For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आसमाँ के देखता है ख्वाब आम आदमी
चाहता है माहो-आफताब आम आदमी

खुद चुभन सहे मगर करे नहीं वो उफ़ तलक
कायनाते खार में गुलाब आम आदमी

रात दिन गुजारता है धूप छाँव भूल कर
काम कर रहा है बेहिसाब आम आदमी

वक़्त की तरह बदल बदल के गिरगिटी हुआ
बन के पल में टूटता हुबाब आम आदमी

शर्म लाज छोड़ बंदिशों की रस्म तोड़ के
हो रहा है आज कामयाब आम आदमी

हर्फ़ हर्फ़ आह से भरा पढ़ें उलट पलट
दीमकों के फेवरिट किताब आम आदमी

पर्वतों की रूह कांपने लगी है देख कर
आँख भर बहा रहा जो आब आम आदमी

जुगनुओं  से रौशनी उधार ले के कर रहा
दीपकों से तेल का हिसाब आम आदमी

मीडिया का साथ पा के हौसलों के पर लगा
ला रहा है आज इन्कलाब आम आदमी

दर्दो-गम की एक ही दवा मिली जहान में
पी रहा है "दीप" यूँ शराब आम आदमी

Views: 421

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 5, 2012 at 4:37pm

 आदरणीय  वीनस सर जी आदरणीय अरुण जी सादर प्रणाम
आपकी दाद पा के धन्य हुआ कुछ वक़्त की कमी से जूझ रहा हूँ
बिलम्ब के लिए क्षमा चाहता हूँ
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by वीनस केसरी on December 3, 2012 at 12:15am

सुन्दर

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 2, 2012 at 11:53am

संदीप भाई एक आम आदमी पर लिखी गई बेहद लाजवाब ग़ज़ल है वाह मज़ा आ गया, बधाई स्वीकारें

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 1, 2012 at 3:47pm

आदरणीया शालिनी जी , राजेश कुमारी जी , सीमा अग्रवाल जी  , आदरणीय  अशोक जी
सादर प्रणाम
आपने मेरी इस ग़ज़ल को सराहा इसके लिए मैं आप सभी का आभारी हूँ
ये स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by seema agrawal on December 1, 2012 at 12:25pm

आसमाँ के देखता है ख्वाब आम आदमी
चाहता है माहो-आफताब आम आदमी........बहुत खूब 

रात दिन गुजारता है धूप छाँव भूल कर 
काम कर रहा है बेहिसाब आम आदमी.....खास आज आम की वजह से ही खास  हैं 

बढ़िया ग़ज़ल हमेशा की तरह ..

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 1, 2012 at 9:54am

फिर से एक बेहतरीन ग़ज़ल कही है प्रिय संदीप बहुत बहुत बधाई सभी शेर बढ़िया कहे 

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 1, 2012 at 9:32am

आम आदमी कि पीडाओं पर लिखी सुन्दर गजल के लिए बधाई स्वीकारें आद. संदीप जी.

Comment by shalini kaushik on November 30, 2012 at 10:50pm

शर्म लाज छोड़ बंदिशों की रस्म तोड़ के
हो रहा है आज कामयाब आम आदमी

सही कहा आपने .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
4 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
21 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
22 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service