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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-30 (विषय: "उजाला")

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" के पिछले 28 अंकों में हमारे साथी रचनाकारों ने जिस उत्साह से इसमें हिस्सा लिया और इसे सफल बनाया, वह सच में हर्ष का विषय हैI कठिन विषयों पर भी हमारे लघुकथाकारों ने अपनी उच्च-स्तरीय रचनाएँ प्रस्तुत कींI विद्वान् साथिओं ने रचनाओं के साथ साथ उनपर सार्थक चर्चा भी की जिससे रचनाकारों का भरपूर मार्गदर्शन हुआI इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए प्रस्तुत है:
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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-30
विषय: "उजाला"
अवधि : 29-09-2017 से 30-09-2017
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक हिंदी लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि भी लिखे/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
5. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
6. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।
7. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
8. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है।
9. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
10. गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI    
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मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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सच में कभी कभी एक ही पहलु दिखाई देता है जिस से अनर्थ ही होता है। बेहद सार्थक रचना की बधाई सादर नमन सहित स्वीकार करे जी।

अच्छी लघुकथा कही है भाई सुनील कुमार जी. विषय तो सम-सामयिक है ही और रचना सन्देश भी बढ़िया दे रही है जिस हेतु हार्दिक बधाई प्रेषित है. लेकिन लघुकथा निरी विवरणात्मक शैली में होने के कारण उतनी प्रभावशाली नहीं बन पाई. विवरण के के साथ साथ यदि कुछ संवाद भी दिए जाते तो इसका प्रभाव द्विगुणित हो जाता.

हार्दिक बधाई आदरणीय सुनील वर्मा जी।मौजूदा हालात पर कटाक्ष करती बेहतरीन और संदेशप्रद लघुकथा।

आदरणीय भाई सुनील जी लघु कथा में आपकी पकड़ देखते ही बनती है शीर्षक के साथ न्याय करती सार्थक सन्देश देती और वर्तमान में गौ रक्षा के नाम पर जो अव्यबस्था है इस पर प्रहार करती शानदार रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर
कथा के जरिये आपने गोरक्षकों की स्थिति पर कटाक्ष किया ।बधाई कथा के लिये आद० सुनील वर्मा जी ।
जनाब सुनील वर्मा साहिब ,प्रदत्त विषय पर संदेश देती हुई उम्दा लघुकथा हुआ है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें

गौ रक्षा के नाम पर हो रही गुंडई पर तीखा तंज , बहुत बढ़िया , विवरणात्मक लघु कथा लिखना मुझे हमेशा चुनौती लगता है , पर आपने कुशलता से निभाया है इस शैली को,  हार्दिक बधाई आपको आदरणीय सुनील जी 

एक अलग पहलू को उजागर करती रचना।सुनील जी आपकी कथाएं हमेशा ही बढिया होती हैं।हार्दिक बधाई आपको इस रचना के लिए।
Badhaiya katha hui hai adarniya Suneel ji hardik badhai
आदरनीय सुनील भाई, समाज से एक महत्वपूर्ण विसंगति को उठाया है आपने, गौ रक्षा के नाम पर जो गुंडई हो रही उस पर सही तंज और उम्दा सन्देश है। गाड़ी वाले का नाम कुरैसी होना क्या इस हादसे का बड़ा कारण है? मुझे यहाँ थोड़ी सी असहजता हुई। क्योंकि इस माहौल की आलोचना करने के लिए पन्थ विशेष का नाम न भी लिया जाता तो ठीक रहता। जब गौ रक्षक चोला धारी गुंडों के ख़ौफ़ का माहौल बरकरार है,तो सभा ने आरिफ़ भाई को ही क्यों चुना इस काम के लिए। मुझे महसूस हुआ कि यदि ईस्की जगह कोई और नाम भी होता तो अपनी बात फिर भी जोरदार थी
आदरणीय सतविंद्र जी आदाब,मैं आपके यह कहने की-"जब गौ रक्षक चोलाधारी गुंडे के ख़ौफ का माहौल बरकरार है , तो सभा ने आरिफ़ भाई को ही क्यों चुना इस काम के लिए ।" इसका आशय स्पष्ट करने का कष्ट करें ।
आदरनीय सुनील भाई, समाज से एक महत्वपूर्ण विसंगति को उठाया है आपने, गौ रक्षा के नाम पर जो गुंडई हो रही उस पर सही तंज और उम्दा सन्देश है। गाड़ी वाले का नाम कुरैसी होना क्या इस हादसे का बड़ा कारण है? मुझे यहाँ थोड़ी सी असहजता हुई। क्योंकि इस माहौल की आलोचना करने के लिए पन्थ विशेष का नाम न भी लिया जाता तो ठीक रहता। जब गौ रक्षक चोला धारी गुंडों के ख़ौफ़ का माहौल बरकरार है,तो सभा ने आरिफ़ भाई को ही क्यों चुना इस काम के लिए। मुझे महसूस हुआ कि यदि ईस्की जगह कोई और नाम भी होता तो अपनी बात फिर भी जोरदार थी

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