For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये जिंदगी का हसीन लमहा

(12122)×4

ये ज़िंदगी का हसीन लमहा

गुजर गया फिर तो क्या करोगी
जो जिंदगी के इधर खड़ा है

उधर गया फिर तो क्या करोगी

तुम्हें सँवरने का हक दिया है

वो कोई पत्थर का तो नहीं है
लगाये फिरती हो जिसको ठोकर

बिखर गया फिर तो क्या करोगी

कि जिनकी शाखों पे तो गुमां है

मगर उन्हीं की जड़ों से नफरत
"वो आँधियों में  उखड़ जड़ों से"

शज़र गया फिर तो क्या करोगी

जिसे अनायास कोसती हो

छिपाए बैठा है पीर सारी
तुम्हारी नज़रों से गिर के आखिर

वो मर गया फिर तो क्या करोगी

किवाड़ दिल के लगा रखी हो

नज़र की खिड़की खुली हुई है
कोई निग़ाहों से सीधे दिल में

उतर गया फिर तो क्या करोगी

तू जिसकी उल्फ़त में जी रही है

कुछ उसकी नीयत भली नहीं है
वो खा के कसमें दिखा के सपने

मुकर गया फिर तो क्या करोगी

आशीष यादव

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 530

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष यादव on September 3, 2020 at 7:13am

आदरणीया डिम्पल शर्मा जी हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया।

Comment by आशीष यादव on September 3, 2020 at 7:13am

आदरणीय उस्ताद समर कबीर साहब आदाब, आपकी नेक सलाह के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। मैंने इसे नोट कर लिया है। आपसे अन्य रचनाओ पर भी ऐसी ही अपेक्षा है। सादर।

Comment by आशीष यादव on September 3, 2020 at 7:10am

आदरणीय उस्ताद अमीरुद्दीन अमीर सर, हौसला अफजाई के लिए शुक्रिया। आपके कहे अनुसार मैंने शिल्प में परिवर्तन कर लिया है। 

उम्मीद है कि ऐसे ही आप अन्य रचनाओं पर भी मार्गदर्शन देते रहेंगे।

Comment by Dimple Sharma on September 2, 2020 at 4:08pm

आदरणीय आशीष यादव जी नमस्ते, खुबसूरत ग़ज़ल पर बधाई स्वीकार करें आदरणीय।

Comment by Samar kabeer on August 28, 2020 at 6:26pm

जनाब आशीष यादव जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें ।

'किवाड़ दिल के लगा रखी हो

नज़र की खिड़की खुली हुई है'

इस मिसरे को यूँ करना उचित होगा:-

'किवाड़ दिल के लगा रखे हैं

नज़र की खिड़की खुली हुई है'

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on August 25, 2020 at 6:41pm

जनाब आशीष यादव जी आदाब, शानदार ग़ज़ल हुई है दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ।

//वो आँधियों में जड़ो से कटकर शज़र गया फिर तो क्या करोगी//  इस मिसरे का शिल्प संवारने का प्रयास कर सकते हैं :

   "वो आँधियों में उखड़ जडों से शजर गया फिर तो क्या करोगी"    सादर। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत आभार आदरणीय ऋचा जी। "
4 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार भाई लक्ष्मण जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है।  आग मन में बहुत लिए हों सभी दीप इससे  कोई जला…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"हो गयी है  सुलह सभी से मगरद्वेष मन का अभी मिटा तो नहीं।।अच्छे शेर और अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई आ.…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रात मुझ पर नशा सा तारी था .....कहने से गेयता और शेरियत बढ़ जाएगी.शेष आपके और अजय जी के संवाद से…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. ऋचा जी "
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. तिलक राज सर "
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. जयहिंद जी.हमारे यहाँ पुनर्जन्म का कांसेप्ट भी है अत: मौत मंजिल हो नहीं सकती..बूंद और…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
15 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी ख़ूब शेर कहे आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
15 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
15 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
15 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service