For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पर्यावरण संरक्षण से सम्बंधित दोहे

वृक्षों को मत काटिए, वृक्ष धरा शृंगार.

हरियाली वसुधा रहे, बहे स्वच्छ जलधार..

 

नदियाँ सब बेहाल हैं, इन पर दे दें ध्यान.  

कचरा निस्तारित करें, बन जाएँ इंसान..

 

जैविक खेती है भली, धरती हो आबाद. 

गोबर को अपनाइए, बचे रसायन खाद..

 

अदरक गमलों में उगे, उगें टमाटर लाल.

छत पर खेती भी करें, जीवन हो खुशहाल..

 

इसे आज ही त्यागिये, कभी न होती नष्ट.

पोलिथिन या प्लास्टिक, धरती को दे कष्ट..

 

कीट नाशकों का ज़हर, वार करे यह गुप्त.

पशु पक्षी बेहाल हैं, आज हुए कुछ लुप्त..

 

दूध पिलाते जो हमें, वही बने आहार.

इनसे कैसी दुश्मनी, क्यों होता संहार..

--अम्बरीष श्रीवास्तव  

Views: 13219

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ganesh lohani on September 17, 2012 at 3:33pm

Comment by ganesh lohani on August 9, 2012 at 1:45pm


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 8, 2012 at 8:57pm

भाई गणेशलोहानी जी के चित्र ने साबित कर दिया कि प्रत्यक्ष को प्रमाण की क्या जरूरत .. !!

वाह ! बहुत ही प्रेरणादायी चित्र हैं साथ ही साथ दोहों को संतुष्ट करते हुए भी हैं. भाई गणेशजी बहुत खूब ! 

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 8, 2012 at 8:26pm

स्वागत है आदरणीय गणेश लोहानी साहब ! आपका हार्दिक आभार मित्र ! खूबसूरत चित्र पोस्ट करने के लिए हार्दिक धन्यवाद !

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 8, 2012 at 8:25pm

स्वागत संजय आपका, सुंदर अपना देश.

हरी भरी धरती रहे ,  सुधरे यह परिवेश.

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 8, 2012 at 8:22pm

स्वागत है भाई संदीप जी ! हार्दिक आभार मित्रवर !

Comment by Er. Ambarish Srivastava on August 8, 2012 at 8:22pm

प्रणाम ! आदरणीय लक्ष्मण  प्रसाद जी ! हार्दिक आभार मित्र !

Comment by ganesh lohani on August 8, 2012 at 1:53pm

अदरक गमलों में उगे, उगें टमाटर लाल.

छत पर खेती भी करें, जीवन हो खुशहाल

आदरनीय अम्बरीश जी सादर नमस्कार बहुत सुन्दर दोहों की रचना आपका पर्यावरण प्रेम तो झलक ही रहा साथ ही बहुउपयोगी भी हैं | आपके आदेश का पालन कर मेनें भी अपने छत की छोटी बगिया में

भिन्डी तोरी गमले में उगाये , लौकी बेंगन होरही तेयार

हर रोज पुदीना मिलता घर है खुशहाल

Comment by ganesh lohani on August 8, 2012 at 1:42pm

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on August 2, 2012 at 7:04pm

धरती खोती जा रही, पल पल अपना वेश.

हर दोहा है दे रहा, हितकारी सन्देश

खुबसुरत छंदमय आह्वान में आपके साथ आदरणीय अम्बरीश भईया...

सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
2 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service