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रच ऐसे छंद कवि, हिंद की तू आन है

लिखना हो कविता तो, भाव को टटोल ले तू |

भाव लिए लय ही तो, कविता में प्राण हैं ||

 

छंद में जो हो प्रवाह, लोग करें वाह वाह |

ह्रदय को भेदता जो, शब्द रुपी बाण हैं ||

 

मेघ छाये भाव भरे, रस की जो वृष्टि करे |

मन भीग जाए तो ही, कविता का मान है ||

 

यति गति ध्यान रख, गणना का ज्ञान रख |
रच ऐसे छंद कवि, हिंद की तू आन है ||


 

संदीप पटेल "दीप"


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Comment by आशीष यादव on May 24, 2012 at 11:00am
जबरदस्त
Comment by MAHIMA SHREE on May 23, 2012 at 9:42pm

मेघ छाये भाव भरे, रस की जो वृष्टि करे |

मन भीग जाए तो ही, कविता का मान है ||

संदीप जी बहुत ही सुंदर अभिवयक्ति ..बधाई आपको

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 23, 2012 at 11:37am

आदरणीय सुरेन्द्र जी आपका ह्रदय से धन्यवाद और सादर आभार

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 23, 2012 at 11:36am

आपका बहुत बहुत आभारी हूँ आदरणीया राजेश कुमारी जी
सादर वन्दे


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 23, 2012 at 11:21am

मेघ छाये भाव भरे, रस की जो वृष्टि करे |

मन भीग जाए तो ही, कविता का मान है ||वाह ...बहुत श्रेष्ठ विचार इन पंक्तियों के लिए तो विशेष शाबाशी 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 22, 2012 at 11:18pm

मेघ छाये भाव भरे, रस की जो वृष्टि करे |

मन भीग जाए तो ही, कविता का मान है ||

 

हिंदी का तू मान रख, लय का तू भान रख |

रच ऐसे छंद कवि, हिंद की तू आन है 

प्रिय संदीप जी  बहुत सुन्दर विचार   ..आभार ....भ्रमर ५ 

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