For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

shashiprakash saini
  • 39, Male
  • Navimumbai, Maharashtra
  • India
Share on Facebook MySpace

Shashiprakash saini's Friends

  • Albela Khatri
  • Rekha Joshi
  • अरुण कुमार निगम
  • Arun Sri
  • aashukavi neeraj awasthi
  • satya upadhyay
  • mohinichordia
  • Sanjay Mishra 'Habib'
  • Shyam Bihari Shyamal
  • Tilak Raj Kapoor
  • Er. Ambarish Srivastava
  • AjAy Kumar Bohat
  • Abhinav Arun
  • Deepak Sharma Kuluvi
  • Saurabh Pandey
 

shashiprakash saini's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
navimumbai maharashtra
Native Place
ghazipur (U.P)
Profession
student (mba @ FMS BHU Varanasi)

shashiprakash saini's Photos

  • Add Photos
  • View All

Shashiprakash saini's Blog

मांगो वत्स क्या मांगते हो

रात स्वप्न में, प्रभु थे खड़े

बोले मांगो वत्स क्या मांगते हो

जमीं चाहते हो या आस्मां चाहते हो

बड़ी गाडी बड़ा घर नोटों की गट्ठर

या सत्ता सुख कुर्सी से हो कर

जो चाहो अभी दे दूँ

एक नयी ज़िन्दगी दे दूँ

मैंने माँगा तो क्या माँगा

एक बेंच पुरानीं सी

वो पीछे वाली मेरे स्कूल की

चाहिए मुझे

वो बचपन के ज़माने

दोस्त पुराने

मदन के डोसे पे टूटना

चेतन का वो टिफिन लूटना

अपना टिफिन बचाने में

टीचर…

Continue

Posted on July 23, 2013 at 11:00am — 7 Comments

तेरे साथ की जरुरत है

तन की नक्काशी कही धोखा ना देदे

मन से पुकारे की एक आवाज की जरुरत है

साथ तेरे चलने से जले या ना जले दुनिया

पर क़यामत तक चले की तेरे साथ की जरुरत है

 

 

झुर्रियाँ बाल सफ़ेद

सब उम्र के फरेब

तन…

Continue

Posted on March 10, 2012 at 2:00am — 7 Comments

ये आज का युवा हैं

आंधी हैं हवा हैं

बंधनों में क्या हैं

ये उफनता दरिया हैं  

किनारे तोड़ निकला हैं

मस्ती में मस्तमौला हैं

मुश्किल में हौसला हैं

अपनी पे आजाए तो जलजला हैं

ये आज का युवा हैं

 

कभी बेफिक्री का धुआँ हैं

कभी पानी का बुलबुला हैं

कभी संजीदगी से भरा हैं

ये आज का युवा हैं

पंखों को फडफडाता हैं

पेडों पे घोंसला बनाता है

अब की उड़ना ये चाहता हैं

दाव पे ज़िंदगी लगता हैं

हारा भी…

Continue

Posted on February 5, 2012 at 12:22am — 8 Comments

कोयलिया जब गाती है

चल झूठ रूठना है तेरा

आंखें सब बतलातीं है

कोयलिया जब गाती है

याद मीत की आती है

 

आँखों से अब ना आस गिरा

बातों पे रख विश्वास जरा

जाने दे मत रोक मुझें

सर पे दुनियां दारी है

कोयलिया जब गाती है

याद मीत की आती है

 

न तू भूलीं न मैं भुला

जब झूलें थे सावन झुला

मौसम अब के बरसातीं है

कोयलिया जब गाती है

याद मीत की आती है

 

चलतें थे तट पे साथ प्रिये

नटखट हाथों में हाथ…

Continue

Posted on January 19, 2012 at 4:00am — 2 Comments

Comment Wall (4 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 10:28am on July 14, 2012, Albela Khatri said…

swagat hai saini ji

At 10:38pm on January 8, 2012,
सदस्य कार्यकारिणी
अरुण कुमार निगम
said…

शशिप्रकाश जी, धन्यवाद.

At 11:04am on December 31, 2011, Arun Sri said…

स्वागत है सर !

At 9:31pm on December 29, 2011, Admin said…

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी हार्दिक आभार धन्यवाद , उचित सुझाव एवं सरसी छंद की प्रशंसा के लिए। १.... व्याकरण…"
48 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द लोकतंत्र के रक्षक हम ही, देते हरदम वोट नेता ससुर की इक उधेड़बुन, कब हो लूट खसोट हम ना…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
18 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
23 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service