For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

All Blog Posts (19,140)

ऐसा वरदान हम को ईश्वर दे

                                                      ग़ज़ल 

                                                   [1]    ऐसा  वरदान  हम  को  ईश्वर  दे  ! 
                                                           झोलियाँ  सब की  प्यार  भर  दे  !
                …
Continue

Added by लतीफ़ ख़ान on December 1, 2012 at 6:28pm — 13 Comments


सदस्य टीम प्रबंधन
प्रतिभा (लघु कथा )/डॉ. प्राची

“हैलो क्षिप्रा, कैसी हो? मैं निशा बोल रही हूँ, मॉडर्न स्कूल की प्रिंसिपल! आज सभी स्कूलों के लिए आयोजित पोस्टर कम्पीटीशन में तुम जज हो न?”

ओहो! निशा! कैसी हो? कितने समय बाद याद किया? क्या तुम भी आ रही हो?क्षिप्रा नें पूछा.

“मेरे स्कूल के बच्चे प्रतिभागिता कर रहे हैं , बच्चों को मोटिवेट करने के लिए आना तो चाहती हूँ, पर मेरे स्कूल में भी एक समारोह है, अब देखो! अच्छा तुम कितने बजे तक पहुँचोगी?”निशा नें पूछा .

“मैं ग्यारह बजे तक पहुचूंगी, आ सको तो आना, मिलते हैं फिर.”…

Continue

Added by Dr.Prachi Singh on December 1, 2012 at 6:00pm — 21 Comments

अपने ब्लॉग पर सर्वप्रथम पोस्ट ( रचना )माँ को समर्पित ...!!

                -1-

बीज रूप ॐ मिला,जग को आधार मिला,

शक्ति रूप में हुआ है,तेरा विस्तार माँ  !

हर युग में कपूत , देते रहे कष्ट धूप  ,

उनका भी हित…

Continue

Added by भावना तिवारी on December 1, 2012 at 1:46pm — 11 Comments

जागरूक कर जाय

लूट व् भ्रष्टाचार से, भरा पड़ा अखबार,
ह्त्या, बलात्कार से, ख़बरों की भरमार ।
 
घोटालों की भरमार, जनता को सब भान
जाँच करा लिपापोती, सरकार की ये शान ।
 
सुर्खियों में रहना ही, नेता समझे शान,
चर्चा में हरदम रहे,  नेता उसको जान…
Continue

Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 1, 2012 at 1:30pm — 14 Comments

लघुकथा: नपुंसक

“अनिता, यार जल्दी करो, ऐसे तो दोपहर का शो भी निकल जाएगा !” विजय अपनी पत्नी अनिता से बोला !

“बस अब सब्जी कट ही गई, इसे गैस चढ़ाकर तैयार हो जाऊंगी, टेंसन नॉट, समय पर पहुँच जाएंगे !” अनिता सब्जी काटते हुवे कह रही थी कि तभी, “आह...!” अचानक चाकू हाथ पर लग गया !

“अरे अनिता..... ध्यान कहाँ था..? छोड़ो ये सब्जी, चलो मै दवा लगा देता हूँ !” विजय चौकता हुवा बोला, और फिर जख्म पर दवा लगाकर पट्टी किया ! इसके बाद सब्जी काटकर गैस पर चढ़ा दिया ! इधर अनिता तैयार होने की कोशिश…

Continue

Added by पीयूष द्विवेदी भारत on December 1, 2012 at 1:18pm — 20 Comments

प्रेम

प्रेम  नशा अरु प्रेम मजा सब, प्रेम कथा अरु प्रेम हि भक्ति व,

प्रेम हि भाव व प्रेम सुभाव व,प्रेम हि त्याग व प्रेम हि शक्ति व,…

Continue

Added by Ashok Kumar Raktale on December 1, 2012 at 8:53am — 6 Comments

दो सवैये

मदिरा सवैया

मोषक राज किये यतियों पर ये कहना अतिरंजन है।
कौन बचा दुनिया भर में कह दे उसका चित कंचन है।
शोषक भी सब शोषित भी सब मौसम का परिवर्तन है।
कारण है निजता चढ़ के सिर नाच रही कर गर्जन है॥

दुर्मिल सवैया

अवलंबन हो निज का तब जीवन ये सुख की रसधार लगे।
प्रभुवंदन से मन पावन हो तरणी भव के उसपार लगे।
धरती सम हो उर तो नित "मैं कुछ दूँ सबको" यह भाव जगे।
अनुशीलन है बसता जिसमें उसमें नव के प्रति चाव जगे॥

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on December 1, 2012 at 8:21am — 10 Comments

दिल में खौफ़े खुदा भी लाया जाए

दिल में खौफ़े खुदा भी लाया जाए

अच्छे बुरे का फर्क जाना जाए

कब्ल इसके उंगली उठाओ सब पर

अपने दिल को भी तो खंगाला जाए

यूँ तो उनकी की है फजीहत सबने

प्यार उनसे कभी जताया जाए

निकले बाहर गरीबों की आवाज़ें

उनको भी तो कभी सुन लिया जाए

पहले इसके बिगड़ जायें हालात

जुल्मों को वक़्त रहते रोका जाए 

Added by नादिर ख़ान on November 30, 2012 at 10:35pm — 4 Comments

आम आदमी

आसमाँ के देखता है ख्वाब आम आदमी

चाहता है माहो-आफताब आम आदमी



खुद चुभन सहे मगर करे नहीं वो उफ़ तलक

कायनाते खार में गुलाब आम आदमी



रात दिन गुजारता है धूप छाँव भूल कर

काम कर रहा है बेहिसाब आम आदमी…



Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on November 30, 2012 at 3:30pm — 8 Comments


सदस्य टीम प्रबंधन
डमी

“हैलो पूर्वा, शाम साढ़े सात बजे तक तैयार रहना, आज मिस्टर अग्रवाल की बिटिया का महिला संगीत है और रात को डिनर के लिए चलना है” अक्षय नें अपनी पत्नी से फोन पर कहा. पूर्वा नें हामी भरी और पार्टी के कपडे निकालने के लिए अल्मारी खोली. उफ़! कितनी भारी भारी साड़ियाँ, पर आज तो कुछ सौम्य सा पहनने का मन है, सोचते हुए पूर्वा नें पाकिस्तानी कढाई का एक बेहद खूबसूरत सूट निकला और तैयार होने लगी.

आँखों का हल्का सा मेकअप, आई लाईनर, काजल, बालों का ताजगी भरा स्टाईल, चन्दन का इत्र, छोटी सी बिंदी, हल्की सी…

Continue

Added by Dr.Prachi Singh on November 29, 2012 at 9:58am — 27 Comments

सस्ता के चक्कर में !

घरनी गाड़ी में बैठाया , चली ट्रेन पकड़ी रफ्तार ।

प्लेटफार्म आस पास घर है , किसी बात की ना दरकार ।

वापस गया काम पर अपने , पहुँचेगी अकेल इस बार ।

जनरल डिब्बा भीड़ भारी, गर्मी से थे सब लाचार ।

बाहर हवा अंदर पसीना , सीट की चाहत बेकरार ।

मुंबई से इटारसी रुकी , केले वालों की भरमार ।

सस्ता खोजते चली आगे , केला मिला बहुत बेकार ।

दुःखी मन फिर गाड़ी भूली , बैठी गाड़ी में मनमार ।

झोला झाकड़ लगी खोजने , लगी पूछने हो लाचार ।

अनपढ़ को मिले तमिल यात्री , जाने कैसे बात… Continue

Added by Shyam Narain Verma on November 28, 2012 at 1:11pm — 4 Comments

छन्न पकैया छन्न पकैया

छन्न पकैया छन्न पकैया, सॉरी भैया धोनी।

स्पिन ट्रैक से क्या होता है, टलती थोड़े होनी॥

छन्न पकैया छन्न पकैया, भाग देख लो फूटे।

अपने सौवें ही दंगल में, वीरू दादा टूटे॥

छन्न पकैया छन्न पकैया, थोड़ा चले पुजारा।

लदफद होती सेना को जो, देते रहे सहारा॥

छन्न पकैया छन्न पकैया, क्या करते हो सच्चू।

अपने ही घर में अपनी क्या, पिटवाओगे बच्चू॥

छन्न पकैया छन्न पकैया, अन्ना दीखे भज्जी।

कुक पूरे सरकारी बन के, उड़ा रहे थे धज्जी॥

छन्न पकैया छन्न पकैया, दिखी…

Continue

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 27, 2012 at 7:13pm — 12 Comments

आम आदमी पार्टी

आम आदमी पार्टी 
आज तक हम खास थे अब आम हो गए 
सब पार्टियों को छोड़ 'आम' के साथ हो गए 
सबको परख चुके अब इनको भी परखेंगे 
ख्वावों की वंदिशों से हम आज़ाद हो गए 
कांग्रेस परखी,भाजपा परखी परखी सपा,बासपा
आम आदमी पार्टी भी परख लें पूर्ण होगी परिक्रमा 
या तो लुटिया डूबेगी या तर जाएँगे सारे
हमारे खज़ाने से क्या जाएगा अगर गए वो हारे 
जीत गए गर आम आदमी तो हो जाएँगे…
Continue

Added by Deepak Sharma Kuluvi on November 27, 2012 at 2:45pm — 5 Comments

गाँव के लोग सब ही जाने , घूमते हर गली हर मोड़ ।

चतुर सयानी

ससुर साजन करें जा धंधा , गाँव नगर जाते हर ओर ।

काफी दिन बाहर रह जाते , आते वे शाम कभी भोर ।

गाँव के लोग सब ही जाने , घूमते हर गली हर मोड़ ।

नव वधु रहे अकेली घर में , जब बाहर जाते सब छोड़ ।

बहने लगा पवन मस्ती में, काली घटा घिरी घनघोर ।

चारों ओर घिरा अंधेरा , घर नहीं सुने कोई शोर ।

बदमाशों की नीयत बदली , झट छिपकर चले चार चोर ।

लगे खोदने मिट्टी दिवार . , आहट सुनी बहु बड़ी जोर ।

देखा घर में सेंध बनाते , साहस की बाँध चली डोर ।

तेज दाव लेकर जा… Continue

Added by Shyam Narain Verma on November 27, 2012 at 2:28pm — 5 Comments

अपनी करनी पार उतरनी , चिड़ी खेत चुग जाये ।

लालच डुबाया । सार छन्द ।

लोभ में कभी क्षोभ होत है , मन पीड़ा भर जाये ।

अपनी करनी पार उतरनी , चिड़ी खेत चुग जाये ।

देख हार फँस जाते लोभी , तब फिर मन पछताये ।

माया मोह काम ना आये , कहीं जान फँस जाये ।

देख आया मेल लंदन से , फौजी लालच आया ।

सौ करोड़ की लाटरी जान , सबका जी ललचाया ।

रिटायर कैपटन था पैसा , भेज अमल फरमाया ।

बैंक अकाउंट मेल भेजा , नाम गाँव मँगवाया ।

सर्विस टेक्स पहले भेजो , फिर पैसा आयेगा ।

बारह लाख नगद मँगवाया , रकम कौन लायेगा ।

जयपुर… Continue

Added by Shyam Narain Verma on November 27, 2012 at 2:25pm — 1 Comment

औरत के पास तो सिर्फ बदन होता है

Muslim_man : Muslim Arabic couple inside the modern mosque Stock Photo stock photo : Young brunette beauty or bride, behind a white veil

मर्द बोला हर एक फन मर्द में ही होता है ,

औरत के पास तो सिर्फ बदन होता है .



फ़िज़ूल बातों में वक़्त ये करती जाया ,

मर्द की बात में कितना वजन होता है !



हम हैं मालिक हमारा दर्ज़ा है उससे ऊँचा ,

मगर द्गैल को ये कब सहन होता है ?



रहो नकाब में तुम आबरू हमारी हो ,

बेपर्दगी से बेहतर तो कफ़न होता है .



है औरत बस फबन मर्द के घर की 'नूतन'

राज़ औरत के साथ ये भी दफ़न होता है…

Continue

Added by shikha kaushik on November 27, 2012 at 1:30pm — 9 Comments

दिल लगाकर प्रीत बढ़ाकर चल दिये..

दिल लगाकर प्रीत बढ़ाकर चल दिये ।
अपना बनाकर दिल चुराकर चल दिये ।


अब जायेगें कब आयेगें दिल है बेकरार ,
वादा करके , गुल खिलाकर चल दिये ।


भूल ना जाये ये कहीं दुष्यन्त की तरह ,
साथ निभाकर दिल लगाकर चल दिये ।


हर किसी से दिल लगाना कितना मुश्किल ,
कभी ना भूलेगे आस दिलाकर चल दिये ।


दिल कहता रहा अब ना जाओ छोड़कर ,
वर्मा देके दिलासा , हाथ मिलाकर चल दिये ।

  • श्याम नारायण वर्मा

Added by Shyam Narain Verma on November 27, 2012 at 11:30am — 3 Comments

मुक्तिका: हो रहे संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:

हो रहे

संजीव 'सलिल'

*

घना जो अन्धकार है तो हो रहे तो हो रहे।

बनेंगे हम चराग श्वास खो रहे तो खो रहे।।

*

जमीन चाहतों की बखर हँस रही हैं कोशिशें।

बूंद पसीने की फसल बो रहे तो बो रहे।।

*

अतीत बोझ बन गया, है भार वर्तमान भी।

भविष्य चंद ख्वाब, मौन ढो…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on November 27, 2012 at 9:24am — 3 Comments


सदस्य कार्यकारिणी
शक्ति धन (कुण्डलिया छंद)

धन से पत्थर पूजते ,मन में लेकर पाप 

ये आडम्बर देखकर ,निर्धन देगा श्राप 

निर्धन देगा श्राप ,उलट फल देगी पूजा 

दीन  धर्म से श्रेष्ठ , कर्म  ना कोई दूजा 

मन में रख सद्भाव ,करो सभी भक्ति मन से 

निर्धन  का हर  घाव , भरो  उसी शक्ति धन से 

********************************************

Added by rajesh kumari on November 27, 2012 at 9:22am — 6 Comments

लघुकथा- 'दिल' और 'दिमाग'

बहुत पहले 'दिल' और 'दिमाग' अच्छे दोस्त हुआ करते थे। उनका उठना-बैठना, देखना-सुनना, सोचना-समझना और फैसले लेना, सब कुछ साथ-साथ होता था।

फिर इक रोज़ यूँ हुआ कि 'दिल' को अपने जैसा ही एक हमख्याल 'दिल' मिला। दोनों ने एक दूसरे को देखा और देखते ही, धड़कनों की रफ़्तार बढ़ी सी मालूम हुई। मिलना-जुलना बढ़ा तो कुछ रोज़ में, दिलों की अदला-बदली भी हो गयी। अब एक दिल मचलता तो दूसरे की धड़कने भी तेज हो जातीं; एक रोता तो दूजे की धड़कने भी धीमे होने लगतीं। बस एक दिक्कत थी कि दोनों सही फैसले नहीं कर पाते…

Continue

Added by विवेक मिश्र on November 27, 2012 at 2:30am — 15 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
18 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
yesterday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
yesterday
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service