(माँ रमा बाई को यह कविता समर्पित )
माँ रमा बाई जी को कोटि कोटि वंदन
आओ हम सब करें फूलों से अभिनंदन
वक्त की पुकार समर्पित कर दो तन मन
ज्ञान की ज्योति से प्रकाशित करो वतन
अब समाज में समता लाकर रहेगें हम
नफरत सभी के दिलों से निकाल देगें हम
उनके अधूरे काम को अब पूरा करेगें हम
अज्ञान को संसार से मिटा कर रहेगें हम
जीवन के हर क्षण में याद रहे यह प्रण
टूटे दिलों को जोड़ एक माला बनाएँ हम
खुशियाँ सभी के राह में सदा बिछाएँ…
ContinueAdded by Ram Ashery on May 27, 2017 at 3:00pm — 2 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on May 27, 2017 at 1:24pm — 8 Comments
Added by Rahila on May 27, 2017 at 12:18pm — 2 Comments
Added by Mohammed Arif on May 27, 2017 at 10:40am — 7 Comments
ईर्ष्या
कृपया मुझे छोड़ दें
मुझे मुक्त चलने दें
तेरी समझ से
ईमानदारी
कृपया मुझे में भर
मेरे शब्दों को मुक्त कर
उस विश्वास के साथ
मूर्खता
कृपया मुझे छोड़ दें
मुझे दो बार सुन लेकिन बोल
एक आवाज़ के साथ
अखंडता
कृपया मुझे सशक्त कर
मेरे दिमाग और शरीर को ऊपर ले
सही विकल्प बनाने के लिए
मौलिक एवं अप्रकाशित ।
Added by narendrasinh chauhan on May 27, 2017 at 10:30am — 1 Comment
Added by Naveen Mani Tripathi on May 27, 2017 at 8:30am — No Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on May 27, 2017 at 2:00am — 4 Comments
Added by Rahila on May 26, 2017 at 9:30pm — 5 Comments
यह तुम्हारी आंखें है
यह तुम्हारा मुंह है
यह तुम्हारी मुस्कुराहट है
तुम्हारा दिल
तुम्हारी हंसी
लेकिन यह मेरा दिल है
मेरा डर
यह मेरा प्यार है
मेरी उम्मीद
मैं जिसके लिऐ हूँ
Added by narendrasinh chauhan on May 26, 2017 at 9:57am — 2 Comments
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on May 25, 2017 at 11:30pm — No Comments
वो मेरा अस्तित्व थे, मैं उनकी प्रतिछाप
खोए जब पदचिह्न तो, गूँज उठी यह थाप
गूँज उठी यह थाप, रहा संकल्प अधूरा
आखिर कैसे कौन करेगा उसको पूरा
इतना विस्तृत गहन रहा भावों का घेरा
जो उनका संकल्प, बना है अब वो मेरा
हाय! अबोला सब रहा, कह पाती सब काश
अब कह दूँ कैसे अकथ, तोड़ समय का पाश
तोड़ समय का पाश, धार को कैसे…
ContinueAdded by Dr.Prachi Singh on May 25, 2017 at 8:00pm — 7 Comments
Added by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on May 25, 2017 at 3:24pm — 11 Comments
Added by बसंत कुमार शर्मा on May 25, 2017 at 10:00am — 2 Comments
जब यहां खड़े हो रहे हैं
तुम्हारे साथ
मुझे नहीं पता क्या करना है
या कौन हूँ
खो गया और टूटा हुआ
आदमी
बाहर जोड़े अपने
हाथ
मुझे नहीं पता
कब बारी है
मुझे बहा दिया गया
आपके द्वारा
कुचला और टूटा भी
अब मुझे नहीं पता कि मैं कौन हूँ ...
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by narendrasinh chauhan on May 24, 2017 at 12:30pm — 3 Comments
Added by बसंत कुमार शर्मा on May 24, 2017 at 9:46am — 4 Comments
२१२२/११ २ २/२२ (११२)
.
तेरे सदमे से उबर जाऊँगा,
न उबर पाया तो मर जाऊँगा.
.
अपनी ही मौत का इल्ज़ाम हूँ मैं
क्यूँ किसी ग़ैर के सर जाऊँगा.
.
मेरी बेटी! तू मुझे “भौ” कर के
जब डरायेगी तो डर जाऊँगा.
.
बूँद रहमत की, फ़क़त एक ही बूँद
काश बरसे तो मैं तर जाऊँगा.
.
आती सदियों की तलब की ख़ातिर
जाम कुछ “नूर” से भर जाऊँगा.
.
निलेश "नूर"
.
मौलिक/ अप्रकाशित
Added by Nilesh Shevgaonkar on May 23, 2017 at 7:00pm — 13 Comments
(2122-2122-2122-212)
पहले सूरज सा तपें खुद को ज़रा रोशन करें
फिर थमें मत फिर किसी को चाँद सा रोशन करें।
ये नहीं, कोई दिया बस इक दफ़ा रोशन करें
गर करें, बुझने पे उसको बारहा रोशन करें।
मेरी भी वो ही तमन्ना है जो सारे शह्र की
आप मेरे घर में आएं घर मेरा रोशन करें।
सामने है इक चराग़ और आप के हाथों में शमअ
आप किस उलझन में हैं जी?क्या हुआ? रोशन करें!
तीरगी के हैं नुमाइंदे सभी इस शह्र में
कौन है…
Added by Gurpreet Singh jammu on May 23, 2017 at 10:04am — 21 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on May 23, 2017 at 1:28am — 7 Comments
विश्वास ....
क्या है विश्वास
क्या वो आभास
जिसे हम
केवल महसूस कर सकते हैं
और गुजार देते हैं ज़िंदगी
सिर्फ़ इस यकीन पर कि
एक दिन तो
उसे हम स्पर्श कर लेंगे
छू लेंगे एक छलांग में
आसमान को
या
वो है विश्वास
जिसे हम जानते हुई भी
कि वो
चाहे कितना भी
हमारी साँसों के करीब क्यूँ न हो
छोड़ देगा
हमारा साथ
निकल जाएगा चुपके से
हमारे क़दमों के नीचे से
जैसे
ज़मीन होने का…
Added by Sushil Sarna on May 22, 2017 at 8:30pm — 2 Comments
२१२२ २१२२ २१२२ २१२
छोड़कर हमको किसी की जिंदगानी हो गए
ख्वाब आँखों में सजे सब आसमानी हो गए
प्रेम की संभावनाएँ थीं बहुत उनसे, मगर,
जब मिलीं नजरें परस्पर,शब्द पानी हो गए
वो उगे थे जंगलों में नागफनियों की तरह,
आ गए दरबार में तो…
ContinueAdded by बसंत कुमार शर्मा on May 22, 2017 at 3:30pm — 16 Comments
2025
2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
2011
2010
1999
1970
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
Switch to the Mobile Optimized View
© 2025 Created by Admin.
Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |