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पता ही पूछ लेते आप भी मयखाने का

दिखा है आइने में अक्स जो अंजाने का

कोई किरदार था भूले हुए अफ़साने का



मुझे जिसने भुलाया चार दिन की चाहत कर

वही अब ढूंढता है इक बहाना आने का



शराबी मिल गया गुजरात की गलियों में गर

पता ही पूछ लेते आप भी मयखाने का



जरा सी बात पर…

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Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 11, 2012 at 10:19am — 4 Comments

पानी



बैठा प्रभु मेरे समक्ष तिलक लगे निज आस

चन्दन मैं कैसे घिसूँ नहीं जो पानी पास

सात दीप और सात समुन्दर

सुन्दर कृति जल थल नभ पर

सात सुरों से संगीत बजता

पंचम पे पा सप्तम नी सजता

पंचम से गीत जब सजता

सप्तम बिना कंठ नहीं रुचता

पंचम सप्तम जब मिल जाते

गीत मनोहर सुन्दर भाते

जीवन का सुन्दर आधार

पंचम सप्तम का युगल संसार

तत्व समझते मुनिवर विज्ञानी

श्रष्टि जीवन शून्य बिन पानी

जल बिन जीवन मीन बिन पानी

पानी जीवन पर्याय बना है…

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Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 11, 2012 at 10:00am — 6 Comments


मुख्य प्रबंधक
लघुकथा : खौफ़

ट्रेन तकरीबन आधी रात के समय स्टेशन पर पहुंची, राजीव एक हाथ में सूटकेस संभालते पत्नी निधि को साथ लेकर जल्दी से ट्रेन से उतरा, अमूमन चहल पहल वाले इस स्टेशन पर सन्नाटा पसरा था, वहां केवल तीन चार ऑटो रिक्शा वाले ही मौजूद थे किन्तु उनमे भी सवारी बैठाने की कोई चिल्ल पौं न थी | राजीव ने बारी बारी सभी से कृष्णा कालोनी चलने को कहा, लेकिन कोई जाने को तैयार ही नहीं हुआ, तो उसने पूछा,

"आखिर बात क्या हैं, क्यों नहीं जाना चाहते ?"

"शहर के हालत अच्छे नहीं है बाबूजी, आज कुछ असामाजिक तत्वों ने…

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Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 10, 2012 at 9:37pm — 39 Comments

रूपसी संध्या

अरुण करुण रतनार गगन में 

कुछ चंचल कुछ शांत भाव में लीन

अद्वैत रागिनी अलापती ...

धुल धूसित आभा से कुछ थकी मंशा से 

मधुर-मधुर करुण ध्वनि की रागिनी ! 



यों डगमग हलचल सरिता की लहरों सी

उथल पुथल कर गिरती चलती 

असफल पथिक की करुण कथा 

शांत-शांत शून्य में झाँकती

रोती मुस्कराती रूपसी

हरित धरा के अधर…

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Added by Raj Tomar on June 10, 2012 at 8:16pm — 5 Comments

अब मुझे पता न बताओ मेरी मंजिलो का

अब मुझे पता न बताओ मेरी मंजिलो का

पूझे पता है की मुझे जाना किधर है

वही से आया हू वही जाऊंगा बेफिक्र रह

चाहो तो भाल पर पढ़ लो नक्सा इधर है

लूटे नहीं इस शहर में अमीर के घर…

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Added by yogesh shivhare on June 10, 2012 at 5:30pm — 4 Comments

कोई शायर ग़ज़ल से मिल रहा जैसे

सदा मैंने सुनी उसने कहा जैसे

नहीं आती नज़र वो है खुदा जैसे



ग़मों में भी हसीं मुस्कान रखते हैं

कभी पानी न आँखों से बहा जैसे



उसे मैं देख कर खो ही गया मौला


कोई शायर ग़ज़ल से मिल रहा जैसे…



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Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 10, 2012 at 4:46pm — 3 Comments

न जाने किस सागर में कश्ती का ठिकाना हो जाये

 

न जाने किस सागर में कश्ती का ठिकाना हो जाये

किस बात पे चर्चे हों जाएँ ,फिर कैसा फ़साना हो जाये  

कागज़ पे लिख लिख कर तुम  कोई सन्देशा न भेजो 
कहीं नेकी के फितरत में नहीं दुश्मन ज़माना  हो…
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Added by Nilansh on June 10, 2012 at 10:55am — 8 Comments

डॉ. किरण बेदी जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ

आज 9 जून, 2012 को डॉ. किरण बेदी जी का जन्मदिन है. उन्होंने आज अपना जन्मदिन बंगला साहिब गुरूद्वारे में ही मनाया. उनके निमंत्रण पर आपका मित्र सुमित प्रताप सिंह पहुंचा सुनने बंगला साहिब में अरदास...

डॉ. किरण बेदी जी को उनके जन्मदिन पर दिल्ली गान की सी.डी. व ओउम् भेंट करते हुए आपके अपने सुमित प्रताप सिंह बोले तो…

Added by SUMIT PRATAP SINGH on June 9, 2012 at 6:59pm — 4 Comments

इंतज़ार........

इंतज़ार........

हम आज भी तेरे जाने के बाद, तेरे कदमो के निशाँ पे सर रख के सजदा करते हैं I

जो आँख तेरे आने पे झपकना भूल जाती थी, और एकटक निहारा करती थी तुम्हें

वही आँखें अब तेरे कदमों की छाप पर टिकी इंतज़ार करती हैं,

कि कब ये निशाँ वापस मेरी ओर लौट कर आयेंगे....

कान हर पल तेरी आहात को सुनने के लिए बेताब रहते हैं,

दिल-ओ-दिमाग हर वक़्त हर वक़्त तेरे ख़यालों में गुम सा रहता है,

दिल हर घडी…
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Added by Monika Jain on June 9, 2012 at 6:16pm — 2 Comments

चीन से रहना हमें चौकन्ना बाबाजी

रामदेव से मिल गये  अन्ना बाबाजी

राहुल की माँ रह गई भन्ना बाबाजी



काला धन यदि सचमुच वापिस आया तो…

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Added by Albela Khatri on June 9, 2012 at 12:00pm — 19 Comments

गीत: थिरक रही है... -- संजीव 'सलिल'

गीत:

थिरक रही है...

संजीव 'सलिल'

*

थिरक रही है,

मृदुल चाँदनी थिरक रही है...

*

बाधाओं की चट्टानों पर

शिलालेख अंकित प्रयास के.

नेह नर्मदा की धारा में,

लहर-भँवर प्रवहित हुलास के.

धुआँधार का घन-गर्जन रव,

सुन-सुन रेवा सिहर रही है.

मृदुल चाँदनी थिरक रही है...

*

मौन मौलश्री ध्यान लगाये,

आदम से इन्सान बनेगा.

धरती पर रहकर जीते जी,

खुद अपना भगवान गढ़ेगा.

जिजीविषा सांसों की अप्रतिम

आस-हास बन बिखर रही है.

मृदुल चाँदनी…

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Added by sanjiv verma 'salil' on June 9, 2012 at 11:59am — 6 Comments

सरकार पहले अपनी फिजूलखर्ची बंद करे....राजीव गुप्ता

सरकार पहले अपनी फिजूलखर्ची बंद करे
 …
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Added by Admin on June 8, 2012 at 11:04pm — 2 Comments

आंख में कैसा गंगाजल

कैसी हलचल ह्रदय में ,आंख में कैसा गंगाजल

कैसा जीवन है ये जहा, मरता है मन पल पल .



सब यहाँ लिए है नयन,पर है ये कैसा अंधापन

जीवन की सच्चाई से भाग रहा मानव हर पल



साथ नहीं…

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Added by yogesh shivhare on June 8, 2012 at 11:00pm — 1 Comment

यहाँ सभी की आँख सजल है बाबाजी



जिधर देखिये, जल ही जल है बाबाजी

यहाँ सभी  की आँख सजल है बाबाजी





लोग जिसे गंगाजल कह कर  पीते हैं

वह   गंगा  का  अश्रुजल  है …

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Added by Albela Khatri on June 8, 2012 at 8:50pm — 16 Comments

जो चला गया

ग़मों का कारवां मेरे दामन से कब लिपट गया,
मौसम जो था सावन का नयनो में ठहर गया ,
खुद को बहुत समझाया मगर ये समझ न आया ,
वो वक़्त का मुसाफिर था चला गया तो चला गया

Added by yogesh shivhare on June 8, 2012 at 3:00pm — 8 Comments

सचमुच कभी नहीं आ सकता इतना अच्छा राज

सचमुच कभी नहीं आ सकता इतना अच्छा राज
हर भ्रष्ट भ्रष्टाचार की गंगा में नहा रहा है आज
जितने पैसो में पूरे महीने का राशन लाते थे पिताजी
उतने पैसो में ला रहा हूँ मै मुठ्ठी भर अनाज

Added by RAJESH GOGIYA on June 8, 2012 at 1:00pm — 5 Comments

कठोर बाबा

इण्डिया टी० वी० की ताज़ा  खबर:निर्मल बाबा के जून में दिल्ली श्रीफोर्ट में होने वाले चारों समागम स्थगित हो गए हैं बेचारे बाबा भक्तों के पैसे लौटाएंगे श्रीफोर्ट बुकिंग  के नौ लाख रुपये लौटा दिए I
कठोर बाबा
प्यारे निर्मल भक्तो 
न घबराएँ न शरमाएँ 
यह पैसे लेकर सीघे…
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Added by Deepak Sharma Kuluvi on June 8, 2012 at 10:45am — 8 Comments

धरा लुट गयी तो गगन बेच देंगे

लुटेरे वतन के वतन बेच देंगे

धरा लुट गयी तो गगन बेच देंगे



सजावट बनावट जिसे भा रही हो

कली फूल क्या है चमन बेच देंगे



अगर आँख खोली न अपनी अभी तो

फरेबी कलामो- रमन बेच देंगे



बनाया नहीं गर नया कुंड कोई…

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Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 8, 2012 at 9:06am — 8 Comments

दोषी कौन

ऋषि मुनियों की ये धरती

बहती ज्ञान की गंगा

योगी सिद्ध जन पूजे जाते

था मन निर्मल तन चंगा

कोई गाये लहराए कोई पूछे

बाबा रे बाबा तेरा रंग कैसा

दिव्य मुस्कान ले बाबा बोले

जिसमें मिला दो उस जैसा

काल बदला विचार बदला

आदमी का हाल बदला

अंधविश्वास आधुनिकीकरण की दौड़

बाबाओं ने भी चोला बदला

बिकता पानी बिकता खून

बिकती भूख गिरते भ्रूण

अस्मत बिकती कटते वन

सफ़ेद चोला काला मन

बिक रही जब हर चीज

बाबा फिर…

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Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 7, 2012 at 9:30pm — 12 Comments

बिंदिया [लघु कथा ]

मीनू की डोली जब प्रशांत के घर के आगे रुकी तो दरवाजे पर पूजा की थाली लिए शिखा खड़ी थी | शिखा ने आगे बढ़ कर अपने प्यारे भैया प्रशांत और अपनी प्यारी सखी जो आज दुल्हन बनी ,भाभी के रूप में उसके सामने  खड़ी थी ,आरती उतार कर स्वागत किया |बर्तन में भरे हुए चावल को अपने पैर से बिखराते हुए ,पूरे रीति रिवाज के अनुसार मीनू ने अपने ससुराल में प्रवेश किया |पूरा घर खुशियों से चहक उठा ,शिखा ने मीनू को गले लगाते हुए कहा ,''आज तुम्हारा पांच साल से परवान चढ़ता हुआ प्रेम सफल हुआ ,मै जानती हूँ तुम और…

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Added by Rekha Joshi on June 7, 2012 at 5:25pm — 23 Comments

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