For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

All Blog Posts (19,137)

हिन्दी भाषा-1

जिनकी मातृ भाषा हिन्दी है वे हिन्दी का कितना प्रयोग करते हैं। यह सोचनीय है लेकिन एक अच्छी बात यह है हिन्दी बोलने वालों की,, कि वे दूसरी भाषाओं को आसानी से प्रयोग करने का प्रयास करते हैं और यही कारण है कि हिन्दी का प्रयोग भी बढता जा रहा है। यह सत्य उस तरह से है जैसे कोई दूसरे से अच्छा व्यवहार करता है तो सामने वाला भी उससे उतना ही अच्छा व्यवहार करता है।



उदहारण…
Continue

Added by सूबे सिंह सुजान on November 24, 2012 at 10:10pm — 2 Comments

छोटी छोटी खुशी कहीं गम ना दे जाये ।

छोटी छोटी खुशी कहीं गम ना दे जाये ।
पटाखों के ढेर में कोई बम ना दे जाये ।

कैसे यकीन करें जब यकीन नहीं होता,
झोली में रकम कभी कम ना दे जाये ।

कड़कती धूप में छाँव प्यारा लगता है ,
दरखत की शाख कहीं धम ना दे जाये ।

नम आखों देखते हैं जलता आशियाना,
दूसरों की आह बेबस रहम ना दे जाये ।

गिरते गिरते बचते ठोकर लगने के बाद ,
वर्मा संभलते कहीं निकला दम ना दे जाये ।

.
श्याम नारायण वर्मा

Added by Shyam Narain Verma on November 24, 2012 at 12:30pm — 3 Comments

बदल गयी तरकीब

काकी आई शहर से, सुनो शहर का हाल,

फ़ार्म हाउस बन रहे, धनवानों की चाल ।



धनवानों की चाल है, खेती का क्या काम

बचजाये बस आयकर,ये ही उनका काम ।



फार्म हाउस में हो रहे, कैसे कैसे काम,

नेता बने किसान है, छलक रहे है जाम ।



किसान खेतहीन हुए, जमींदार सब नाथ,

बँट में खेत जोत रहे, घरवाली के साथ ।



घरवाली को साथ ले, खेतो में जुट जाय,

दुपहरी की रोटी भी, छाँव तले ही खाय ।



जनता के इस राज में, बदल गयी तरकीब,

नेता सब मालिक बने, देखा… Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 24, 2012 at 10:00am — 13 Comments

गीत: हर सड़क के किनारे --संजीव 'सलिल'

गीत:

हर सड़क के किनारे

संजीव 'सलिल'

*

हर सड़क के किनारे हैं उखड़े हुए,

धूसरित धूल में, अश्रु लिथड़े हुए.....

*

कुछ जवां, कुछ हसीं, हँस मटकते हुए,

नाज़नीनों के नखरे लचकते हुए।

कहकहे गूँजते, पीर-दुःख भूलते-

दिलफरेबी लटें, पग थिरकते हुए।।



बेतहाशा खुशी, मुक्त मति चंचला,

गति नियंत्रित नहीं, दिग्भ्रमित मनचला।

कीमती थे वसन किन्तु चिथड़े हुए-

हर सड़क के किनारे हैं उखड़े हुए,

धूसरित धूल में, अश्रु लिथड़े हुए.....

*

चाह की रैलियाँ,…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on November 24, 2012 at 8:16am — 9 Comments

चुगली

चुगली





कमजोरी की निशानी है,

कामचोरी की पहचान है,

कटुता,द्वेष छिपे हैं इसमें,

स्वार्थ की बहन है चुगली ।



अपने दोषों को छिपाकर,

बनावटीपन व्यवहार लाकर,

दूसरों को नीचा दिखाने का,

एक तरीका है, चुगली ।



बिना मेहनत फल की इच्छा का,

दूसरों की मेहनत का फल खाने का,

कायरता के साथ वीरता दिखाने का,

एक डरपोक का साहसी गुण है चुगली ।



विश्वासघात का प्रतीक है चुगली,

अतिमहत्वाकांक्षा का रूप है चुगली,

झूठा वफ़ादार बनने के…

Continue

Added by akhilesh mishra on November 24, 2012 at 6:00am — 4 Comments

मत्तगयन्द सवैया

वो नर नाहिं रहे डरते डरते सबसे नित आप हि हारे।
पामर भाँति चले चरता पशु भी अपमान सदा कर डारे।
मानव जो जिए गौरव से अपनी करनी करते हुए सारे।
जीवन हैं कहते जिसको बसता हिय में निजमान किनारे॥

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 23, 2012 at 9:34pm — 6 Comments

कसाब की फाँसी

कसाब की फाँसी  

पूरा देश खुशी मनाया,

कसाब की फाँसी पर,

ऐसा लगा मानो कोई बड़ा काम हुआ,

अधर्म पर धर्म की जीत हुयी,

किसी कमजोर ने बहादुरी का काम किया,

कंजूस ने महँगा आयोजन किया ।

 

खुशी की यह बात नहीं,शहीदों को याद करो,

यह बहुत पहले होना था,

खुशी तो तब मनाना,

जब अफ़ज़ल ,सईद फाँसी पर लटके,

हिंदुस्तान ताकत…

Continue

Added by akhilesh mishra on November 23, 2012 at 3:00pm — 8 Comments

वीरेंद्र सहवाग को 100 टेस्ट क्लब में शामिल होने पर बधाई - विधाता (शुद्धगा) छंद पर आधारित

महाराजा, जहाँ चाहे, वहाँ आज्ञा, चलाता है।

खिलाड़ी है, बड़ा वीरू, सदा बल्ला, बताता है।

कभी चौका, कभी छक्का, लगा सौ ये, बनाता है।

मिला मौका, कि गेंदों से, करामातें, दिखाता है॥

किसी के भी, इलाके में, सिंहों जैसा, सही वीरू।

सभी ताले, किले सारे, गिरा देता, यही वीरू।

बिना देरी, विरोधी को, पछाड़े जो, वही वीरू।

डरे-भागे, कभी कोई,…

Continue

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 23, 2012 at 2:30pm — 10 Comments

मुकरियां (एक प्रयास)

वह अरूप सबके मन भाए
सुध-बुध सबके वह बिसराए
चारू चरण पावन सुखधाम…
Continue

Added by राजेश 'मृदु' on November 23, 2012 at 1:30pm — 12 Comments

पल्लम पेल -ठल्लम ठेल

देश में चल रही रेस 
जो जीता,नायक उसका-
बना नरेश,
जो हारा झटके से 
उसको लगती भारी ठेस ।
नेताओ ने बदला भेष, 
शेर की खाल में-
देखो गीदड़ की चेस ।
हावी हो रहे हैवान,
बढ़ते जा रहे शैतान ; 
जनता सब है हैरान,
नहीं रहे अब कद्रदान…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 23, 2012 at 1:08pm — 12 Comments

काश की इस दश्त में ऐसा रिवाज़ हो !

ग़ालिब-ओ- मीर हो या फैज़-ओ-फ़राज़ हो 

हर जगह शायरी का तख़्त-ओ-ताज हो 



जब दवा हो जाए नाकाम दोस्तों 

तब ग़ज़ल से ही गम का इलाज़ हो 



हो कलम हाथों में और मिटे खंजर 

काश की इस दश्त में ऐसा रिवाज़ हो !



आज लम्हों को जियो दिलनवाज़ी से 

क्या पता कल वक़्त का कैसा मिज़ाज हो 



अब कोई तर्क-ए-वफ़ा, न करें साहब 

न कोई भी पर्दा हो ,न कोई राज़ हो 



ये आरज़ू थी कि जो कब से नहीं…
Continue

Added by Nilansh on November 23, 2012 at 12:31pm — 10 Comments


सदस्य कार्यकारिणी
तरसते अम्बर धरती (कुण्डलिया छंद )

धरती अम्बर से कहे ,सुना प्रेम के गीत 

अम्बर धरती से कहे, दिवस गए वो बीत 

दिवस गए वो बीत ,मुझे कुछ दे न दिखाई 

 कोलाहल के  बीच,तुझे  देगा न सुनाई 

जन करनी के  दंड, अभागिन प्रकृति भरती   

किस विध मिलना होय ,तरसते अम्बर धरती

*******************************************

Added by rajesh kumari on November 23, 2012 at 12:30pm — 17 Comments

शौहर की मैं गुलाम हूँ बहुत खूब बहुत खूब

 stock photo : Portrait of a cute young woman Saudi Arabian stock photo : Beautiful brunette portrait with traditionl costume. Indian style

 

शौहर की मैं गुलाम हूँ  बहुत खूब बहुत खूब ,

दोयम दर्जे की इन्सान हूँ  बहुत खूब बहुत खूब .

 

कर  सकूं उनसे बहस बीवी को इतना हक कहाँ !

रखती बंद जुबान हूँ  बहुत खूब बहुत खूब !

 

उनकी नज़र में है यही औकात इस नाचीज़ की ,

तफरीह का मैं सामान…

Continue

Added by shikha kaushik on November 23, 2012 at 12:30pm — 16 Comments

ग़ज़ल :दो कदम ही सही साथ,चलकर के देखों.

दो कदम ही सही साथ,चलकर के देखों.

हम गरीबों की हालात, चलकर के देखों.



ऊँचे महलों से बारिस का मज़ा लेनेवालों,

तंग गलियों की बरसात,चलकर के देखों.



संसद के सोफे क्या समझेगे गावों का मर्म,

बेबस जनता की मुश्किलात,चलकर के देखों.



सुहागन से सदा बेवा का दर्द जाननेवालों,

कभी बिरह में एक रात, जलकर के देखों.



झूठे कसमों से इन्तखाब जीत जानेवालों,

छली जनता का जज्बात,चलकर के देखों.



ऐशों-आराम तय करते है मुकद्दर किल्लतों का,

सता से बाहर अपनी…

Continue

Added by Noorain Ansari on November 22, 2012 at 3:13pm — 4 Comments


सदस्य कार्यकारिणी
जहर उसने ज्यों प्याले से पिलाया दोस्तों

चुन चुन के  ख्वाब मेरे जलाया दोस्तों 

खूँ में उसने आज ये  क्या मिलाया दोस्तों 

रब से मिलती रही औ  घूँट भरती  रही 

 जहर उसने ज्यों  प्याले से  पिलाया दोस्तों 

चाहत घर की रही और मकाँ  मिल गया 

कैसा किस्मत ने   देखो  गुल खिलाया दोस्तों 

 जिस्म अपना रहा औ रूह उसकी मिली 

सब कुछ उसकी लगन में  है  भुलाया दोस्तों 

 पीर जमती रही  औ  पर्वत बनता रहा 

आंसुओं की तपन  ने ना पिघलाया दोस्तों 

खुद ही रख दूँ  मैं    लकड़ी   चिता…

Continue

Added by rajesh kumari on November 22, 2012 at 1:37pm — 16 Comments

मंज़िल अभी दूर है

तैयार किए गए

कुछ रोबोट

डाले गए

नफरत के प्रोग्राम

चार्ज किए गए

हैवानियत की बैटरी से

फिर भेज दिये  गए  

इंसानों की बस्ती में

फैलने आतंक

 

ये और बात है

इंसानियत ज़िंदा रही

हार गए हैवान

नहीं डरा सके हमें

न हीं कमज़ोर कर सके

हमारा आत्मविश्वास

 

और…

Continue

Added by नादिर ख़ान on November 22, 2012 at 11:53am — 9 Comments

कसाब को फाँसी

सरकार की अपना करो बखान

क्या खूब किया इसने इंसाफ

खाली कर दिया देश खजाना

बचाने को आतंकी मियां “कसाब”

 

हत्याओं की लगा कतार

फाँसी लटके खुद भी यार

पाप की सजा जो तुमने पाई

पाक की इज्जत खाक मिलाई

 

आतंकियों का बन शिरोमणि

ताज पर बमो की झड़ी लगाई

बेगुनाहों का मार के यारा

माफ़ी की फिर गुहार लगाई

 

जख्म भी ऐसे दिए जहाँ को

शैतान भी ले सर झुका

जेल में रह कर भी

पड़ा ना…

Continue

Added by PHOOL SINGH on November 22, 2012 at 11:30am — 6 Comments

अँधा कानून

अँधा कानून 



कुकर्मों का हो गया हिसाब 

फाँसी पर लटके मियां 'कसाव'

खुद भी मरे बेगुनाहों को मारा 

जिंदगी अपनीं  की बर्वाद 

पाप करके कोई बच नहीं सकता 

कोई जख्म किसी के भर नहीं सकता 

आखरी लम्हों में गुनहगारों को भी 

रब्ब आता है याद 

कानून भी अपना इतना लचीला 

करोड़ों का खज़ाना कर दिया ढीला 

इक आतंकी को सज़ा  देनें के लिए 

लगा दिए इतने साल  



दीपक…
Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on November 22, 2012 at 10:28am — 3 Comments

अपमानों के अंधड़ झेले ; छल तूफानों से टकराए

अपमानों के अंधड़ झेले ;

छल तूफानों से टकराए ,

कंटक पथ पर चले नग्न पग

तब हासिल हम कुछ कर पाए !



आरोपों की कड़ी धूप में

खड़े रहे हम नंगे सिर ,

लगी झुलसने आस त्वचा थी

किंचित न पर हम घबराये !



व्यंग्य-छुरी दिल को चुभती थी ;

चुप रहकर सह जाते थे ,

रो लेते थे सबसे छिपकर ;

सच्ची बात तुम्हे बतलाएं !



कई चेहरों से हटे मखौटे ;

मुश्किल वक्त में साथ जो छोड़ा ,

नए मिले कई हमें हितैषी

जो जीवन में खुशियाँ लाये… Continue

Added by shikha kaushik on November 21, 2012 at 11:19pm — 9 Comments

क्या देखें

वो नज़र नज़र भर क्या देखें
वो रुका समंदर क्या देखें

जो पत्थर जैसा मिला सदा
दिल उसके अन्दर क्या देखें

कोई उनके जैसा बना नहीं
हम तुम्हें पलटकर क्या देखें

हमने तो हंस के छोड़ा सोना
ये कौड़ी चिल्लर क्या देखें

वो चाँद बुझा कर जा सोये
हम तारे गिनकर क्या देखें

टूट गये गुल गईं बहारें
अब उजड़ा मंज़र क्या देखें

-पुष्यमित्र उपाध्याय

Added by Pushyamitra Upadhyay on November 21, 2012 at 10:09pm — 3 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
2 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service