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गीत -- पूछता है अब विधाता - ( गिरिराज भंडारी )

रोक नदिया

तोड़ पर्वत

तू धरा को क्या बनाता

पूछता है , अब विधाता

 

देख कुल्हाड़ी चलाता 

कौन अपने पाँव में ही

कंटकों के बीज बोता

रास्तों में , गाँव मे ही

व्यर्थ सपनों के लिये क्यों आज के सच को  गवांता

तू धरा को क्या बनाता , पूछता है अब विधाता

 

इक नियम ब्रम्हाण्ड का है

ग्रह सभी जिसमें चले हैं

है धरा की गोद माँ की

खेल जिसमे सब पले हैं

माँ पहनती उस वसन में , आग कोई है लगाता 

तू धरा को क्या बनाता , पूछ्ता है अब विधाता

 

है सरलता, राज पथ सी

है तरलता एक  सच ही         

क्या विनाशक सर चढ़ा बन

चुन लिया है  पर कुपथ ही

क्यों सहज से रास्ते पर  तू अभी भी चल न पाता

तू धरा को क्या बनाता , पूछता है अब विधाता

******************************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 26, 2015 at 11:46pm

आदरणीय गिरिराजभाईजी, आपके इस गीत की सार्थकता को लेकर कोई संदेह ही नहीं है. आपने आज की प्राकृतिक अव्यवस्था के कारणों को गहनता से समझ कर उन्हें गीतात्मक स्वरूप दिया है. हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय.
शुभेच्छाएँ

Comment by Satyanarayan Singh on May 17, 2015 at 10:49am

इस सुन्दर मनभावन गीत हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें आ. 

Comment by Shyam Narain Verma on May 16, 2015 at 12:08pm
बहुत सुन्दर मनभावन गीत .. बधाई 
Comment by Hari Prakash Dubey on May 16, 2015 at 9:20am

आदरणीय गिरिराज  भंडारी सर  सुन्दर प्रस्तुति ,इन पंक्तियों पर विशेष ध्यान आकर्षित हो रहा है

इक नियम ब्रम्हाण्ड का है

ग्रह सभी जिसमें चले हैं

है धरा की गोद माँ की

खेल जिसमे सब पले हैं

माँ पहनती उस वसन में , आग कोई है लगाता 

तू धरा को क्या बनाता , पूछ्ता है अब विधाता.........शानदार , हार्दिक बधाई सर ! सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 15, 2015 at 10:41pm

आदरनीय समर कबीर भाई , रचना की सराहना के लिये आपका आभारी हूँ ॥

Comment by Samar kabeer on May 15, 2015 at 10:35am
जनाब गिरिराज भंडारी जी ,आदाब,इस सुन्दर और सार्थक रचना के लिये दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 15, 2015 at 10:05am

आदरणीय मिथिलेश भाई , गीत को पसंद करने के लिये आपका बहुत आभार ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 15, 2015 at 10:04am

आदरणीय श्री सुनील भाई , गीत की सराहना के लिये आपका अभारी हूँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 15, 2015 at 10:03am

आदरणीय आशुतोष भाई , आपका बहुत बहुत आभार ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 15, 2015 at 10:02am

आदरणीय कृष्णा भाई , आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥

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