For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

***बदलते सुर***(लघुकथा)राहिला

"ये लो दो चेक ,बैंक में जमा कर देना"
दफ्तर के लिए निकल रहे अनुराग के हाथ में चेक थमाते हुए वह बोली।"कहाँ से आये?"
"भेजी दी दो रचनाएँ ,पुरुस्कृत हुयी तो मिले।"
"वाह ..,क्या बात है।,मुबारक हो भई!फिर तो पार्टी बनती है।घर बैठे कमाने लगीं तुम तो!"पति ने कुछ गर्वित होकर कहा, तो उसके होंठों पर फीकी सी मुस्कान तैर गयी।
आज उसने अपने शौक पर खर्च किये लम्हों की परिवार को पहली क़िस्त अदा की थी।
रात में जैसे ही कमरे में अनुराग आये उसने सकपका कर ,झगड़े की जड़ को किनारे रख दिया।
"अरे लिख लो, लिख लो मोबाईल क्यों रख दिया।आखिर तुम्हें भी तो कुछ वक़्त मिलना चाहिए अपने लिए ।सारा दिन तो घर के कामों में व्यस्त रहती हो।
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 577

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 16, 2017 at 8:49pm

रचनाकारों के दर्द को खूब लिखा है आपने आदरणीया राहिला जी | बढ़िया कथा हुई है बधाई स्वीकारें |

Comment by Rahila on May 29, 2017 at 2:20pm
बहुत आभार आदरणीय उस्मानी साहब!
Comment by Rahila on May 29, 2017 at 2:20pm
आदरणीय आरिफ़ साहब!बहुत शुक्रिया ।आप सही हैं मेरा ध्यान इस बार इस बात से चूक गया।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on May 27, 2017 at 11:36am
रचनाकारों के अनुभवों व दर्द को उभारती एक और बढ़िया रचना के लिए सादर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं आदरणीय राहिला जी। जनाब मोहम्मद आरिफ साहब के सुझाव पर ग़ौर फ़रमाइयेगा।
Comment by Mohammed Arif on May 27, 2017 at 10:09am
आदरणीया राहिला जी आदाब,लघुकथा क्षण में घटित होने वाली घटना होती है । आपकी यह लघुकथा दो काल खंड को प्रदरर्शित कर रही है--(1)दफ्तर के लिए जाते हुए पत्नी अनुराग को चैक थमा रही है । यह सुबह का समय है । (2)जब रात में अनुराग कमरे में प्रवेश करता हैऔर सकपकाकर झगड़े की जड़ को किनारे कर दिया । अब आप ही बताइए दो अलग-अलग काल खंड हुए है या नहीं?यहाँ मेरा मक़सद सिर्फ़ काल खंड की ओर इशारा करना है । अन्यथा न लें । बाक़ी बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service