For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बेबसी की किताब है यारोँ

2122 1212 22
वो दिखी बेनकाब है यारों।
सारा चेहरा गुलाब है यारोँ ।।

अच्छी सूरत भी क्या बुरी शय है ।
सबकी नीयत खराब है यारों ।।

है लबों पर अजीब सी जुम्बिश ।
कैसा छाया शबाब है यारों।।

होश खोया है देख कर उसको ।
वह पुरानी शराब है यारों ।।

एक मुद्दत के बाद देखा है ।
हुस्न का इंकलाब है यारों।।

पैरहन ख्वाब में वो आती है ।
कितनी आदत खराब है यारोँ ।।

मैं जिसे सुबहो शाम पढ़ता हूँ ।
वह ग़ज़ल लाजबाब है यारों ।।

मत पढो जिंदगी का हर पन्ना ।
बेबसी की किताब है यारों।।

पैरहन ख्वाब में वो आती है ।
कितनी आदत खराब है यारों ।।

क्या सुनाऊँ मैं बात रातों की ।
वो कोई माहताब है यारों ।।

जिस से मिलने गए थे महफ़िल में ।
वह मेरा इंतखाब है यारों ।।

---नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 558

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on July 16, 2017 at 8:02pm
आ0 कल्पना भट्ट जी सादर नमन।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 16, 2017 at 7:35pm

बहुत प्यारी ग़ज़ल हुई है आदरणीय | हार्दिक बधाई |

Comment by Naveen Mani Tripathi on May 30, 2017 at 1:09pm
भाई बृजेश कुमार ब्रज जी आभार
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on May 29, 2017 at 9:50pm
वाह वाह बहुत खूबसूरत..सादर
Comment by Naveen Mani Tripathi on May 28, 2017 at 4:27pm
आ0 गुरु प्रीत साहब आभार
Comment by Naveen Mani Tripathi on May 28, 2017 at 4:26pm
आ0 मो0 आरिफ साहब आभार
Comment by Gurpreet Singh jammu on May 27, 2017 at 9:35pm
वाह वाह आदरणीय नवीन जी..बहुत दिलकश ग़ज़ल हुई है..पहले दोनों शेर तो लाजवाब लगे
Comment by Mohammed Arif on May 27, 2017 at 9:30pm
आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,छोटी बह्र की बेहतरीन ग़ज़ल । हर शे'र उम्दा । मुबारकबाद क़ुबूल करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service