नवबर्ष पर हार्दिक शुभकामनाये
आओ मिलकर चमन सजायें
गीत नए फिर मिलकर गायें
कुमकुम रोली से रंग धरती
दर पर वन्दनवार लगाये
जान दे रहे हैं सरहद पर
आज भारती के जो लाल
उनके सीने हैं फौलादी
उन्हें डराएगा क्या काल
मुल्क पड़ोसी को अब आओ
हम उसकी औकात दिखाएं
आओ मिलकर चमन सजायें
गीत नए फिर मिलकर गायें
अश्क बहाने से होती
तौहीन शेर दिल वीरों की
अश्कों से बलिदान…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on January 1, 2017 at 1:38pm — 8 Comments
नई नई कुछ परिभाषाएँ, राष्ट्र-प्रेम की आओ गढ़ लें।
लेकिन आगे कैसे बढ़ लें?
मातृभूमि के प्रति श्रद्धा हो, यह परिभाषा है अतीत की।
महिमामंडन, मौन समर्थन परिभाषा है नई रीत की।
अनुचित, दूषित जैसे भी हों निर्णय, बस सम्मान करें सब।
हम भारत के धीर-पुरुष हैं, कष्ट सहें, यशगान करें सब।
चित्र वीभत्स मिले जो कोई,
स्वर्ण फ्रेम उस पर भी मढ़ लें।
मर्यादा के पृष्ट खोलकर, अंकित करते भ्रम का लेखा।
राष्ट्रवाद का कोरा डंका, निज…
ContinueAdded by मिथिलेश वामनकर on December 31, 2016 at 11:30pm — 23 Comments
वेदना अभिशप्त होकर,
जल रहें हैं गीत देखो।
विश्व का परिदृश्य बदला और मानवता पराजित,
इस धरा पर खींच रेखा, मनु स्वयं होता विभाजित ।
इस विषय पर मौन रहना, क्या न अनुचित आचरण यह ?
छोड़ना होगा समय से अब सुरक्षित आवरण यह।
कुछ कहो, कुछ तो कहो,
मत चुप रहो यूँ मीत देखो।
वेदना अभिशप्त होकर,
जल रहें हैं गीत देखो।
मन अगर पाषाण है, सम्वेदना के स्वर जगा दो।
उठ रही मष्तिष्क में दुर्भावनायें, सब भगा…
ContinueAdded by मिथिलेश वामनकर on December 28, 2016 at 11:00am — 18 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on December 2, 2016 at 4:30pm — 17 Comments
देखो तुम भी गुनगुनाओगे जब बात समझ में आएगी
देखो तुम भी मुस्कुराओगे जब बात समझ में आएगी
कोई भी अकेला कैसे करे, इस अंधियारे से सबको दूर
तुम साथ चले ही आओगे, जब बात समझ में आएगी
गर लक्ष्य बड़ा हो जीवन में, देनी पड़ती है क़ुरबानी
खुशियों के दीप जलाओगे, जब बात समझ में आएगी
हर काम सही से हो जाए, क्यूँ रखते लोगों से उम्मीद
अपने भी फ़र्ज़ निभाओगे, जब बात समझ में आएगी
इस वक़्त अगर ना बन पाए इस तब्दीली का इक हिस्सा
आगे चलकर…
Added by विनय कुमार on November 17, 2016 at 3:32pm — 8 Comments
तेरी ज़िद है तू ही सही ;
मेरी अहमियत कुछ नहीं ,
बहुत बातें तुमने कही ;
मेरी रह गयी अनकही ,
ये तो मोहब्बत नहीं !
ये तो मोहब्बत नहीं !!
.......................................
हुए हो जो मुझ पे फ़िदा ;
भायी है मेरी अदा ,
रही हुस्न पर ही नज़र ;
दिल की सुनी ना सदा ,
तुम्हारी नज़र घूरती ;
मेरे ज़िस्म पर आ टिकी !
ये तो मोहब्बत नहीं !
ये तो मोहब्बत नहीं !!
..................................
रूहानी हो ये सिलसिला ;
ना इसमें हवस को मिला…
Added by shikha kaushik on August 9, 2016 at 9:27pm — 3 Comments
Added by Rahul Dangi Panchal on March 5, 2016 at 2:38pm — 2 Comments
दोहा छंद आधारित गीत
================
मन सहिष्णु भटके नहीं,
लेकर भाव अमर्ष
राह हमें उत्कर्ष की, नित दिखला नववर्ष.....
झाँक रही दीवार से,
खूंटी ओढ़े गर्द
साल मुबारक हो नया,
कहता मौसम सर्द
जंत्री नूतन साल की, करती ध्यानाकर्ष
लौटें लेकर सुदिन सब,
उत्सव औ त्यौहार
मिलना जुलना हो सहज,
सरल भाव व्यवहार
जाति धर्म के नाम पर, हो न कभी संघर्ष
गीत छंद कविता गजल,
ललित कलेवर…
ContinueAdded by Satyanarayan Singh on December 23, 2015 at 9:00pm — 12 Comments
छोड़ शहर की रौनक,जिसके
गाँव में बसते प्राण।
जिसकी पावन धरती ने है
जने वीर संतान।
जिसकी गौरव-गाथा का
करे विश्व गुणगान।
है देशों में वो देश महान।
अपना प्यारा हिन्दुस्तान।।
सूरत से भी ज़्यादा उनकी
होती सीरत प्यारी।
हृदय में जिनके बहती है
करुणा जग की सारी।
वक़्त पड़े तो रणभूमि में
जौहर दिखलाती नारी।
अत्याचार को देख के जिनके
दिल में उठता है तूफ़ान।।
राजतंत्र को मिटा जिन्होंने
गणतंत्र हमें…
Added by जयनित कुमार मेहता on December 13, 2015 at 9:30pm — 6 Comments
श्याम हमारे दिल से पूछो, कितना तुझको याद किया|
भूल गई मैं सारे जग को, फिर भी तेरा नाम लिया|
यादों में तेरी मुरली वाले, जीवन यूँ ही गुजार दिया,
श्याम हमारे दिल से पूछो, कितना तुझको याद किया|
देख के तेरी भोली सूरत हम भी धोखा खा ही गए,
मोहन तेरी मीठी-मीठी बातों में हम आ ही गए,
हार गए जीवन में सब फिर भी तेरा नाम लिया
श्याम हमारे दिल से पूछो, कितना तुझको याद किया|
करती हूँ कोशिश मैं मोहन याद हमेशा तुम आओ,
रह नही सकती…
ContinueAdded by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on November 19, 2015 at 8:30pm — 2 Comments
हर द्वारे हम दीप जलाएं, उत्सव की हो शाम सदा
झूम झूम कर खूब नाचता, जंगल में है मोर सदा |
क्षण भंगुर ये जीवन अपना,
कर्म करे से सधता सपना |
रोने से क्या कुछ मिल पाए ?
आओ सब मिले हाथ मिलाएं, काम बाँटते रहे सदा,
हर द्वारे हम दीप - - - - - - - -
आतंक का मिल करे सामना,
रहे न ह्रदय में हीन भावना |
सबके सुख के दीप जलाएं
सब मिल डर को दूर भगाएं, ह्रदय भरे विश्वास सदा
हर द्वारे हम दीप - - - - - -- -…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 16, 2015 at 8:30pm — 6 Comments
Added by Abid ali mansoori on November 5, 2015 at 1:23pm — 11 Comments
Added by जयनित कुमार मेहता on October 2, 2015 at 7:40pm — 9 Comments
अगर रंग - बिरंगे ये नारे न होते.
तो फिर हम भी इतने बेचारे न होते .
बस बातों के मरहम से भर जाते शायद .
अगर ज़ख्म दिल के करारे न होते .
भला किसकी हिम्मत सितम ढा सके यूँ .
अगर हम जो आदत बिगाड़े न होते .
कहीं ना कहीं से तो शह मिल रहा है .
निर्भया के बसन यूँ उतारे न होते .
मिट जाती कब की ये रस्मोरिवाज़ें .
अगर पूर्वजों के सहारे न होते .
मौलिक और अप्रकाशित
सतीश मापतपुरी
Added by satish mapatpuri on September 20, 2015 at 10:00pm — 3 Comments
भारत के अंबर पर देखो
सूर्य सी हिन्दी चमक रही है
माँ भारती के उपत्यका में
खुशबू बनकर महक रही है
विभिन्न प्रांतों का सेतुबंधन
सरल सर्वजन सर्वप्रिय है
दक्षिण से उत्तर पूर्व पश्चिम
दम दम दम दम दमक रही है
संस्कारों की वाहक हिन्दी
सभी भाषाओं में यह गंगा
प्रगति पथ पर नित आरूढ़ ये
पग नवल सोपान धर रही है
यूरोप अमेरिका ने माना
है यह भाषा समर्थ सक्षम
हम भारतियों के दिल में…
ContinueAdded by Neeraj Neer on September 14, 2015 at 7:59am — 6 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on September 12, 2015 at 1:04pm — 2 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 21, 2015 at 10:06pm — 15 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 21, 2015 at 7:27pm — 11 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 15, 2015 at 11:24am — 10 Comments
देश भक्ति गीत...01
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वीरो की धरती में हूँ जन्मा
कायरता न करनी है
नब्ज में है खून वीरों का
रक्षा इसकी करनी है
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न्योछावर हो जाना है हँस
तिरंगा हांथों में लिए
वीरो की क़ुरबानी की अब
लाज हमें ही रखनी है
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वीरो की धरती में हूँ जन्मा
कायरता न करनी है…
Added by amod shrivastav (bindouri) on August 13, 2015 at 9:30am — 2 Comments
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