For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Featured Blog Posts – December 2011 Archive (11)


सदस्य टीम प्रबंधन
फुलकी

(छंद - दुर्मिल सवैया)

जब मौसम कुंद हुआ अरु ठंड की पींग चढी, फहरे फुलकी

कटकाइ भरे दँत-पाँति कहै निमकी चटखार धरे फुलकी

तब जीभ बनी शहरी नलका, मुँह लार बहे, लहरे…

Continue

Added by Saurabh Pandey on December 31, 2011 at 2:00pm — 58 Comments

मै चलने के लिए बना था मै उड़ न सका

रुकना साँस लेना मेरी ज़रूरत थी
जब भी मै रुका
दुनिया ने कहदिया मै पीछें रह गया
मै चलने के लिए बना था
वो कहते रहे मै उड़ न सका
 
विचार बीज थे
मै मिट्टी था
दुनिया से अलग सोचता
मै मिट्टी था
बारिश की बूदों पड़े तो मै खुशबू
सूरज की रोशनी में जादू
की विचारों में जिंदगी भर दू
उपजाऊ था
पर था तो मै मिट्टी ही
कइयो ने…
Continue

Added by shashiprakash saini on December 29, 2011 at 8:42am — 8 Comments

आत्मविस्मरण

आत्मविस्मरण

 

विद्युत सी तरंग ,

कम्पन का भूकंप ,

स्पर्श नहीं आग !

मन से तन तक जाग !

सांसों में उच्छ्वास,

एक एहसास ...

 

होश नहीं,

जान बही !

कम्पित होठों की प्यास,

एक एहसास ...

 

हाथों में नर्म बारूद,

बारूद मुख  में,

विस्फोट नस नस में !

बढ़ी प्यास,

एक एहसास ...

 

रिक्तता उभय ओर,     

पूर्णता पे जोर,

साँसों का…

Continue

Added by Dr Ajay Kumar Sharma on December 28, 2011 at 4:32pm — 2 Comments

हर खुशी मिल गई मेरे दिल की...

बढ़ गई तिश्नगी मेरे दिल की,
आग सी जल गई मेरे दिल की।

वस्ल में कशमकश जगा बैठी,
धड़कनें खौलती मेरे दिल की।

फासले थे तो पुरसुकूँ दिल था,
साँस मिल के रुकी मेरे दिल की।

उसकी पलकें हया से हैं झिलमिल,
जूँ ही क़ुरबत मिली मेरे दिल की।

कँपकपाते लबों पे नाम आया,
फाख्ता है गली मेरे दिल की।

अब हमें रोकना है नामुमकिन,
धड़कनें कह रही मेरे दिल की।

फासले कुरबतों में यूं बदले,
मिल गई हर खुशी मेरे दिल की।

Added by इमरान खान on December 19, 2011 at 8:00am — 3 Comments

वृद्ध और वृक्ष



यह कविता अब से १० वर्ष पूर्व मैंने इस प्रेरणा के साथ लिखी है कि मानव अपने थोड़े से सुकृत्य का बखान कर अपनी तमाम बुराइयों को उसके अंदर ढँक लेना चाहता है परन्तु कोई हस्तक्षेप उसको आइना दिखाकर एकदम से धरातल दिखा देता है| इसी परिपेक्ष्य में इस कविता को देखना चाहिए और जिस भाव से ये पंक्तियाँ लिखी गई हैं उसी भाव से यदि पाठक तक पहुँच जाएँ तो इन पंक्तियों का लेखन सार्थक होगा|…


Continue

Added by Mukesh Kumar Saxena on December 17, 2011 at 7:27pm — 3 Comments

वो प्यार भरे पल

वो पल सबसे अच्छे थे

जो गुज़रे थे तेरी बाहों में ।

खयालों में उन पलों को जी लेती हूँ

उन सांसों की सरगम से

मन को भिगो लेती हूँ

वो पल वापस नहीं लोटेंगे, मुझे पता है

उन स्मृतियों से आँखों को

नम…

Continue

Added by mohinichordia on December 17, 2011 at 3:30pm — 3 Comments

एक मुट्ठी धूप

तुम्हे शिकायत है

इस गहरे अँधेरे से ,

पर क्या तुमने कोशिश की

एक दिया जलाने की ?

या मेरे हाथों से हाथ मिलाकर

बनाया कोई सुरक्षा घेरा

कुछ जलते दीयों को

हवा से बचाने के लिए ?

 

नही न ?

 

कोई बात नहीं !

अभी सूखा नही है

समय का फूल !

 

चलो ढूँढे !

समंदर में डूबे सूरज को ,

इकठ्ठा करें

एक मुट्ठी धूप ,

उछाल दें पर्वतों पर ,

घाटियों में भी !

खिला…

Continue

Added by Arun Sri on December 16, 2011 at 12:30pm — 26 Comments

निभा पाओगे

निभा पाओगे 

लाख चाहकर भी मुझे न तुम बुझाओगे

तुम अंधेरों में रहोगे जो न जलाओगे
मेरी तकदीर में लिखा था जलो सबके लिए
दर्द के किस्से…
Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on December 16, 2011 at 12:30pm — 12 Comments

दहेज़ में,,,,,,,,

हंसना मना है,,,,,,,,



सामान एक से एक, आला दहेज़ में मिला !

बहरी बीबी गूंगा, साला मिला है दहेज़ मॆं !!१!!



एक आंख नकली है,एक टांग सॆ भी लंगड़ा,

है रंग चॊखा भुजंग काला, मिला है दहॆज़ मॆं !!२!!



नागिन कॊ मात दॆती हैं मॆरी तीनॊं सालियां,

ससुरा भी नशॆड़ी मतवाला,मिला है दहॆज़ मॆं !!३!!



मॆज़बानी मॆं पहलॆ दिन, दारू ठर्रा मिली थी,

बिदाई मॆं एक पटियाला, मिला है दहॆज…
Continue

Added by कवि - राज बुन्दॆली on December 16, 2011 at 11:00am — 2 Comments

माहो-अख्तर के बिना आसमां हूँ मैं ,

माहो-अख्तर के बिना आसमां  हूँ मैं ,

.यादों की बिखरी हुई कहकशां हूँ मैं |



अपने खूं से लिखी हुई दास्ताँ हूँ मैं |

पढने वालों के लिए  इम्तहाँ हूँ मैं |

.

चाहे जिसको लूटना ये ज़हाँ सारा…

Continue

Added by Nazeel on December 15, 2011 at 12:00pm — 4 Comments

एक ग़ज़ल

जब कभी भी आजमाया जायेगा  

आदमी औकात पर आ जायेगा

शख्सियत औ कद बड़ा जिस का मिला 

वो यकीनन बुत बनाया जायेगा 

क़ैद कर मेरी सहर की रोशनी 

भोर का तारा दिखाया जायेगा 

जिद पे गर बच्चा कोई आ ही गया 

चाँद थाली में सजाया जायेगा 

गर वो वादों पर यकीं करने लगे 

उस से रोज़ी पर न जाया जायेगा 

फ़र्ज़दारी का सिला जो दे चुके

कत्लगाहों में बसाया जायेगा

ये जहां तो इक मुसलसल मांग…

Continue

Added by ASHVANI KUMAR SHARMA on December 8, 2011 at 11:00am — 7 Comments

Featured Monthly Archives

2025

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
27 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
33 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
36 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
49 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
55 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
16 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
19 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service