shrivastava on July 9, 2017 at 6:34pm — 5 Comments
Added by नाथ सोनांचली on July 9, 2017 at 6:11pm — 18 Comments
चलो
जिन्दगी को
ज़रा करीब से देखें
दर्द को ज़रा
महसूस करके देखें
क्या खबर
कोई लम्हा
अपना सा मिल जाए कहीं
चलो
उस लम्हे को
जरा जी कर देखें//
जिन चेहरों पे हंसी
बाद मुद्दत के आई है
जिन आँखों में
अब सिर्फ और सिर्फ तन्हाई है
जिस आंगन में
धूप अब भी
सहमी सहमी आती है
उस आंगन के
प्यासे रिश्तों से
जरा रूबरू होकर देखें
चलो!
जिन्दगी को
जरा जी कर देखें//
हमारे अहसास
किसी…
Added by Sushil Sarna on July 9, 2017 at 4:30pm — 10 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on July 9, 2017 at 10:50am — 5 Comments
Added by Barkha Shukla on July 9, 2017 at 9:09am — 12 Comments
Added by Hariom Shrivastava on July 8, 2017 at 11:46pm — 7 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on July 8, 2017 at 11:27pm — 9 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on July 8, 2017 at 11:27pm — No Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on July 8, 2017 at 8:00pm — 4 Comments
१२२२ १२२२ १२२२ १२२२
कहीं मलबा कहीं पत्थर कहीं मकड़ी के हैं जाले
कहानी गाँव की कहते घरों के आज ये ताले
किया बर्बाद मौसम ने छुड़ाया गाँव घर आँगन
यहाँ दिन रात रिसते हैं दिलों में गम के ये छाले
भटकते शह्र में फिरते मिले दो वक्त की रोटी
सिसकते गाँव के चूल्हे तड़पते दीप के आले*
कहाँ संगीत झरनों के परिंदों की कहाँ चहकन
निकलते अब पहाड़ों के सुरों से दर्द के नाले
लुटा…
ContinueAdded by rajesh kumari on July 8, 2017 at 6:30pm — 13 Comments
१२२ १ २२ १२२ १२
समंदर मिलेगा नदी तो बनो
मिलेगा खुदा आदमी तो बनो
अँधेरा मिटेगा अभी के अभी
जलो तुम जरा रौशनी तो बनो
तुम्हें भी मिलेगी ख़ुशी एक दिन
कभी तुम किसी की ख़ुशी तो बनो
करो गर मुहब्बत तो ऐसे करो
किसी की कभी जिंदगी तो बनो
जो भी चाहिए दूसरों से तुम्हें
खुदा के लिए तुम वही तो बनो
नीरज कुमार नीर
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Added by Neeraj Neer on July 8, 2017 at 3:34pm — 5 Comments
2025
2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
2011
2010
1999
1970
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
Switch to the Mobile Optimized View
© 2025 Created by Admin.
Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |