For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चाँद को भी हम कब तलक देखें

चाँद को भी हम कब तलक देखें
न देखें तुम्हे तो क्या फलक देखें

खुद चला आया जो आफताब आँखों में
फिर क्या किसी शम्मा की झलक देखें

आने का यकीं दे चले थे मुस्कुरा के वो
कुछ और हम ये तनहा सड़क देखें

वो न देखें मेरे ये लडखडाये से कदम
देखना है तो मेरी आँखों में चमक देखें

क्या देखते हैं आप यूं काफियों को घूर कर
मिल जाए जो जहां बस सबक देखें

-पुष्यमित्र उपाध्याय



Views: 475

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by shalini kaushik on November 30, 2012 at 10:53pm

क्या देखते हैं आप यूं काफियों को घूर कर
मिल जाए जो जहां बस सबक देखें

 बहुत सुन्दर भावात्मक  प्रस्तुति


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 29, 2012 at 11:08am

//sahi kaha sir//

लेकिन आपकी पद्य-क्षमता को देखते हुए इस मंच को पूरा भरोसा है कि शीघ्र ही आपसे सुगढ ग़ज़लें सुनने को मिलेंगीं. .

Comment by Pushyamitra Upadhyay on November 29, 2012 at 9:35am

sahi kaha sir


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 28, 2012 at 8:01pm

क्या देखते हैं आप यूं काफियों को घूर कर
मिल जाए जो जहां बस सबक देखें

नहीं भाई नहीं, हम सिर्फ़ काफ़िये को एकदम नहीं देख रहे हैं. बहुत कुछ देख रहे हैं और नोट भी कर रहे हैं.

अवश्य ही सुधार की बहत गुँजाइश है.

Comment by Pushyamitra Upadhyay on November 27, 2012 at 8:44pm

सादर आभार वीनस भाई,
रविकर जी

Comment by रविकर on November 27, 2012 at 5:36pm

खुबसूरत रचना ।
सुन्दर भाव-प्रवाह ।।
आभार आदरणीय ।।

Comment by वीनस केसरी on November 27, 2012 at 5:33pm

वो न देखें मेरे ये लडखडाये से कदम
देखना है तो मेरी आँखों में चमक देखें

वाह भाई सही नसीहत दी है ....
बहुत खूब
शुभकामनाएं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service