For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

‘गुनगुन करता गीत नया है’

गुनगुन करता गीत नया है,

क़दम बढ़ाता मीत नया है

*

दर्द दिखा हर ओर भरा है,

अचरज है हर पोर भरा है,

शब्दों में खामोशी जितनी,

भीतर उतना शोर भरा है।

कानों ने सुनकर उफ़ बोला,

अद्भुत और अतीत नया है।

*

काटे पग-पग जाले कितने,

और इरादे पाले कितने,

गिन पाने का धैर्य कठिन है,

पैरों में हैं छाले कितने।

कहा सभी, कुछ कह न सका,

अनुदित कर्णातीत नया है।

*

मानचित्र सी खिंची लकीरें,

लिखती हैं कैसी तकदीरें,

पढ़कर भी विश्वास न होता,

आँखों पर भी हैं जंजीरें।

भाव लेखनी लिख न सकी जो,

वह सब शब्दातीत नया है।

#

मौलिक/अप्रकाशित.

 

Views: 647

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 4, 2022 at 8:09pm

आदरणीय अशोक जी बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण गीत के लिए बधाई...

Comment by Ashok Kumar Raktale on September 26, 2022 at 11:14pm

आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर साहब सादर नमस्कार, प्रस्तुत गीत रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर

Comment by Ashok Kumar Raktale on September 26, 2022 at 11:13pm

आदरणीय सुशील सरना साहब सादर प्रस्तुत गीत रचना पर उत्साहवर्धन हेतु हृदय से आभार आपका. सादर

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on September 26, 2022 at 6:36pm

आदरणीय अशोक रक्ताले जी आदाब, उदाहरणीय गीत की रचना हुई है,

बधाई स्वीकार करें।

Comment by Sushil Sarna on September 26, 2022 at 2:03pm
वाह अनुपम अभिव्यक्ति आदरणीय अशोक रक्ताले जी । हार्दिक बधाई सर
Comment by Ashok Kumar Raktale on September 24, 2022 at 8:52am

इस रचना की सभी पंक्तियाँ 16 मात्रा पर हैं लेकिन ये पंक्ति :-

 'कहा सभी, कुछ कह न सका'--14 मात्रिक है ,देखिएगा I 

सादर नमस्कार आदरणीय समर कबीर साहब. जी ! असावधानीवश मात्राएँ कम रही हैं.कृपया इंगित पंक्ति को इसतरह पढ़ें / कहा सभी,  पर कह न सका वो,/ . प्रस्तुति पर उपस्थिति और त्रुटि इंगित करने के लिए आपका हृदय से आभार.सादर

Comment by Samar kabeer on September 23, 2022 at 7:43pm

जनाब अशोक रक्ताले जी आदाब, अच्छी रचना हुई है, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें I

इस रचना की सभी पंक्तियाँ 16 मात्रा पर हैं लेकिन ये पंक्ति :-

 'कहा सभी, कुछ कह न सका'--14 मात्रिक है ,देखिएगा I 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
10 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Jul 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Jul 3

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service