आदरणीय लघुकथा प्रेमियो,
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अरे वाह्ह प्रदत्त विषय पर बहुत रोचक लघु कथा लिखी है हार्दिक बधाई आ० सतविन्द्र कुमार जी हार्दिक बधाई आपको .
भाई सतविन्द्र कुमार जी, अच्छी लघुकथा है लेकिन उस दर्जे की नहीं जैसी आपसे उम्मीद रहती हैI बहरहाल, बधाई प्रेषित हैI
आ.सतविन्द्र जी कटाक्ष करती सार्थक रचना के लिये बधाई आपको.
जनाब सतविंदर कुमार साहिब , दिल को छू लेने वाली, सन्देश देती अच्छी लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
हार्दिक बधाई आदरणीय सतविंदर कुमार जी !बहुत क़माल की लघुकथा की तस्वीर पेश की है!
चित्र के जरिये बड़ी ही स्वाभाविकता से आपने राजनितिक विसंगतियों को मोहरा बनाया है . शानदार लघुकथा के लिए प्रयास हुआ है आपका आदरणीय सतविंदर जी .बधाई कबूल फरमाइयेगा .
आदरणीय सतविन्द्र जी, बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है आपने. बढ़िया कटाक्ष किया है. प्रदत्त विषय पर एक सार्थक लघुकथा की प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. सादर
एक अलग फ्रेम में रची अच्छी लघुकथा प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई आदरणीय सतविन्द्र कुमार जी.
"मानव-मूल्य"
वह चित्रकार अपनी सर्वश्रेष्ठ कृति को निहार रहा था| चित्र में तीन बंदरों, जिनमें से एक बुरा नहीं देखता था, दूसरा बुरा नहीं कहता था और तीसरा बुरा नहीं सुनता था, को विकासवाद के सिद्दांत के अनुसार बढ़ते क्रम में मानव बनाकर दिखाया गया था|
उसके एक मित्र ने कक्ष में प्रवेश किया और चित्रकार को उस चित्र को निहारते देख उत्सुकता से पूछा, "यह क्या बनाया है?"
चित्रकार ने मित्र का मुस्कुरा कर स्वागत किया फिर ठंडे, गर्वमिश्रित और दार्शनिक स्वर में उत्तर दिया, "इस तस्वीर में ये तीनों प्रकृति के साथ विकास करते हुए बंदर से इंसान बन गये हैं, अब इनमें इंसानों जैसी बुद्धि आ गयी है| ‘कहाँ’ चुप रहना है, ‘क्या’ नहीं सुनना है और ‘क्या’ नहीं देखना है, यह समझ आ गयी है| 'अच्छाई और बुराई की परख' - पूर्वज बंदरों को ‘इस अदरक’ का स्वाद कहाँ मालूम था?"
आँखें बंद कर कहते हुए चित्रकार की आवाज़ में बात के अंत तक दार्शनिकता और बढ़ गयी थी|
"ओह! लेकिन तस्वीर में इन इंसानों की जेब कहाँ है?" मित्र की आवाज़ में आत्मविश्वास था|
चित्रकार हौले से चौंका, थोड़ी सी गर्दन घुमा कर अपने मित्र की तरफ देखा और पूछा, "क्यों...? जेब किसलिए?"
मित्र ने उत्तर दिया,
"ये केवल तभी बुरा नहीं देखेंगे, बुरा नहीं कहेंगे और बुरा नहीं सुनेगे जब इनकी जेबें भरी रहेंगी| इंसान हैं बंदर नहीं..."
(मौलिक और अप्रकाशित)
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