For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी
  • Male
  • बाग़पत, उत्तर प्रदेश.
  • India
Online Now
Share on Facebook MySpace

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's Friends

  • Euphonic Amit
  • Aazi Tamaam
  • Dimple Sharma
  • Anil Kumar Singh
  • AMAN SINHA
  • रवि भसीन 'शाहिद'
  • Rachna Bhatia
  • Abrar Ahmed
  • Chetan Prakash
  • Krish mishra 'jaan' gorakhpuri
  • Samar kabeer
  • Zaif
  • Sushil Sarna
  • SALIM RAZA REWA

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's Groups

 

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's Page

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद दूँ, आदरणीय अमीरुद्दीन भाई, कम होगा. हर शेर किसी बेपरवाह शख्स की आत्मग्लानि का आईना है. ऐसी गजलें, ऐसी रचनाएँ किसी पटल का गौरव हुआ करती…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..बधाई स्वीकार करें ..सही को मैं तो सही लेना और पढना स्वीकार करता हूँ लेकिन उर्दू क़ायदा सहीह बताता है.बाकी आप का जो भी निर्णय हो सादर "
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर बागपतवी साहिब, अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)

122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते तमाशे की ख़ातिरन ख़ुद आतिशों के ये बोहरान लेते*ये घर टूटकर क्यूँ बिखरते हमारेजो शोरिश-पसंदों को पहचान लेते*फ़ना हो न जाती ये अज़्मत हमारीतज़लज़ुल की आहट अगर जान लेते*न होता ये मिसरा यूँ ही ख़ारिज-उल-बह्रमियाँ गर सही सारे अरकान लेते*"अमीर'' ऐसे सर को न धुनते कभी हमगर आबा-ओ-अज्दाद की मान लेते" मौलिक व अप्रकाशित"See More
11 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, नए अंदाज़ की ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।"
20 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"माननीय मंच एवं आदरणीय टीम प्रबंधन आदाब।  विगत तरही मुशायरा के दूसरे दिन निजी कारणों से यद्यपि मैं मुशायरा में उपस्थित नहीं था मगर आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी की पोस्ट और उस पर हुई चर्चा से मुशायरे के दौरान हुई दुखदायी एवं अप्रिय घटनाक्रम की जानकारी…"
20 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय मंजुल मयंक जी आदाब, आपको पहली बार पढ़ रहा हूँ, आपसे गुज़ारिश है कि कुछेक दर्जन गुज़िश्ता तरही मुशायरे पढ़ डालें और मुशायरों में आई हुई गुणीजनों की टिप्पणियों को ख़ास तवज्जुह दें। बहरहाल अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें।"
Friday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी आदाब, आपकी ग़ज़ल के अशआर बहुत अच्छे साँचे में ढाले गये हैं मह्ज़ तराशने की ज़रूरत थी जिसे दो जौहरीयों ने बख़ूबी कर दिया है, बहुत बहुत बधाई आपको। "
Friday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"//कहा ये मुझ से कई कामयाब लोगों ने न वक़्त देख कभी काम में घड़ी न मिला// //घड़ी मिलाना तो समय का पाबंद होने का मुहावरा है। और वो अनुशासन का द्योतक है। जो क़ामयाबी का ही कारक है। मेरे विचार में कुछ परिवर्तन की आवश्यकता है।// अजय जी आपकी बात तो सही है…"
Apr 25
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"मिलाया लाख ज़माने से अपना जी न मिला   न पहली बार मिला और फिर कभी न मिला.... वाह क्या बात है! मतले ने ही महफ़िल लूट ली है, बहुत ख़ूब। मुहब्बतों को निभा जा किसी नदी की तरह कि इन किनारों से अपनी तू ज़िन्दगी न मिला... लाजवाब। यहाँ एक मशविरे…"
Apr 25
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का उम्दा प्रयास है मुबारकबाद पेश करता हूँ... और, एक और चीज़ के लिए आपको मुबारकबाद कि मुहतरम समर कबीर साहिब, आ. अमित जी और आ. निलेश जी जैसे सुख़नवरों की सरपरस्ती में आप शाइरी की बारीकियाँ सीख रही…"
Apr 25
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें। आज से ठीक तीन साल पहले तरही मुशायरा अंक 142 में इसी तरही मिसरे वाली ग़ज़ल के अन्य मिसरे पर आप एक ख़ूबसूरत ग़ज़ल पेश कर चुके हैं, इस बार ग़ज़ल के लिये…"
Apr 25
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 25
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, ज़र्रा नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ।"
Apr 25
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"जनाब मयंक कुमार द्विवेदी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 25
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ।"
Apr 25

Profile Information

Gender
Male
City State
BAGHPAT , UTTAR PRADESH.
Native Place
BARAUT
Profession
Private job
About me
उर्दु शायरी हिन्दी में लिखने और पढ़ने का शौक़ है॥

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's Blog

ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)

122 - 122 - 122 - 122 

जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते

तो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते

*

न तिनके जलाते तमाशे की ख़ातिर

न ख़ुद आतिशों के ये बोहरान लेते

*

ये घर टूटकर क्यूँ बिखरते हमारे

जो शोरिश-पसंदों को पहचान लेते

*

फ़ना हो न जाती ये अज़्मत हमारी

तज़लज़ुल की आहट अगर जान लेते

*

न होता ये मिसरा यूँ ही ख़ारिज-उल-बह्र

मियाँ गर सही सारे अरकान लेते

*

"अमीर'' ऐसे सर को न धुनते…

Continue

Posted on May 1, 2025 at 12:13am — 3 Comments

ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)

1222 - 1222 - 1222 - 1222

ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ कि वो इस्लाह कर जाते

वगर्ना आजकल रुकते नहीं हैं बस गुज़र जाते 

न हो उनकी नज़र तो बाँध भी पाता नहीं मिसरा 

ग़ज़ल हो नज़्म हो अशआर मेरे सब बिखर जाते

 

बड़ी मुद्दत से मैं भी कब 'मुरस्सा' नज़्म कह पाया 

ग़ज़ल पर सरसरी नज़रों ही से वो भी गुज़र जाते

अरूज़ी हैं अदब-दाँ वो अगर बारीक-बीनी से 

न देते इल्म की दौलत तो कैसे हम निखर जाते

मिले हैं ओ. बी. ओ.…

Continue

Posted on September 8, 2024 at 5:15pm — 21 Comments

ग़ज़ल (महब्बतों से बने रिश्ते यूँ बिखरने लगे)

1212 - 1122 - 1212 - 112/22

महब्बतों से बने रिश्ते यूँ बिखरने लगे 

मुझी से कट के मेरे मेह्रबाँ गुज़रने लगे

*

मशाल इल्म की फिर से बुझा गया कोई 

फ़सादी सारे जिहालत में रक़्स करने लगे

अवाम जिनको समझती रही भले किरदार 

मुखौटे उन के भी चेहरों से अब उतरने लगे

ख़ुलूस और महब्बत के पैरोकार भी अब

धरम के नाम पे आपस में वार करने लगे 

*

सिला ये हमको मिला उन से दिल लगाने का

जुनून-ए-इश्क़ में हर…

Continue

Posted on August 18, 2023 at 8:31am — 4 Comments

ग़ैर मुरद्दफ़ ग़ज़ल (उम्र मिरी यूँ रही गुज़र)

22 - 22 - 22 - 2

उम्र मिरी यूँ रही गुज़र

कोई परिंदा ज्यूँ बे-पर

तपती रेत के सहरा में 

ढूंढ रहा हूँ आब-गुज़र 

हद्द-ए-नज़र वीराना है 

कोई साया है न शजर

ग़म के लुक़्मे खाकर मैं 

पी लेता हूँ अश्क गुहर

ढूँड रहा हूँ ख़ुद को ही 

बेकल दिल बेताब नज़र 

जूँ-जूँ रात गुज़रती है 

दूर हुई जाती है सहर 

तन्हा और बेबस हूँ मैं 

देख मुझे भी एक…

Continue

Posted on July 13, 2023 at 11:52pm — 2 Comments

Comment Wall (1 comment)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 6:21pm on March 9, 2020, Samar kabeer said…

जनाब अमीरुद्दीन साहिब,ओबीओ पर आपका स्वागत है,मैं हर ख़िदमत के लिए हाज़िर हूँ ।

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर सर,वैसे तो आपने उत्तर आ. सौरब सर की पोस्ट पर दिया है जिस पर मुझ जैसे किसी भी व्यक्ति को…"
37 minutes ago
Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, अवश्य इस बार चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के लिए कुछ कहने की कोशिश करूँगा।"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"शिज्जू भाई, आप चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के आयोजन में शिरकत कीजिए. इस माह का छंद दोहा ही होने वाला…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब "
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आप हमेशा वहीँ ऊँगली रखते हैं जहाँ मैं आपसे अपेक्षा करता हूँ.ग़ज़ल तक आने, पढने और…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. लक्ष्मण धामी जी,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..दो तीन सुझाव हैं,.वह सियासत भी कभी निश्छल रही है.लाख…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..बधाई स्वीकार करें ..सही को मैं तो सही लेना और पढना…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर बागपतवी साहिब, अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, हार्दिक आभार, मेरा लहजा ग़जलों वाला है, इसके अतिरिक्त मैं दौहा ही ठीक-ठाक पढ़ लिख…"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service