For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

All Blog Posts (19,126)

चाँद

पेड़ों के झुरमुट में
छुप छुप भरमाता है
मेघों के अंचल में
अटक अटक जाता है
यायावर सा फिरता
 मतवाला चाँद
उषा- रश्मियों से घिर
 धुंधलाता जाता है
 अरुणाभा में, नभ की
डूबता- उतराता है
चलाचली की बेला 
कहता सूरज को विदा 
पवन से पराग की
पीकर हाला चाँद


Added by Vinita Shukla on September 9, 2012 at 9:43pm — 3 Comments

जल सत्याग्रह

--------२२७

ख़राब ग्रह!!

ये जल सत्याग्रह…

Continue

Added by AVINASH S BAGDE on September 9, 2012 at 5:27pm — No Comments

राज़ नवादवी: मेरी डायरी के पन्ने- ३७ (मेरी बेटियों की जोड़ी को लिखा एक पत्र )

राज़ नवादवी: मेरी बेटियों की जोड़ी को एक पत्र

-------------------------------------------------- -----------

 

मेरी प्यारी बेटियों साशा और नाना,

 

मुझे आप दोनों की दुनियावी तकलीफों और दर्द के बारे में जानकार बहुत दुःख है. मुझे ऐसा लगता है कि घर से मेरा मुसलसल (लगातार) दूर रहना भी इनकी एक वजह है, मगर शायद फिलहाल मेरी ज़िंदगी कुछ ऐसी है कि इसमें जुदाई और फुर्कत (विरह) का साथ अभी और बाकी है.

 

मेरी दरख्वास्त है कि कभी अपना हौसला मत खोना क्यूंकि…

Continue

Added by राज़ नवादवी on September 9, 2012 at 2:03pm — No Comments

राज़ नवादवी: मेरी डायरी के पन्ने- ३७ (मेरी बेटियों की जोड़ी को लिखा एक पत्र )

राज़ नवादवी: मेरी बेटियों की जोड़ी को एक पत्र

-------------------------------------------------- -----------

 

मेरी प्यारी बेटियों साशा और नाना,

 

मुझे आप दोनों की दुनियावी तकलीफों और दर्द के बारे में जानकार बहुत दुःख है. मुझे ऐसा लगता है कि घर से मेरा मुसलसल (लगातार) दूर रहना भी इनकी एक वजह है, मगर शायद फिलहाल मेरी ज़िंदगी कुछ ऐसी है कि इसमें जुदाई और फुर्कत (विरह) का साथ अभी और बाकी है.

 

मेरी दरख्वास्त है कि कभी अपना हौसला मत खोना क्यूंकि…

Continue

Added by राज़ नवादवी on September 9, 2012 at 2:03pm — 4 Comments

मेघ...संग ले चल मुझे भी

मेघ...संग ले चल मुझे भी

स्वच्छंदता के रथ पर बिठा के

उड़ा के दूर

उन्मुक्त, अनंत गगन में

अपनी प्रज्ञात ऊँचाइयों पर

सभी बंधनों से परे

निराकार, निर्विकार रूप में

व्यापक बना के अपने

नयनाभिराम नीलिमा से सुसज्जित

नीरवता की विपुल राशि

हिमावृत सदृश भवनों वाले

अप्रतिम बहुरंगी छटाओं से युक्त

मंत्रमुग्ध करते दृश्यों से शोभित

अथाह सौन्दर्य के मध्य विराजमान

अलभ्य संपदा से संपन्न

किसी स्वप्नलोक का भान कराते…

Continue

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 9, 2012 at 9:27am — 4 Comments

ग़ज़ल - बचा है अब यही इक रास्ता क्या

दोस्तों, ग़ज़ल पेश ए खिदमत है गौर फरमाएं ..



बचा है अब यही इक रास्ता क्या

मुझे भी भेज दोगे करबला क्या



तराजू ले के कल आया था बन्दर

तुम्हारा मस्अला हल हो गया क्या…



Continue

Added by वीनस केसरी on September 9, 2012 at 2:30am — 13 Comments

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- २५

न होता परवाना तो जलके शरार क्या होता

न होती शम्मा तो फिर जाँनिसार क्या होता

 

तेरे हाथों मेरा रेज़एइश्क नागवार क्या होता

अगर उड़ता नहीं हवाओं में गुबार क्या होता

 

वफाशनास कब हुआ है हुस्न आप ही बोलो

अगर जो होता वो वैसा तो प्यार क्या होता

 

मुझे यकीन है वादों पे कि ये मेरी चाहत है

जोहोता न खुदपे तो तेरा ऐतेबार क्या होता

 

लिखी जाती कहानियां हमारी भी हाशिए पर  

मैं तेरे चाहने वालोंमें होके शुमार क्या…

Continue

Added by राज़ नवादवी on September 8, 2012 at 3:54pm — No Comments

बेटी हूँ मैं अभागी बस मेरी है यही खता ......

कोई तो बता दे जरा , हुयी क्या हमसे खता

जमाना बैरी हुआ , सब गैर हुआ ऐसी क्या की खता

बेटी बन जन्म लिया , कसूर बस इतना किया



चाहा था कि मैं भी भैया की तरह खूब पढूंगी

माँ-बाप का नाम रौशन करुँगी

देश का ऊँचा नाम करुँगी

अपने सब सपने साकार करुँगी



लेकिन जब समाज से हुआ सामना

न कोई सपना रहा न कोई अपना

ज़माने की ठोकर मिली और अपनों के ताने

क्यूँ तुने जन्म लिया ओ ! अभागी



मैं गरीब बाप तेरा कहाँ से दहेज़ जुटाऊंगा

दहेज…

Continue

Added by Parveen Malik on September 8, 2012 at 1:00pm — 2 Comments

क्षणिकाएं

लोकतंत्र

जहाँ हर नेता भ्रष्ट

हर अधिकारी घूस खाने को

स्वतंत्र है |

यही तो अपना

लोकतंत्र है ||



पहचान

लोकसभा और विधानसभा को

बना दिया जंग का मैदान |

देख कर इन नेताओं के कारनामे

लोग हो रहे हैरान ||



उजले कपड़ों के पीछे लिपटे

इंसानों की शक्लों में घूम रहे शैतान |

पचा गए यूरिया , खा गए चारा

बच के रहना मेरे भाई

कहीं खा ना जायें इंसान ||



कहें 'योगी ' कविराय

इन नेताओं से उठा…

Continue

Added by Yogi Saraswat on September 7, 2012 at 2:00pm — 8 Comments

रक्तदान के दोहे



प्यारे मित्रो ! आगामी 17 सितम्बर को तेरा पंथ युवक परिषद् ने द्वारा देश भर में रक्तदान का अभियान आयोजित किया है . एक लाख बोतल रक्त का लक्ष्य है ......उनके इस पुनीत कार्य के समर्थन में मैंने अहमदाबाद के संयोजक श्री सुनील वोहरा और अखिल भारतीय संयोजक श्री राजेश सुराणा के लिए कुछ दोहे लिखे हैं जो वे बैनर्स पर काम लेंगे.......आप भी पढ़ कर बताइये ..कैसे लगे ?



रक्तदान के…

Continue

Added by Albela Khatri on September 6, 2012 at 8:50pm — 4 Comments

सनम बेवफा

इतने मिले जख्म कि जख्म ही दवा बने

न पाई ख़ुशी में ख़ुशी न रोये गम में हम

दिल और यह दिमाग सब शून्य हो गये

.................................................

है मुहब्बत इक फरेब औ प्यार इक धोखा

साये में है जिसके  बस आंसूओं का सौदा

चोट पर चोट दिल पे हम खाते चले गये

................................................

वफा को जो न समझे तुम सनम बेवफा हो

रहें गैरों की बाहों में और सिला दो वफा का

मेरे सपनो की तस्वीर के टुकड़े हुए तुम्ही से …

Continue

Added by Rekha Joshi on September 6, 2012 at 5:40pm — 2 Comments

है ग़ज़ल ताज़ा कही तू या लिखी तहरीर है

संदली नाजुक बदन या बोलती तस्वीर है

आयतें खामोशियाँ हैं शर्म ये तफ़सीर है



सर्द हैं जुल्फों के साए सोज साँसों में भरी

कातिलाना है अदा या ख्वाब की ताबीर है



ये गजाली चश्म तेरे श्याह गहरी झील से

औ तबस्सुम होंठ पे जैसे कोई शमशीर है…



Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on September 6, 2012 at 4:05pm — 5 Comments

कोई फिर भगवान हुआ है

यह रचना उन (ढोंगी ) बाबाओं और गुरुओं के नाम जो अमरबेल से हर गली में  हर रोज उग रहे है .....





कोई फिर भगवान हुआ है
हर घर का दरबान हुआ है 

फैला कर झूठे विज्ञापन

गीता…
Continue

Added by seema agrawal on September 6, 2012 at 10:21am — 11 Comments

राज़ नवादवी: मेरी डायरी के पन्ने- ३६

सर्द सी सुबह और बेरंग सा आसमान. तेज़ बहती हवा और नशे में झूमते से दरख्तोशज़र. चौथी मंज़िल पे मेरा एक अकेला कमरा. बड़ा सा और खाली खाली. सलवटों से भरा बिस्तर, सिकुड़े सहमे से तकिए, किसी नाज़नीन के आँचल सा लहरा के लरज़ता हुआ लेटा कम्बल. सोफे पे रखा शिफर (शून्य) में ताकता खाली ट्रवेल बैग. पति-पत्नी-से अकुला के अगल-बगल मेज़ पे पड़े जिभ्भी (टंग क्लीनर) और टुथ ब्रश- किसी साहूकार के पेट सा फूला टूथपेस्ट... तो किसी गरीब की आंत सा सिकुड़ा मेरे शेविंग क्रीम का ट्यूब. दरवाज़े और दरीचों को बामुश्किल ढँक…

Continue

Added by राज़ नवादवी on September 6, 2012 at 8:56am — 3 Comments

शिक्षक दिवस पर एक गीत-

रोशनी को, जिन्हें हम जलाते हैं

आज हम उनका दिन मनाते हैं.....।

जिनकी मेहनत से हमने सीखा है

जिनके बिन दुनिया एक धोखा है

ज्ञान का दीप जो जलाते हैं......

आज हम उनका दिन मनाते हैं............।

वो हवाओं को मोड देते हैं

और पत्थर को तोड देते हैं

पौधों को पेड जो बनाते हैं....

आज हम उनका दिन मनाते हैं............।

                              सुजान

Added by सूबे सिंह सुजान on September 5, 2012 at 11:35pm — 6 Comments

क्यों प्राण प्रियतम आये ना ??

चाँदनी ढल जायेगी फिर

क्या मिलन बेला आयेगी

मिलने को व्याकुल नयन ये तो

क्यों प्राण प्रियतम आये ना??



नयन बदरा छा गये

रिम-झिम फुहारों की घटा

मुझमें समाने और अब तक

क्यों प्राण प्रियतम आये ना??



विरह की इस वेदना को

अनुपम प्रेम में ढाल

अमानत बनाने मुझे अपनी

क्यों प्राण प्रियतम आये ना??



मुख गरिमा के चंचल तेवर

अलौकिक कर हर प्रेम भाव

मेरे मुख दर्पण के भाव देखने

क्यों प्राण प्रियतम आये ना??



निहारिका सा… Continue

Added by deepti sharma on September 5, 2012 at 8:18pm — 9 Comments

सूनी वीणा के फिर तार बजने लगे..............एक गीत.

---------------------------------------

लो चुपके से तुमने ये क्या कह दिया,

सूनी वीणा के फिर तार बजने लगे

कलियाँ खिल के हंसीं मन मचलने लगा, 

होंठों पे आज फिर गीत सजने लगे.

--------------------------------------

सरसराती हुयी जब हवा ये चली,

घर का आँगन भी मेरा चहकने लगा.

तेरे आने की आहट से हलचल मची,

कोना कोना भी अब तो महकने लगा.

प्यार के बोल सुनने की खातिर प्रिये,

अपने बोलों को पन्छी भी तजने लगे.

कलियाँ खिल के हंसीं मन मचलने लगा, …

Continue

Added by dineshVerma on September 5, 2012 at 1:51pm — 4 Comments

जबाब नहीं है ख़ामोशी

"जबाब नहीं है ख़ामोशी "



जबाब नहीं है ख़ामोशी

सब जानते हैं

इसमें तो छुपा होता है

गलतियाँ स्वीकारने का हाँ

कसमसाहट भरी वो हाँ

जो हाँ कहने पर

जुबान शर्मशार हुई जाती है…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on September 5, 2012 at 1:25pm — 4 Comments

गुरुवर तुम्हें नमन है ( शिक्षक दिवस पर विशेष )

 

जिसने बताया हमको , लिखना हमारा नाम .

जिसने सिखाया हमको , कविता ,ग़ज़ल -कलाम .

समझाया जिसने हमको , दीने -धरम ,ईमान .

जिसने कहा कि एक है ,कह लो रहीम - राम .

भगवान से भी पहले ,करता नमन उन्हीं को .

मानों तो हैं  खुदा वो , ना मानों तो हैं आम .…

Continue

Added by satish mapatpuri on September 5, 2012 at 3:46am — 18 Comments


सदस्य टीम प्रबंधन
शिक्षक दिवस पर विशेष / सौरभ

शिक्षक और गुरु : कैसी अवधारणा

5 सितंबर यानि ’शिक्षक दिवस’, उद्भट दार्शनिक विद्वान और देश के द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्लि राधाकृष्णन का जन्मदिवस. कृतज्ञ देश आपके जन्मदिवस पर आपको भारतीय नींव की सबलता के प्रति आपकी अकथ भूमिका के लिये स्मरण करता है.…

Continue

Added by Saurabh Pandey on September 5, 2012 at 12:30am — 24 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
3 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
18 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
19 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service