Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on July 26, 2015 at 9:52pm — 12 Comments
है सजी महफ़िल यारों
फिर से जख्मों को उठाओ
याद फिर कर लो उसे
जिससे मोहब्बत की थी यारों
फिर वही कुछ हँसते गाते
रुठते और फिर मनाते
अश्क़ जब आँखों में आये
गीत बन जब दर्द जाये
जख्म तुम सबको दिखाओ
फिर वही अपनी पुरानी
सुनो-सुनाओ, दर्द घटाओ
अपनी अपनी प्रेम कहानी |
उसको भी बतलाओ यारों
वो कहाँ और हम कहाँ हैं
हमने तो जख्मों को अपने
जीने का जरिया बनाया
गिर के खुद संभले जहाँ…
ContinueAdded by maharshi tripathi on July 22, 2015 at 7:00pm — 11 Comments
Added by Rahul Dangi Panchal on July 18, 2015 at 11:58pm — 4 Comments
मनवा गाये, मनवा गाये,
मोरा मनवा गये रे
इक गौरैया घर में आई
चुन-चुन तिनका नीड़ बनायी
किया है उसने प्रियतम संग फिर
प्रेम सगाई रे
मनवा गाये मनवा गाये ................
इत्-उत् मटक-मटक दिखलाती
पिया को अपने खूब रिझाती
नित अठखेलियाँ करते दोनों
ज्यूँ भँवर बौराई रे
मनवा गाये ..................................
इक दूजे रंग रंगने लगे थे
प्रणय निवेदन करने लगे थे
आने को थी संतति उनकी
हुए सुखारे रे…
Added by Meena Pathak on July 7, 2015 at 10:05pm — 7 Comments
कोई मांग रहा,
कोई छीन रहा।
तेरा मेरा करता मानव,
सब पा कर भी क्यों दीन रहा।
पत्थर युग से,
मंगल युग तक।
सूरत बदली मूरत बदली,
मन से फिर भी हीन रहा।
छू ले चांद,
कई बार भले।
पर धरती की अनदेखी है,
जहां बचपन कूड़ा बीन रहा।
क्षण भर 'देवी',
फिर खेल खिलौना।
धरा गगन को रोना आया,
तू ईश होकर भी,
समाधि में ही लीन रहा।
जीत लिया जग,
बना सिकंदर।
जाते जाते अपने दो क्षण,
विश्व विजेता मुर्दो…
Added by VIRENDER VEER MEHTA on June 2, 2015 at 7:00pm — 17 Comments
रोक नदिया
तोड़ पर्वत
तू धरा को क्या बनाता
पूछता है , अब विधाता
देख कुल्हाड़ी चलाता
कौन अपने पाँव में ही
कंटकों के बीज बोता
रास्तों में , गाँव मे ही
व्यर्थ सपनों के लिये क्यों आज के सच को गवांता
तू धरा को क्या बनाता , पूछता है अब विधाता
इक नियम ब्रम्हाण्ड का है
ग्रह सभी जिसमें चले हैं
है धरा की गोद माँ की
खेल जिसमे सब पले हैं
माँ पहनती उस वसन में , आग कोई है लगाता
तू धरा…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on May 14, 2015 at 9:21am — 21 Comments
Added by विवेक मिश्र on April 27, 2015 at 8:30am — 9 Comments
तुम दीया हो तो मुझे बाती बनना होगा
तेरा साथ पाने को चाहे मुझे जलना होगा !
तुम अगर रात हो तो मुझे अँधेरा बनना होगा
तुम से मिलने को मुझे सवेरों से लड़ना होगा !
तुम ग़र दरिया हो तो मुझे समन्दर बनना होगा
तुमको फिर मुहब्बत में मुझ से मिलना होगा !
तुम अगर हवा हो तो मुझे धूल बनना होगा
मुझे आगोश में ले आँधियों में तुम्हें उड़ना होगा !
तुम अगर चाँद हो तो मुझे चकोरी बनना होगा
तुमको हर रात मेरा मिलन का गीत सुनना होगा…
Added by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on April 20, 2015 at 1:25pm — 16 Comments
क्या ये मेरा वही गाँव है
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क्या ये मेरा वही गाँव है
सूरज अलसाया निकला है
मुर्गा बांग नहीं देता है
नहीं यहाँ चिड़ियों की चीं चीं
ना कौवे की काँव काँव है
क्या ये मेरा वही गाँव है
दो पहरी सोई सोई है
दिवा स्वप्न में कुछ खोई है
यहाँ धूल में सनी…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on April 12, 2015 at 9:32am — 22 Comments
मैं हूँ बीमारे गम लेकिन ऐसा नहीं,
जैसे जुल्फ से जुल्फ टूटकर गिर पड़े !
मेरा दिल कांच की चूड़ियां तो नहीं,
एक झटका लगे टूटकर गिर पड़े !
मैं हूँ बीमारे गम …………
मेरे महबूब ने मुस्कराते हुए ,
नकाब चेहरे से अपने सरका दिया !
चौदहवीं का चाँद रात शरमा गया,
चौदहवीं का चाँद
जितने तारे थे सब टूटकर गिर पड़े !
मैं हूँ बीमारे गम …………
जिक्र जब छिड़ गया उनकी अंगडाई का,
शाख से फूल यूँ ,टूट कर गिर पड़े…
ContinueAdded by Hari Prakash Dubey on March 26, 2015 at 9:00am — 16 Comments
मेरी ज़िन्दगी तुम हो ,मेरी बंदगी तुम हो
मेरे आँखों की पानी तुम हो
मेरे ख्वाबों की रानी तुम हो
मेरे दर्द की कहानी तुम हो
हाँ तुम हो ,
मेरी ज़िन्दगी तुम हो ,मेरी बंदगी तुम हो |
तुझसा कोई न आये
गर आये तो फिर न जाये
तेरे बिन जिया न जाये
ये दिल पाये जिसे पाये ,तुम हो
हाँ तुम हो
मेरी ज़िन्दगी तुम हो ,मेरी बंदगी तुम हो |
हर जगह से था मैं हारा
था मैं वक़्त का मारा
मुझे मिला…
ContinueAdded by maharshi tripathi on March 13, 2015 at 10:42pm — 11 Comments
छाई रंगों की मधुर फुहार
रंगीली आई होली
सखी री आई होली
अंग सजन के रंग लगाऊँ
मन ही मन में खूब लजाऊँ
फगुनिया चलती बयार
सखी री आई होली
नेह में डूबी पवन बावरी
मन मंदिर में पी छवि सांवरी
नथुनिया की होठों से रार
सखी री आई होली
शाम सिंदूरी अति हर्षाये
अखियों से मदिरा छलकाए
चंदनियाँ करे मनुहार
सखी री आई होली
चम्पा चमेली गजरे में महके
दर्पण देख के मनवा…
ContinueAdded by kalpna mishra bajpai on February 27, 2015 at 8:00am — 18 Comments
मैं उसे देखकर मुस्कराता रहा,
वो मुझे देखकर मुस्कराती रही।
उस कहानी का किरदार मैं ही तो था,
जो कहानी वो सबको सुनाती रही।।
मैं चला घर से मुझ पर गिरीं बिजलियां
बदलियां नफरतों की बरसने लगीं,
बुझ न जाए दिया इसलिए डर गया
देखकर आंधियां मुझको हंसने लगीं,
दुश्मनी जब अंधेरे निभाने लगे
रोशनी साथ मेरा निभाती रही,
मैं उसे देखकर मुस्कराता...
प्यास तुमको है तुम तो हो प्यासी नदी
एक सागर को क्या प्यास होगी भला,
हां अगर तुम…
Added by atul kushwah on February 12, 2015 at 10:00pm — 14 Comments
सुख-दुःख तो आते जाते हैं...................................
सुख-दुःख तो आते जाते हैं, राही मत घबरा जाना रे !
जीवन की गहरी नदियाँ में, हँसकर पतवार चलाना रे !
हमने कुछ देखी रीत यहाँ,..................................
हमने कुछ देखी रीत यहाँ, श्रम से ही सब कुछ मिलता है !
ईमान –धरम के काँटों में, तब फूल मुकद्दर खिलता है !
दौलत तो आनी जानी है.................................
दौलत तो आनी जानी है, ना मन इसमें उलझाना रे…
ContinueAdded by Hari Prakash Dubey on January 20, 2015 at 6:00pm — 21 Comments
अखण्ड आर्यावर्त की, उमंग वंदे मातरम् !
सुना रही है गंग की, तरंग वंदे मातरम् !!
बुद्ध-कृष्ण-राम की, पुनीत –भूमि पावनी !
सुहार्द सम्पदा अनन्त, श्ष्यता संवारती !
सतार्थ धर्मं युद्ध में, सशक्त श्याम सारथी !
परार्थ में दधीचि ने, स्वदेह भी बिसार दी !!
निनाद कर रही उभंग, बंग वंदे मातरम् !
सुना रही है गंग की, तरंग वंदे मातरम् !!
धर्मं-जाति-वेश में, जरूर हम अनेक हैं !
परम्परा अनेक और बोलियाँ अनेक हैं…
ContinueAdded by Hari Prakash Dubey on January 16, 2015 at 12:30am — 20 Comments
नाम तुम्हारे दीवारों पे लिख छोड़ा सन्देशा
तुम भी लिखना खत मुझको,जो इसको देखा
अंजान नगर,अंजान डगर तुम बिल्कुल अन्जानी
पर अपने ठोढ़ी के तिल से जाती हो पहचानी
जब हंसती हो गालों पे खिंच जाती है रेखा |
नाम तुम्हारे..........
गोरी कलाई में पहने थी तुम कंगन काला
बालों की लट ऐसे बिखरे जैसे हो मधुबाला
जिससे बोलोगी वो तुम पे जान लुटा ही देगा |
नाम तुम्हारे ..........
खन-खन करती बोली तुम्हारी जैसे चूड़ी…
ContinueAdded by somesh kumar on January 13, 2015 at 11:00pm — 9 Comments
Added by Rahul Dangi Panchal on January 6, 2015 at 10:30pm — 11 Comments
तू प्यार की राहों में चलना
बस प्यार ही जिंदगी होवे
तू यार तो सच्चा न हो
पर प्यार तो सच्चा होवे,-2
तू देख के लगे फकीरा
पर दिल का फ़कीर न होवे,
तू यार तो सच्चा न हो
पर प्यार तो…
ContinueAdded by Hari Prakash Dubey on December 28, 2014 at 10:00pm — 14 Comments
नया कहूँ तो, वैसे तो हर पल होता है
नया जागता तब है जब पिछला सोता है
पर सोचो तो नया , नये में क्या होता है
हर पल पिछला, आगे को सब दे जाता है
आने वाला नया, नया कब रह पाता है
वही गरीबी , भूख , वही है फ़टी रिदायें
वही चीखती मायें , जलती रोज़ चितायें
वही पुराने घाव , वही है टीस पुरानी
वही ज़हर, बारुद, धमाका रह जाता है
आने वाला नया, नया कब रह पाता है
वही अक़्ल के अंधे , जिनके मन जंगी…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on December 21, 2014 at 11:48am — 25 Comments
बर्तन भांडे चुप चुप सारे
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बर्तन भांडे चुप चुप सारे
चूल्हा देख उदासा है
टीन कनस्तर खाली खाली
माचिस देख निराशा है
लकड़ी की आँखें गीली बस
स्वप्न धूप के देख रही
सीली सीली दीवारों को
मन मन में बस कोस रही
पढा लिखा संकोची बेलन
की पर सुधरी भाषा है
बर्तन भांडे चुप चुप सारे
चूल्हा देख उदासा है
स्वाभिमान बीमार पडा है
चौखट चौखट घूम रहा
गिर…
ContinueAdded by गिरिराज भंडारी on December 17, 2014 at 11:00am — 26 Comments
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