22 members
394 members
91 members
111 members
184 members
122 - 122 - 122 - 122
जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते
तो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते
*
न तिनके जलाते तमाशे की ख़ातिर
न ख़ुद आतिशों के ये बोहरान लेते
*
ये घर टूटकर क्यूँ बिखरते हमारे
जो शोरिश-पसंदों को पहचान लेते
*
फ़ना हो न जाती ये अज़्मत हमारी
तज़लज़ुल की आहट अगर जान लेते
*
न होता ये मिसरा यूँ ही ख़ारिज-उल-बह्र
मियाँ गर सही सारे अरकान लेते
*
"अमीर'' ऐसे सर को न धुनते…
ContinuePosted on May 1, 2025 at 12:13am — 3 Comments
1222 - 1222 - 1222 - 1222
ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ कि वो इस्लाह कर जाते
वगर्ना आजकल रुकते नहीं हैं बस गुज़र जाते
न हो उनकी नज़र तो बाँध भी पाता नहीं मिसरा
ग़ज़ल हो नज़्म हो अशआर मेरे सब बिखर जाते
बड़ी मुद्दत से मैं भी कब 'मुरस्सा' नज़्म कह पाया
ग़ज़ल पर सरसरी नज़रों ही से वो भी गुज़र जाते
अरूज़ी हैं अदब-दाँ वो अगर बारीक-बीनी से
न देते इल्म की दौलत तो कैसे हम निखर जाते
मिले हैं ओ. बी. ओ.…
ContinuePosted on September 8, 2024 at 5:15pm — 21 Comments
1212 - 1122 - 1212 - 112/22
महब्बतों से बने रिश्ते यूँ बिखरने लगे
मुझी से कट के मेरे मेह्रबाँ गुज़रने लगे
*
मशाल इल्म की फिर से बुझा गया कोई
फ़सादी सारे जिहालत में रक़्स करने लगे
*
अवाम जिनको समझती रही भले किरदार
मुखौटे उन के भी चेहरों से अब उतरने लगे
*
ख़ुलूस और महब्बत के पैरोकार भी अब
धरम के नाम पे आपस में वार करने लगे
*
सिला ये हमको मिला उन से दिल लगाने का
जुनून-ए-इश्क़ में हर…
ContinuePosted on August 18, 2023 at 8:31am — 4 Comments
22 - 22 - 22 - 2
उम्र मिरी यूँ रही गुज़र
कोई परिंदा ज्यूँ बे-पर
तपती रेत के सहरा में
ढूंढ रहा हूँ आब-गुज़र
हद्द-ए-नज़र वीराना है
कोई साया है न शजर
ग़म के लुक़्मे खाकर मैं
पी लेता हूँ अश्क गुहर
ढूँड रहा हूँ ख़ुद को ही
बेकल दिल बेताब नज़र
जूँ-जूँ रात गुज़रती है
दूर हुई जाती है सहर
तन्हा और बेबस हूँ मैं
देख मुझे भी एक…
ContinuePosted on July 13, 2023 at 11:52pm — 2 Comments
जनाब अमीरुद्दीन साहिब,ओबीओ पर आपका स्वागत है,मैं हर ख़िदमत के लिए हाज़िर हूँ ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
Switch to the Mobile Optimized View
© 2025 Created by Admin.
Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |