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अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी
  • Male
  • बाग़पत, उत्तर प्रदेश.
  • India
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अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"मुहतरम समर कबीर साहिब आदाब, इस शानदार मुबारकबाद के लिए तह-ए-दिल से शुक्रिया, उम्दा ग़ज़ल हुई है, बहुत शुक्रिया और मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये।"
Apr 4
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"//मैं इस चर्चा नहीं बल्कि आपकी पिछली सारी चर्चाओं के हवाले से कह रहा हूँ, आपके तर्कों में विरोधाभास है। समय आने पर बात स्पष्ट करूँगा।// आदरणीय, यदि किसी विषय पर हुई सार्थक चर्चा के निष्कर्ष को स्वीकार  करना 'तर्कों में विरोधाभास' है…"
Mar 29
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।"
Mar 29
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय ज़ैफ़ जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Mar 29
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। भाई-चारा का सही वज़्न 22 22 है। मैंने मात्रा पतन के साथ 2121 पर बाँधा है। "
Mar 29
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Mar 29
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जी, ऐसा करना मुनासिब होगा। "
Mar 29
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, आपकी इस इज़्ज़त अफ़ज़ाई के लिए आपका शुक्रगुज़ार रहूँगा। "
Mar 29
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों सहीह हैं। पर दूसरे वाले में लयात्मकता ज़्यादा है।// अपने मिसरे पर ग़ौर फ़रमाएँ...  212 1222 212 1222 "क्या पिघल न जाते तुम, मोम गर जो होते…"
Mar 29
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
Mar 29
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता हूँ। "गिर के फिर सँभलने में देर कितनी लगती है".... ये मिसरा मेरी ग़ज़ल में पहले ही आ चुका है। :-)) "
Mar 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी ने बेहतर इस्लाह फ़रमाई है, आपने भी अच्छा परिमार्जन किया है, पुन:बधाई। "
Mar 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय अमित जी की इस्लाह क़ाबिल ए ग़ौर है। शिकस्त-ए-नारवा पर बहुत उपयोगी जानकारी शेयर की है। "
Mar 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Mar 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"//मशाल शब्द के प्रयोग को लेकर आश्वस्त नहीं हूँ। इसे आपने 121 के वज्न में बांधा है। जहाँ तक मैं जानता हूँ, सही शब्द मशअल और वज्न 22 है// आदरणीय शिज्जु शकूर जी आदाब, मशाल शब्द को अमित जी ने बिल्कुल सहीह नज़्म किया है, सहीह…"
Mar 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Mar 28

Profile Information

Gender
Male
City State
BAGHPAT , UTTAR PRADESH.
Native Place
BARAUT
Profession
Private job
About me
उर्दु शायरी हिन्दी में लिखने और पढ़ने का शौक़ है॥

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's Blog

ग़ज़ल (महब्बतों से बने रिश्ते यूँ बिखरने लगे)

1212 - 1122 - 1212 - 112/22

महब्बतों से बने रिश्ते यूँ बिखरने लगे 

मुझी से कट के मेरे मेह्रबाँ गुज़रने लगे

*

मशाल इल्म की फिर से बुझा गया कोई 

फ़सादी सारे जिहालत में रक़्स करने लगे

अवाम जिनको समझती रही भले किरदार 

मुखौटे उन के भी चेहरों से अब उतरने लगे

ख़ुलूस और महब्बत के पैरोकार भी अब

धरम के नाम पे आपस में वार करने लगे 

*

सिला ये हमको मिला उन से दिल लगाने का

जुनून-ए-इश्क़ में हर…

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Posted on August 18, 2023 at 8:31am — 4 Comments

ग़ैर मुरद्दफ़ ग़ज़ल (उम्र मिरी यूँ रही गुज़र)

22 - 22 - 22 - 2

उम्र मिरी यूँ रही गुज़र

कोई परिंदा ज्यूँ बे-पर

तपती रेत के सहरा में 

ढूंढ रहा हूँ आब-गुज़र 

हद्द-ए-नज़र वीराना है 

कोई साया है न शजर

ग़म के लुक़्मे खाकर मैं 

पी लेता हूँ अश्क गुहर

ढूँड रहा हूँ ख़ुद को ही 

बेकल दिल बेताब नज़र 

जूँ-जूँ रात गुज़रती है 

दूर हुई जाती है सहर 

तन्हा और बेबस हूँ मैं 

देख मुझे भी एक…

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Posted on July 13, 2023 at 11:52pm — 2 Comments

नज़्म - चाट

221 - 2122 - 221 - 2122 

आया है चाट वाला ले कर गली में ठेला

आते ही लग गया है बच्चों का जैसे मेला 

अम्मा से पैसे लेके दौड़ी जो बिटिया रानी 

सुनकर ही आ गया है चच्ची के मुँह में पानी

भाभी भी हो रहीं ख़ुश भय्या मँगा रहे हैं 

खाते नहीं मगर वो सबको खिला रहे हैं 

टन-टन तवा बजाता कर्छी से चाट वाला

कहता है आओ बाजी आओ जी मेरी ख़ाला

गर्मा-गरम पकौड़े चटनी है खट्टी-मीठी 

रगड़ा-मसाला खा के मुँह से…

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Posted on July 6, 2023 at 8:53pm — 4 Comments

ग़ज़ल (जाँ फिर से नुमूदार न हों ग़म के निशाँ और)

2211 -2211 -2211 -22

जाँ फिर से नुमूदार न हों ग़म के निशाँ और 

आ चल कि चलें ढूँडें कोई ऐसा जहाँ और 

दुनिया का सफ़र मुझ पे गिराँ होने लगा है

कहती है मेरी तब्अ' कि ठहरूँ न यहाँ और 

आते हैं नज़र फिर से मुझे पस्ती के इम्कान 

लगता है कि बाक़ी हैं अभी संग-ए-गिराँ और

 

भड़की हुई आतिश न बुझे ख़ून-ए-जिगर से 

इस इश्क़ के दरिया में जले आब-रसाँ और

अब सहरा की लहरें नज़र आती हैं…

Continue

Posted on June 29, 2023 at 7:18pm

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At 6:21pm on March 9, 2020, Samar kabeer said…

जनाब अमीरुद्दीन साहिब,ओबीओ पर आपका स्वागत है,मैं हर ख़िदमत के लिए हाज़िर हूँ ।

 
 
 

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