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May 2012 Blog Posts (135)

वो सिर्फ बदनाम है

बेवफाई तेरी का ये अंजाम है
गूंजता महफ़िलों में मेरा नाम है |


क्या मिला पूछते हो, सुनो तुम जरा
इश्क का अश्क औ' दर्द इनाम है…
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Added by dilbag virk on May 24, 2012 at 7:42pm — 10 Comments

हाँ वो मेरी बेटी है

हाँ  वो  मेरी   बेटी  है  

जो  बगल  में  लेटी है  

मेरा  प्यार  है  वो  

जीवन  की  बहार  है  वो 

हमारे प्यार की   निशानी 

एक अनकही   कहानी   

खिलखिलाहट   उसकी  

दीवाना  करती  है  

जाएगी …

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Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 24, 2012 at 6:29pm — 28 Comments

आल्हा - एक प्रयास

दुनिया यही सिखाती हरदम, सीख सके तो तू भी सीख।  

आदर्शों पर चलकर हासिल, कुछ ना होगा, मांगो भीख।

 

तीखे कर दांतों को अपने, मत रह सहमा औ…

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Added by Sanjay Mishra 'Habib' on May 24, 2012 at 4:00pm — 20 Comments

2 मुक्तक

1

बिन जाने ह्रदय की पीड़ा पिया , दिल तोड़ के ऐसे जाते हो

मैं बैठी राह को तकती यहाँ, मुह मोड़ के ऐसे जाते हो

क्यूँ रूठे हो जरा हमसे कहो, बिन बात के कैसे जानूं मैं

प्रिय मेरे साथ में तुम थे चले, अब छोड़ के ऐसे जाते हो

2…

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Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 24, 2012 at 12:30pm — 9 Comments

मेरी बेटी...

तू मेरे लिए परियों का रूप है जैसे,

कड़कती ठंड मे सुहानी धूप हैं जैसे,

तू हैं सुबह चिड़ियो की चहचहाहट जैसी,

या फिर कोई निश्छल खिलखिलाहट जैसी।

तू हैं मेरी हर उदासी के मर्ज की दवा जैसी,

या उमस मे चली शीतल हवा जैसी।

तू मेरे आँगन मे फैला कोई उजाला है जैसे,

या मेरे गुस्से को लगा कोई ताला है जैसे।

वो पहाड़ की चोटी पे सजी सूरज की किरण है जैसे,

या चाँदनी बन करती वो सारी ज़मीन रोशन हैं जैसे

मेरी आँख मे आँसू आते ही मेरे संग संग वो भी…

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Added by Vasudha Nigam on May 24, 2012 at 12:19pm — 9 Comments

मुहब्बत कर लें

मुहब्बत कर लें

आओ मिल जुल के इस दुनियाँ से मुहब्बत कर लें

अमन-ओ-चैन का हर दिल में इक जज़्बा भर दें
गर तेरे शहर मंदिर नहीं कोई बात नहीं
हमको ले चल तू मस्जिद में इबादत कर लें
फर्क मज़हब में गर होता तो रंग-ए-खूँ भी अलग होता
तेरा पीला उसका नीला कहाँ लाल होता
तेरे अल्ला मेरे भगवान में कोई फर्क नहीं 
हो न ऐतवार तो चल उनसे ही शिकायत कर लें …
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Added by Deepak Sharma Kuluvi on May 24, 2012 at 11:16am — 9 Comments

बस्तियाँ हो गईं वीरान कहीं और चलें

शहर ये हो गया शमशान कहीं और चलें॥

बस्तियाँ हो गईं वीरान कहीं और चलें॥



कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई यहाँ,  

है नहीं कोई भी इंसान…

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Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 24, 2012 at 7:30am — 11 Comments

ऐसे थम थम के जो चलोगी क़यामत होगी

तेरी चाहत में डूब रब की इबादत होगी

मेरे इस दिल पे अगर तेरी इनायत होगी



तेरे क़दमों की आहटों पे मिटे बैठे हैं…

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Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 23, 2012 at 10:30pm — 7 Comments

===========|| नैन ||==========

===========|| नैन ||==========



मन भावन है गोरी तेरे नैनो की प्यारी भाषा

इन गहरे नैनो में अब तो बसने की है अभिलाषा

देखा जबसे इन नैनो को किस दुनिया में डूबा हूँ

डूबा डूबा सोचे ये मन इन नैनो की परिभाषा



इन नैनो से होती वर्षा चाहत वाले तीरों…

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Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 23, 2012 at 4:37pm — 3 Comments

मुक्तक

मुक्तक



तुम देखो हृदय की पीड़ा प्रिये, इस तरह मुझे तडपाती हो

छुप छुप के निहारो एकटक मुझे, दिन रात जिया तरसाती हो

मैं जानूं तुम्हारे मन की व्यथा, दिखलावे को इतराती हो

कह डालो ह्रदय को खोलो…

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Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 23, 2012 at 12:30pm — 4 Comments

रच ऐसे छंद कवि, हिंद की तू आन है

लिखना हो कविता तो, भाव को टटोल ले तू |

भाव लिए लय ही तो, कविता में प्राण हैं ||

 

छंद में जो हो प्रवाह, लोग करें वाह वाह |

ह्रदय को भेदता जो, शब्द रुपी बाण हैं…

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Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 22, 2012 at 10:00pm — 6 Comments

कटाक्ष... क्रिकेट बनाम थप्पड़-मुक्केबाजी........!

कटाक्ष... क्रिकेट बनाम थप्पड़-मुक्केबाजी........! भाई साहब, क्रिकेट इक दर्शन है.... आय. पी . एल.' उसका विराट प्रदर्शन है.आज देश की पहचान पूरे विश्व में इसी कारण है.वो कितने अफसोसनाक दिन थे जब हमारे देश को घोर गरीबी क़े कारण जाना जाता था.आई पि एल ने हमारे प्रति दुनिया का नजरिया ही बदल दिया. आज क्रिकेट में क्या नही है!! शोहरत है..पैसा है...ऐय्याशी क़े छलकते जाम है ..मरमरी बांहें हैं ..शोख निगाहे है...चमकते सितारे है...संसद में दारू बनाने,पीने-पिलाने वालो का नेतृत्व करने वाले हस्ताक्षर…

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Added by AVINASH S BAGDE on May 22, 2012 at 2:44pm — 10 Comments

|| माँ शारदे स्तुति "घनाक्षरी छंद" ||

|| माँ शारदे स्तुति "घनाक्षरी छंद" ||



नव नव छंद लिखूं, छंद में आनंद लिखूं |

ऐसा वरदान देना, मेरी माता शारदे ||



जब भी श्रृंगार लिखूं , अपने विचार लिखूं |

मान…

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Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 22, 2012 at 10:30am — 8 Comments

मुक्तिका: दिल में दूरी... --संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:

दिल में दूरी...

संजीव 'सलिल'

*

दिल में दूरी हो मगर हाथ मिलाये रखना.

भूख सहकर भी 'सलिल' साख बचाये रखना..



जहाँ माटी ही न मजबूत मिले छोड़ उसे.

भूल कर भी न वहाँ नीव के पाये रखना..



गैर के डर से न अपनों को कभी बिसराना.

दर पे अपनों के न कभी मुँह को तू बाये रखना..



ज्योति होती है अमर तम ही मरा करता है.

जब भी अँधियारा घिरे आस बचाये रखना..



कोई प्यासा ले बुझा प्यास, मना मत करना.

जूझ पत्थर से सलिल धार बहाये…

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Added by sanjiv verma 'salil' on May 22, 2012 at 10:00am — 10 Comments

सूरज कभी सोता नही [लघु कथा ]

नन्हे बबलू ने रोहित से पूछा ,''अंकल क्या सूरज थकता नही है ?वह तो कभी सोता ही नहीं ,''उस नन्हे बच्चे के इस सवाल ने रोहित को लाजवाब कर दिया |एक हारे हुए इंसान को उम्मीद की नवकिरण  दिखा रहा था ,उस पांच साल के नन्हे से बच्चे का सवाल |एक हारा हुआ बिल्डर जिसकी बनाई हुई इमारत हाल ही में तांश के पत्तो सी बिखर गई थी और उसके साथ साथ उसकी आर्थिक स्थिति भी डांवाडोल हो  चुकी थी,लेकिन बबलू  का वह वाक्य उसे एक नई राह दिखा रहा था | रोहित ने अपनी कम्पनी के पूरे स्टाफ को फिर से बुलाया ,नयी रूपरेखा तैयार…

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Added by Rekha Joshi on May 21, 2012 at 11:31pm — 25 Comments

घनाक्षरी

एक घनाक्षरी लिखने का प्रयास है दोस्तों



फूल है तू, शूल है तू, हॉट है तू. कूल है तू

कहा नहीं जा रहा है, गोरी तेरा रूप ये |



विरह की आग तू है मिलन की प्यास तू है

दिल की तड़प मेरी, कितनी अनूप ये |



बाल काले बादलों से. फिरें हम पागलों से

कभी ठंडी छाँव और, कभी तेज धूप ये |



तेरी ये मुस्कान प्यारी, नैन जैसे है कटारी…
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Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 21, 2012 at 8:00pm — No Comments

"|| शुद्धगा छंद ||"

"|| "शुद्धगा छंद" ||" 

(२८ मात्रा "१ २ २ २   १ २ २ २   १ २ २ २   १ २ २ २ ")

------------------------------------------------------------------------

यहाँ पर प्रेम पूजा प्रेमियों की जानता हूँ मैं

जहाँ पर है सखी भगवान जैसी मानता हूँ मैं

मिले जब…

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Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 21, 2012 at 2:00pm — 14 Comments


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हाइकु (सिर मुंडाते ही,हास्य )

हाइकु (सिर मुंडाते ही,हास्य  )

(1) 
सिर मुंडाया 
दुकान से निकले 
ओले बरसे 
(२)…
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Added by rajesh kumari on May 21, 2012 at 1:00pm — 27 Comments

''दिन गर्मी के रंगीन''

मिल्कशेक और आम का पन्ना

नाच-नाच कर पीता मुन्ना 

दिन आये गर्मी के रंगीन 

पर हम शरबत के शौकीन l

एक दो तीन

हुई परीक्षा खतम कभी की

घर में छाई रहती मस्ती

उछल कूद कर मुन्नी हँसती

मम्मी सब पर रहे बरसती 

हर दिन होता दंगे का सीन l

पर हम शरबत के शौकीन l

तीन चार पाँच 

कुल्फी, शरबत और ठंडाई  

ठंडी रबड़ी और मलाई

सबने घर में डट कर खाई

भूल-भाल गये सभी पढ़ाई 

ना लगता कोई…

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Added by Shanno Aggarwal on May 20, 2012 at 6:30pm — 17 Comments

दर्द-ए- तिहाड़ जेल!!!!...कटाक्ष.

दर्द-ए- तिहाड़ जेल!!!!

"वो भी क्या दिन थे! करुणा की कनीमोजी...बड़े खिलाडी या खिलाडियों के खिलाडी कलमाड़ी.....और टेलीकाम के एक-छत्र राजा -धिराज  यानी ए.राजा और ...'करलो दुनिया मुट्ठी में' के दो-चार बड़े बाबू... जैसे सारे लोग अपनी मुट्ठी में थे...!!!!"सर पे हाथ रख कर  आज तिहाड़ जेल की आत्मा विलाप कर रही है.उसका विलाप करना भी लाजिमी ही है.साल भर से देश की मिडिया की सुर्खियाँ बटोरने का चस्का जो लग गया था तिहाड़ को.. राजाज का छींकना...कनीमोजी के मेकअप में उंच-नीच...कलमाड़ी…
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Added by AVINASH S BAGDE on May 20, 2012 at 3:30pm — 14 Comments

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