For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी: मेरी डायरी के पन्ने- ३७ (मेरी बेटियों की जोड़ी को लिखा एक पत्र )

राज़ नवादवी: मेरी बेटियों की जोड़ी को एक पत्र

-------------------------------------------------- -----------

 

मेरी प्यारी बेटियों साशा और नाना,

 

मुझे आप दोनों की दुनियावी तकलीफों और दर्द के बारे में जानकार बहुत दुःख है. मुझे ऐसा लगता है कि घर से मेरा मुसलसल (लगातार) दूर रहना भी इनकी एक वजह है, मगर शायद फिलहाल मेरी ज़िंदगी कुछ ऐसी है कि इसमें जुदाई और फुर्कत (विरह) का साथ अभी और बाकी है.

 

मेरी दरख्वास्त है कि कभी अपना हौसला मत खोना क्यूंकि ज़िंदगी इक ऐसी तमसील (ड्रामा) है जो हैरत से भरी है और जिसमें कोई सुबह आपकी प्यारी गुड़िया बार्बी दफअतन (अचानक) जाग सकती है और आपको ज़िंदगी की तमाम खुशियों और मुसर्रत (हर्ष) से लबरेज़ कर सकती है, बशर्ते कि आपमें यकीन हो.

 

मैंने आपकी ज़िन्दगी की तकलीफों के बारे में बहुत सोचा है और एक जईफ (बूढ़े) होते जा रहे वालिद (पिता) की अपनी जवाँ और दराख्शिन्दां (प्रकाशवान) होती जा रही बेटिओं के लिए यही तजवीज़ (सलाह) है:

 

आप दोनों इस बात पे ख़ास तौर पे मुलाहिजा (गौर) फरमाएं कि आप दोनों को साथ ज़िंदगी गुज़ारने का मौक़ा देकर खुदा ने आप दोनों पे अपने रहमोकरम (कृपा और दया) का इज़हार किया है. जब आप दोनों अपनी तफूलियत (बचपन) से आगे बढ़कर जवाँ हो जाएँगी तो ये मुमकिन हैं कि वक़्त की मौज़ आप दोनों की ज़िंदगी की सम्त (दिशा) को जुदा कर दे. वैसे औकात (क्षणों) में जो अभी दूर मुस्तकबिल (भविष्य) के पर्दे में छुपे हैं, आप दोनों को अपनी तफूलियत की तमाम मासूम हरकतें याद आएंगी कि कैसे आप दोनों निहायत छोटी छोटी बातों पे झगड़ पड़ती थीं- चाहे वो आपके ड्रेस का मसला हो, चाहे आपके पित्ज्ज़ा का इक निवाला, या कि टीवी पे आपका पसंदीदा शो. और ये भी कि कैसे आप बिला किसी मुद्दे के तकरार पे बड़ी संजीदगी (गंभीरता) से आंसूं बहाती थीं- माज़ी (अतीत) की उन सभी बातों को सोचा कर आप को बहुत हंसी आयेगी और अफ़सोस भी होगा कि वो बातें अब यादों की गलियों में बहुत पीछे छूट गयी हैं और उन्हें अब फिर से नहीं जिया जा सकता- वो अब दर्द भरे याद का इक हिस्सा भर हैं.

 

आइन्दा (आगे) आनेवाली उस ज़िंदगी पे आप दोनों गौर से फ़िक्र फरमाएं और और हाल (वर्तमान) के हर लम्हे को शिद्दत (तीव्रता) और हसाफत (संवेदना) के साथ जिएँ, ये सोचकर कि यह ऊपर वाली की दी हुई नेमत है. याद करें कि कैसे आपके देहली स्कूल ट्रिप पे जाने पे नाना रोया करती हैं और साशा किस कदर नाना की किसी बजा ज़रुरत के लिए पुरज़ोर वकालत करती हैं.

 

दुआ है कि आप दोनो दो ऐसी बहनें बनें जिनका सारी दुनिया में ता क़यामत ज़िक्र हो ताकि अगर मैं कब्रनशीं भी रहूँ तो फख्र से मेरा सीना चौड़ा हो जाए. मेरी बातों का यकीं करो क्यूंकि मैं और आप दोनों जुदा नहीं!

 

मेरी दुआएं हमेशा आपदोनों के साथ हैं.

 

आपका पिता

 

राज़ नवादवी.

---------------------------------------------------

© राज़ नवादवी

बैंगलोर, ०५.३९ संध्याकाल, शनिवार, ०८/०९/२०१२

  

 

Views: 330

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service