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VISHAAL CHARCHCHIT
  • Male
  • MUMBAI
  • India
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VISHAAL CHARCHCHIT's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
MUMBAI
Native Place
PRATAPGARH (UP)
Profession
GRAPHIC DESIGNER & COPYWRITER
About me
KAVI - SHAYAR & VYANGYKAAR

VISHAAL CHARCHCHIT's Blog

एक गजल

दरिया रहा कश्ती रही लेकिन सफर तन्हा रहा

हम भी वहीं तुम भी वहीं झगड़ा मगर चलता रहा

साहिल मिला मंजिल मिली खुशियां मनीं लेकिन अलग

खामोश हम खामोश तुम फिर भी बड़ा जलसा रहा

सोचा तो था हमने, न आयेंगे फरेबे इश्क में

बेइश्क दिल जब तक रहा इस अक्ल पर परदा रहा

शिकवे हुए दिल भी दुखा दूरी हुई दोनों में पर

हर बात में हो जिक्र उसका ये बड़ा चस्का रहा

छाया नशा जब इश्क का 'चर्चित' हुए कु्छ इस कदर

गर ख्वाब में…

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Posted on June 3, 2014 at 2:30pm — 13 Comments

कुछ दोहे आज के हालात पर (भाग - 2)

रट्टू तोते की तरह, क्यों रटते दिन रात

दादा जी का नाम भी, गूगल पर मिलि जात



त्रेता के सज्जन कहैं, सबके दाता राम

कलियुग के ढोंगी कहैं, हमरे आशाराम



दिन भर आगे सेठ के, डरि के दुम्म हिलायँ

साँझ ढले पव्वा लगै, अउर शेर हुइ जायँ



हफ्ते में तो चार दिन, काटैं मदिरा माँस

बाकी के कुल तीन दिन, धरम करम उपवास



अबला से सबला हुई, नाच नचावैं आज

बाबू जी की खोपड़ी, बजा रहीं ज्यों साज



गुरु से चेला बीस अब, देय रहा है…

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Posted on April 9, 2014 at 10:59pm — 18 Comments

कुछ दोहे आज के हालात पर

छप्पन व्यंजन खाय के,भरा पेट कर्राय

तब टीवी की खबर पर, 'देश प्रेम' चर्राय

नेता उल्लू साधते, आपन गाल बजाय

जनता देखय फायदा, बातन में आ जाय

जोड़-तोड़ बनि जाय जो, दोबारा सरकार

लूट-पाट होने लगे, बढ़ता भ्रष्टाचार

महंगाई जस जस बढ़ै, व्यापारी मुस्कायँ,

जैसे आवय आपदा, फौरन दाम बढ़ायँ

पत्रकारिता बिक गयी, कलम करे व्यापार

समाचार के दाम भी, माँग रहे अखबार

कामकाज को टारि के, बाबू गाल बजायँ

देश तरक्की…

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Posted on March 26, 2014 at 1:00pm — 14 Comments

दीपावली पर ओबीओ के लिये शुभकामना

छंदों के दीप जलें, शायरी की झिलमिल हो

हँसी खुशी भरी सदा, ओबिओ की महफिल हो

साहित्य करे उन्नति, भाषा का विकास हो

इस मंच पर सदा-सदा स्नेह का प्रकाश हो

सभी विधाओं का सभी दिशाओं में उत्थान हो

सभी नयी प्रतिभाओं के लिये यहां मुस्कान हो

समस्त लक्ष्य - योजना व स्वप्न साकार हो

आने वाले पल के सदा हाथ में उपहार हो

दीपावली की 'चर्चिती शुभकामना' फलीभूत हो

इस मंच के सभी प्रयास सफल व अनुभूत हों

(मौलिक एवं…

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Posted on November 3, 2013 at 2:00pm — 16 Comments

Comment Wall (8 comments)

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At 9:42am on April 4, 2013, लक्ष्मण रामानुज लडीवाला said…

बहुत खूब भाई श्री विशाल चर्चित जी उम्दा गजल के लिए बधाई -

दिल ये चर्चित का यूं ही बडा शोख है
देख लो आप ही इसको भडका रहे - 

At 1:07am on September 30, 2012, SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR said…

चल मिलें मिलकर छुएं
हम प्रेम का चरमोत्कर्ष,
चल करें अनुभव सभी
आनंद एवं सारे हर्ष,
आ चलें हम साथ मिलकर
प्रेम के उस पार अब....

प्रिय विशाल जी इस प्यारी सशक्त और खूबसूरत रचना के माह के सर्वश्रेष्ठ रचना चुने जाने पर बधाई ,,,..बहुत सुन्दर सन्देश  .....अपने जिले बेल्हा देवी के प्रांगण से (प्रतापगढ़ ) पा मन को और ख़ुशी हुयी ढेर सारी शुभ कामनाएं  

अपना स्नेह बनाये रखें 
भ्रमर ५ 
प्रतापगढ़ साहित्य प्रेमी मंच
भ्रमर का दर्द और दर्पण 
जय श्री राधे 

 

At 9:37am on September 18, 2012, Abhinav Arun said…

स्वागत विशाल जी आप अपनी विशाल ख़याल की रचनाओं के माध्यम से और चर्चित हों ! हार्दिक शुभकामनाएं !!

At 10:22pm on September 3, 2012, विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी said…
आपकी रचना ' आ प्रिय कि प्रेम का हो नया श्रृंगार अब ' को महीने की सर्वश्रेष्ट रचना चुने जाने पर आपको हार्दिक बधाई विशाल जी
At 11:37am on September 2, 2012, Abhinav Arun said…

इस सशक्त रचना को महीने की श्रेष्ठ रचना का पुरस्कार के लिए चुने जाने पर हार्दिक बधाई आपको  आदरणीय श्री विशाल चर्चित जी ! आपकी की इस रचना में भाव प्रवाह मन्त्र मुग्ध करने वाला है !!

At 11:13pm on September 1, 2012,
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
said…

भाई गणेशजी, इस रचना पर अभी-अभी अपनी प्रतिक्रिया दी है हमने. अद्भुत प्रवहमन रचना है यह.  इस तरह की रचनाएँ हिन्दी भाषा में हो रहे प्रयासों के प्रति आश्वस्त करती हैं.

रचनाकार विशाल चर्चित जी को हार्दिक बधाई..

At 10:58pm on September 1, 2012,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय विशाल चर्चित जी ,

सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की रचना "

आ प्रिये कि प्रेम का हो एक नया श्रृंगार अब.

" को महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना (Best Creation of the Month) पुरस्कार के रूप मे सम्मानित किया गया है, तथा आप की छाया चित्र को ओ बी ओ मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |

आपको पुरस्कार राशि रु ५५१ और प्रसस्ति पत्र शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस नामित कृपया आप अपना नाम (चेक / ड्राफ्ट निर्गत हेतु) , Bank A/C Details तथा पत्राचार का पता व् फ़ोन नंबर

admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे |
शुभकामनाओं सहित


आपका
गणेश जी "बागी"

At 7:13pm on January 16, 2012, Admin said…

 
 
 

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