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घर की मुर्गी

 

 

हिन्दोस्तान में हिंदी की

बेकद्री इतनी होती है
इसकी जननी भारत माँ की
आँख भी रोती है
हैल्लो,हाय,मॉम ,डैड
इसपे रहते हावी
अपनें ही घर में इसकी हालत
सौतन सी होती है
जिसको अपनी माँ बोली पर
मान नहीं होगा
उस देश का उस समाज का
क्या ख़ाक बिकास होगा
ए टू ज़ैड आता सबको
पर क,ख,ग किस किसको
घर की मुर्गी दाल बराबर
कहावत यहीं सच होती है
दीपक शर्मा 'कुल्लुवी'
१०*०९*२०१२.

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Comment

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Comment by Deepak Sharma Kuluvi on September 11, 2012 at 3:19pm

RAJPAL JI AAPNE BILKUL SAHI KAHA REKHA JI DHANYABAD AAPK SABKA

Comment by Bhawesh Rajpal on September 11, 2012 at 10:31am

आज हिंदी की जो हालत है , उसके लिए नई पीढ़ी की अंग्रेजी मानसिकता जिम्मेदार है , और इस मानसिकता के लिए आज की शिक्षा नीति ! ऊपर से केबल टी वी ! इन्टरनेट का दुरूपयोग , मोबाइल फ़ोन पर चेटिंग की भाषा ! ऐसे में हिंदी आज की पीढ़ी को बोर लगती है !

आपने हिंदी की दुर्दशा को अभिव्यक्ति दी , बधाई !

Comment by Rekha Joshi on September 10, 2012 at 9:17pm

हिंदी के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है ,बहुत दुखद है दीपक जी 

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