घर-घर रोशनी
एक नागरिक के रूप में हम सब सरकार से अधिकाधिक सुविधा चाहते हैं परंतु जब कर्तव्य-पालन की बात आती है हममें से अधिक्तर दुसरे की तरफ देखते हैं | जव फला व्यक्ति की ड्यूटी है अगर वो नहीं करता तो हम क्यों सिर-दर्द लें ?भले ही हम ना माने पर यही रवैया हमारे जीवन को प्रभावित करता है |हममे से जो भी लोग टैक्स देते हैं वे सभी सरकार और अन्य एजेंसीयों से आशा रखते हैं की हमे बेहतरीन सुविधा सरकार उपलब्ध कराए |हम सभी चाहते हैं की हमारी गलियाँ-सड़के-मेन-रोड रात्रि को प्रकाशमय रहें |और सरकार इस…
ContinueAdded by somesh kumar on October 16, 2014 at 11:30am — 3 Comments
*जीवन चुपके से बीत गया*
जीवन का जो पल बीत गया
जो पल जीने से शेष रहा
पहचान नहीं कर पाया मन,
पल धीरे धीरे रीत गया
जीवन .....
ऐसे जी लूँ वैसे जी लूँ
जीवन कैसे कैसे जी लूँ
तैयारी मन करता ही रहा,
रोज लिखूँ कोई गीत नया।
जीवन....
सब अंधी दौड़ के प्रतियोगी
योगी मन भी बनते भोगी
अजब निराली मन की तृष्णा,
जब भी जीती मन भीत गया।
जीवन.....
खुद को जानूँ जग को मानूँ
जीवन रहस्य सब पहचानूँ
जग सृजक…
Added by seemahari sharma on October 16, 2014 at 10:30am — 18 Comments
2122 2212 22
फिर अमावस की रात आनी है
हमने भी पर लड़ने की ठानी है
है अँधेरा औ चाँद खोया फिर
ये तो पहचानी इक कहानी है
रात आएगी जग छुपा लेगी
धरती दीपक से जगमगानी है
ऐ खुदा तुमने तो सजा दी थी
प्रेम की ये भी इक निशानी है
गम के भीतर ही सुख छुपा होगा
बात ये भी तो जानी मानी है
बीज सूरज के आओ बो दें फिर
खेती आतिश की लहलहानी है
चल अमावस को फिर बना पूनम
ये तो आदत तेरी पुरानी है ।…
Added by Poonam Shukla on October 16, 2014 at 10:00am — 5 Comments
पंख नहीं है उड़ान चाहता हूँ,
नापना गगन वितान चाहता हूँ ।
फुनगियों पर अँधेरा है
आसमान में पहरा है।
जवाब है जिसको देना
वो हाकिम ही बहरा है।
तमस मिटे नव विहान चाहता हूँ।
पंख नहीं है उड़ान चाहता हूँ ,
नापना गगन वितान चाहता हूँ।
अंबर कितना पंकील है,
धरा पर लेकिन सूखा है।
दल्लों के घर दूध मलाई,
मेहनत कश पर भूखा है।
पेट भरे ससम्मान चाहता हूँ।
पंख नहीं है उड़ान चाहता हूँ ,
नापना गगन वितान चाहता…
Added by Neeraj Neer on October 16, 2014 at 9:07am — 14 Comments
"भैया डीजल देना"
"कितना दे दूँ भाईसाब ?"
"अरे भैया दे दो दस पन्द्रह लिटर, देख ही रहे हो आजकल लाईट कितनी जा रही है| रोज-रोज दूकान के चक्कर कौन लगाये|"
"हा भाईसाब इस सरकार ने तो हद कर दी है|" जैसे उसके दुःख में खुद शामिल है दूकानदार
शाम को वही दूकानदार आरती करते वक्त- "हे प्रभु अपनी कृपा यूँ ही बनाये रखना| यदि साल भर भी ऐसे ही…
Added by savitamishra on October 15, 2014 at 10:30pm — 21 Comments
बचो इस से कि ये आफत बुरी है
नशा कैसा भी हो आदत बुरी है
पतन की ओर गर जाने लगे हो
यकीनन आपकी संगत बुरी है
कि सिगरेट मदिरा गुटका या कि खैनी
किसी भी चीज़ की चाहत बुरी है
हमें मालूम है मरना है इक दिन
मगर इस मौत की दहशत बुरी है
कमाया है जिसे इज्ज़त गँवा कर
अजय अज्ञात वो दौलत बुरी है
मौलिक व अप्रकाशित
Added by Ajay Agyat on October 15, 2014 at 5:30pm — 3 Comments
तेरी सूरत बहुत खूबसूरत सही
तेरी सूरत सी कोई भी सूरत नहीं
तेरी सूरत से जो रूबरू हो गया
उसके बचने की कोई सूरत नहीं I
तेरी सूरत के जलवे फिजाओं में है
तेरी सूरत की चर्चा हवाओं में है
तेरी सूरत में है जैसी मस्ती भरी
वैसी कोई अजंता की मूरत नहीं I
तेरी सूरत में गंगा की पाकीजगी
तेरी सूरत में आशिक की आवारगी
तेरी सूरत ही सूरत ख्यालों में है
तुझसे मिलने का कोई महूरत नहीं…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 15, 2014 at 5:00pm — 10 Comments
हट गया तूफ़ान जुल्मत वो कहानी है नहीं.
हो गये आज़ाद हम सब अब गुलामी है नहीं.
फूट के कारण हमेशा लुट रहा हिन्दोस्तां,
बँट गए टुकड़े अलहदा एकनामी है नहीं.
ये मुसल्माँ वो है हिन्दू धर्म ये किसने गढ़े,
भेद इंसानों में करते धूप पानी है नहीं.
स्वर्ण पंछी देश था ये जानता सारा जहाँ,
आज वो वैभव पुनः पाने की ठानी है नहीं.
मुल्क को नीलाम करते देश के गद्दार ये,
कोई नेता देश सेवक खेजमानी है…
ContinueAdded by harivallabh sharma on October 15, 2014 at 3:00pm — 8 Comments
विश्वविख्यात संस्था के दो स्वामी जी मेरे घर पधारे ।
मैने आवभगत के पश्चात प्रश्न किया ; "महाराज आपको स्वामी क्यों कहा जाता है? "
उन्होने कहा; "जो अपने मैं का अर्थात् अहं का स्वामी हो। जिसे संसार के छल-छद्म डिगा न सके। जो गुणातीत हो, भावातीत हो। जिसे आत्मज्ञान हो गया हो वह स्वामी कहलाता है।"
"ओह ! कितने पहुँचे हुये हैं साधु-महाराज हैं।तुरीयावस्था को प्राप्त ।" मैं श्रद्धा से नत-मस्तक ।
थोडे दिन बाद सुना कि उनमें से एक स्वामी जी ने नाराज़ होकर दूसरा आश्रम स्थापित कर…
Added by Dr.sandhya tiwari on October 15, 2014 at 2:30pm — 7 Comments
बहू के बदन पर देख,
Added by संदेश नायक 'स्वर्ण' on October 15, 2014 at 11:27am — 6 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 15, 2014 at 10:30am — 9 Comments
इश्क बेक़रार करता,खूब बेक़रार करता,
कहते मर जायेंगे,न कोई बेक़रार मरता।
तौबा करेंगे, हद हो गयी राह तकने की,
मुरीद-ए-इश्क,बे-इंतहा इन्तजार करता?
हुआ-सो-हुआ,न करेंगे इश्क,खूब अकड़ता,
क्या पता फिर क्यूँ इश्क बार-बार करता?
मरने की ख़्वाहिश कहीं पालता है कोई?
कैसे कहें क्यूँ इश्क पर बार-बार मरता?
इश्क का कायल,कह देते,टूट जाता आदमी,
पर,दिखता खुद से लड़ता,सरहदों पे मरता।
*"मौलिक व अप्रकाशित"
Added by Manan Kumar singh on October 15, 2014 at 8:30am — 4 Comments
अभी हांथों की मेहँदी भी नहीं सूखी थी और ये हादसा |
" भगवान को यही मंजूर था " , लोग दिलासा दे रहे थे |
" लेकिन जिस भगवान को ये मंजूर था वो भगवान हमें मंजूर नहीं ", और उसके मन के भाव दृढ हो गए |
मौलिक एवम अप्रकाशित
Added by विनय कुमार on October 14, 2014 at 9:55pm — 8 Comments
जीते जी जिन्दगी खत्म नहीं होती
सिर्फ एक अध्याय खत्म होता है
जब तक एक भी साँस है
हौसले हैं
तब तक रास्ते हैं
कहीं भी, किसी पल
किसी भी मोड़ पर
नई शुरूआत हो सकती है
मिटा देता है वक्त गुज़रते-गुज़रते
पुरानी लिखावट को
और एक कोरा पन्ना छोड़ जाता है
आते-आते
वही वक्त एक और मौका देता है
कि उसी कोरे पन्ने पर
फिर अपनी ज़िन्दगी लिखें
फिर शुरूआत करें
(मौलिक व…
ContinueAdded by शिज्जु "शकूर" on October 14, 2014 at 9:33pm — 12 Comments
वाहनों से भरी सडक पर एक बाबा पैदल चले जा रहा था .. उसके चेहरे से साफ पता चल रहा था की वो थक गया है और सहायता चाहता है , थके होने की वजह से वो बार बार मुड के पीछे देख रहा था !
आगे का रास्ता किसी वाहन पर करने की उम्मीद लिए जिसको भी हाथ देता वो उसको अनदेखा कर आगे निकल जाता ..मायूसी चेहरे पर थी पर बिना रुके चल भी रहा था ...
इस आपा धापी की जिंदगी में सबको जल्दी है पर कुछ दूर अगर छोड़ा जाता तो कुछ जाता नहीं उल्टा हमें जो आशीर्वाद मिलता वो जरूर फलता....जो शायद मेरे भाग्य में…
ContinueAdded by Alok Mittal on October 14, 2014 at 6:00pm — 7 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on October 14, 2014 at 3:27pm — 14 Comments
"क्या बताऊँ मेरा कुत्ता टाॅमी दो दिन से बीमार है, बचा हुआ सारा खाना फेंकना पडता है "
"अरे बो मेरी बर्तन चौका बाली महरी को दे देना वह बासा कूसा सब खा लेती है। दुआ देगी, तुम्हे पुण्य लाभ होगा।"
पडोस की भाभी ने गम्भीरता से कहा ।
डाॅ संध्या तिवारी
Added by Dr.sandhya tiwari on October 14, 2014 at 1:00pm — 10 Comments
सूनी पड़ीं हैं कब से, रिश्तों की महफ़िलें ये,
आओ हम तुम मिल के, ये महफ़िलें सजा दें।
छेड़ी जो तान तुमने, मायूसी के शहर में,
हम भी हंसी की छोटी सी डुगडुगी बजा दें॥
बंद हैं दरवाजे, बहरों की बस्तियों में,
तो हम भी बन के गूंगे, इन्हें कोई सदा दें।
कुछ ग़म की है उधारी, कुछ क़र्ज़ बेबसी का,
दे बेक़सी के सिक्के, ये क़र्ज़ कर अदा दें॥
खाते लज़ीज़ व्यंजन, समझोगे क्या ग़रीबी,
होता नहीं निवाला, किसी भूखे को खिला दें।
सर पर हमारे बैठे, हैं…
Added by संदेश नायक 'स्वर्ण' on October 14, 2014 at 10:00am — 8 Comments
"पापा ,आपको अब हमारे यहाँ दो महीने हो गए हैं, अब छोटू का नंबर है !आपकी टिकट करवा दी है !"
"ठीक है ,बेटा !"
(मौलिक एवं अप्रकाशित )
Added by Neeles Sharma on October 14, 2014 at 7:00am — 13 Comments
1.
नफरतों का सिलसिला चारों तरफ है
फिर चुनावों की हवा चारों तरफ है
दौर फिर हैवानियत का आ गया लो
आदमीयत गुमशुदा चारों तरफ है
है मुकर्रर दिन क़यामत का सुना था
हाँ इसी की इब्तदा चारों तरफ है
छिड़ गई है जंग फिर से भाइयों में
इक महाभारत नया चारों तरफ है
दानवों ने शोर कितना फिर मचाया
मौनधारी देवता चारों तरफ है
ज़िंदगी से भागकर जायें कहाँ हम
मौत से बढ़कर कज़ा चारों तरफ…
ContinueAdded by khursheed khairadi on October 13, 2014 at 10:30pm — 7 Comments
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