For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मै शापित पत्थर कलजुग में राम कहाँ से लाऊँ

गीत

*********              

मै शापित पत्थर कलजुग में राम कहाँ से लाऊँ

मै दरिद्रता से दरिद्र हूँ

तुम नृप के भी हो नृपराज

पूर्ण चन्द्र की दीप्ति तुम्हारी

मै हूँ अमा की काली रात  

तुम पुकार लो मुझको ऐसा नाम कहाँ से लाऊँ

मै शापित पत्थर कलजुग में राम कहाँ से लाऊँ

 

भाग दौड़ के इस नवयुग में

मै अपंग सी हूँ लाचार

और दिखावे की नगरी में

बिन चाँदी की मैं बीमार

चकाचौंध कर दे सबको, परिणाम कहाँ से लाऊँ

मैं शापित पत्थर कलजुग में राम कहाँ से लाऊँ

 

तुम मृगतृष्णा में भटके  

सच के पानी से दूर बहुत

छद्मवेश के मीत प्रीत के

नीचे छवि है क्रूर बहुत

सत्य विजित हो ऐसा मैं परिणाम कहाँ से लाऊँ

मैं शापित पत्थर कलजुग में राम कहाँ से लाऊँ

           *************   

मौलिक एवँ अप्रकाशित

 

Views: 678

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 25, 2013 at 11:14am

आदरणीय सौरभ भाई , आपकी सराहना ने  मुझे कल्पनातीत खुशी दे दी , उत्साह वर्धन के साथ साथ !! बहुत बहुत आभार !! 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 25, 2013 at 12:26am

इस सुन्दर सात्विक बिम्ब को आपने जीवन्त कर दिया आदरणीय. ..

तुम मृगतृष्णा में भटके  

सच के पानी से दूर बहुत

छद्मवेश के मीत प्रीत के

नीचे छवि है क्रूर बहुत

सत्य विजित हो ऐसा मैं परिणाम कहाँ से लाऊँ

इस गीत की विवेचना ने देर तक बाँधे रखा. एक पाठक के तौर पर बहुत कुछ सोचता रहा मैं, जो कि इस प्रस्तुति की सफलता है.

आपका सादर धन्यवाद तथा भूयोभूय बधाइयाँ.

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 16, 2013 at 9:48pm

बहुत बहुत शुक्रिया , प्राची जी हौसला अफज़ाई के लिये , मुझे बहुत खुशी है कि आपने पूरी तरह वही समझी जिसे मै रचना के माध्यम से कहना चाहता था ! आपने मेरी महनत सफल कर दी ! पुनः आभार !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 16, 2013 at 5:06pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी

संबंधों में व्याप्त बेरुखी और आर्थिक ,शाब्दिक ,मानसिक क्रूरता किसी को बेबस कर शापित पत्थर सी ज़िंदगी जीने को मज़बूर करते हों और अभिशप्त प्रस्तर को ज़िंदगी मिल पाने का हर मार्ग अवरुद्ध हो.... ऐसी विवश पीड़ा को शब्द देती आपकी यह भावाभिव्यक्ति बेहद मर्मस्पर्शी है..

हार्दिक शुभकामनाएँ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 14, 2013 at 7:49pm

बहुत बहुत आभार !! लक्ष्मण भाई जी , आपने सही कहा मै नया सद्स्य हूँ ।  पुनः धन्यवाद !!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 14, 2013 at 7:04pm

बहुत सुन्दर भावों की गीत रचना, विशेषतः अंतिम छंद तो बहुत पसंद आया -

तुम मृगतृष्णा में भटके  

सच के पानी से दूर बहुत

छद्मवेश के मीत प्रीत के

नीचे छवि है क्रूर बहुत

सत्य विजित हो ऐसा मैं परिणाम कहाँ से लाऊँ

मैं शापित पत्थर कलजुग में राम कहाँ से लाऊँ ---- वाह ! हार्दिक बधाई श्री गिर्राज भंडारी जी | मै संभवतया आपकी पहली रचना  ही देख रहा है | स्वागत है आपका 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 14, 2013 at 10:52am
वसुन्धरा जी,आपका हार्दिक आभार !!
Comment by Vasundhara pandey on August 14, 2013 at 8:52am

बहुत ही सुन्दर रचना...सादर बधाई आपको..!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 13, 2013 at 7:26pm

वन्दना जी बहुत बहुत आभार , आपको गीत पसन्द आया !!

Comment by Vindu Babu on August 13, 2013 at 5:45pm
//तुम नृप के हो नृपराज// आदरणीय मॅं जहाँ तक समझ पा रही हूं ईश्वर सम्बोधित करते हुए लिखा है आपने!
शापित पत्थर अहिल्या की तरफ इशारा होगा आपका?
यदि मैं सही समझ रही तो आपने सुस्पष्ट चित्र प्रस्तुत किया कलयुग का।
सादर बधाई इस सफल रचना के लिए आदरणीय!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, अवश्य इस बार चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के लिए कुछ कहने की कोशिश करूँगा।"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"शिज्जू भाई, आप चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के आयोजन में शिरकत कीजिए. इस माह का छंद दोहा ही होने वाला…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब "
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आप हमेशा वहीँ ऊँगली रखते हैं जहाँ मैं आपसे अपेक्षा करता हूँ.ग़ज़ल तक आने, पढने और…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. लक्ष्मण धामी जी,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..दो तीन सुझाव हैं,.वह सियासत भी कभी निश्छल रही है.लाख…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..बधाई स्वीकार करें ..सही को मैं तो सही लेना और पढना…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर बागपतवी साहिब, अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, हार्दिक आभार, मेरा लहजा ग़जलों वाला है, इसके अतिरिक्त मैं दौहा ही ठीक-ठाक पढ़ लिख…"
6 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service