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नयना(आरती)कानिटकर
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  • Bhopal,madhya pradesh
  • India
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नयना(आरती)कानिटकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-148
"← मेरे बसंत चाय का घूँट तो रोज भरती हूँ  धीरे धीरे  सुबह शाम घर के बगीचे में या छत पर गुनगुनी धूप के साथ  फिर भी आज शाम कि चाय  कुछ खास थी चुसकी भरते ही कई दिनों से निस्तेज पडी मेरी देह में सरसराहट दौड़ गई बागीचे मे बहती…"
Feb 11
नयना(आरती)कानिटकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-94
"कर्ज की आपदा एक गंभीर मुद्दा है। रचना आरंभ अच्छी हुई पर अंत कहीं कमजोर पड़ गया। एक तंज कहता संवाद जुड़ जाए तो रचना तिखी हो जाएगी। सादर"
Jan 31
नयना(आरती)कानिटकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-94
"प्रतिकात्मक शैली की बेहतरीन लघुकथा हुई है मनन जी भाषा,प्रवाह सभी कुछ उत्तम"
Jan 31
नयना(आरती)कानिटकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-94
"घटना को अभी लघुकथा में परिवर्तित होना बाकी है। शुभकामनाएं "
Jan 31
नयना(आरती)कानिटकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-94
"समसामयिक रचना प्रतिभा दी। बहुत अच्छा मुद्दा उठाया आपदा पर आपने। क्षैत्रिय शब्दों के प्रयोग ने रचना में जान डाल दी। आपकी लेखनी इन दिनों चरम पर है आप बहुत अच्छा लिखा रही"
Jan 31
नयना(आरती)कानिटकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-94
"जी पहिला ड्राफ्ट. अचानक लिखी रचना है. अभी इस पर काम अवश्य करूॅंगी । वर्तनी पर भी कभी कभी आटोकरेक्शन गडबड कर देता है "
Jan 31
नयना(आरती)कानिटकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-94
"बहुत उम्दा लघुकथा बबिता जी"
Jan 31
नयना(आरती)कानिटकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-94
"प्रतिकों के माध्यम से अच्छी लघुकथा कमी अजय जी"
Jan 31
नयना(आरती)कानिटकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-94
"धात्री मैं बड़ी खुश थी .एक असुविधाओं से भरे छोटे से गांव से मई चकाचौंध  भरी नयी दुनिया में आ गयी थी . नयी -नयी थी सब लोग मेरा ख्याल बड़े प्यार से रखने लगे . सुख मेरे चारों और झूमने लगा था .हौले-हौले  मेरी खुशियाँ भी परवान चढ़ने लगी ,मेरी…"
Jan 31
नयना(आरती)कानिटकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-146
"जब हाथ कंधे पर पड़ा तो एक पल के लिए झेंप गई, उसने अपना सिर घुमाया और अपनी आँखें पोंछ लीं जैसे ही वह बालों में फंसे तिनके को हटाने के लिए आगे बढ़ा, वो उसके कंधे पर गिर फूट-फूट कर रो पड़ी मानो भीतर का सारा बवंडर निकल आया हो देखते ही देखते आँसू झील में…"
Dec 17, 2022
नयना(आरती)कानिटकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-85 (विषय: अहसास)
"कम शब्दों मे अच्छी लघुकथा . बधाइ आपको"
Apr 30, 2022
नयना(आरती)कानिटकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-85 (विषय: अहसास)
"आभार दीपा जी"
Apr 30, 2022
नयना(आरती)कानिटकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-85 (विषय: अहसास)
"धन्यवाद सर "
Apr 30, 2022
नयना(आरती)कानिटकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-85 (विषय: अहसास)
"विषयांतर्गत  बहुत बढिया रचना . नयी पिढी अब अपनी मा से खुलकर बात करने लगी है. उम्र क ये दौर सभी के बीच से गुजरत है जब किसी के साथ आकर्शन महसूस होता है और तभी संस्कारो की दोर का मजबूत होना बहुत जरुरी है , रचन मे माँ ने अच्ची सीख दी है कि…"
Apr 30, 2022
नयना(आरती)कानिटकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-85 (विषय: अहसास)
"क्षमा मै  कथ को समझने मे असमर्थ रही. बहरहाल सहभगित की बधाई "
Apr 30, 2022
नयना(आरती)कानिटकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-85 (विषय: अहसास)
"  संस्मरण की और झुकती लघुकथा . गतिविधियों में भाग नहीं लिया फिर भी देश के सैनिको के प्रति आदर का अहसास को परिभाषित कर रहा . अंतिम कालखंड में शिक्षक की कक्षा में उपस्थिति ...??. कैप को टोपी भी लिखा जा सकता है . बधाई आपको"
Apr 30, 2022

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Female
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Bhopal
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BHopal
Profession
S.A
About me
i try to learn every thing which possible for me.taking interest in reading & writing

नयना(आरती)कानिटकर's Blog

"किनारा "

मानो उन्हें  किसी की  प्रतीक्षा थी . उनका मन कुछ बैचैन हो रहा था ,वे अंदर ही अंदर कुछ असहाय सा महसूस कर रहे थे .हाथ पीछे की ओर बांधे वे द्वार पर आकर खड़े हो गए  तभी उनकी नजर सामने की और गई .वो धीमे-धीमे  चलकर  वह आती हुई कुछ दूरी पर खड़ी हो गई . दोनों ने एक दूसरे को देखा .

"तुम ? मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा .कितना बदल गई हो ,ये सफेद केश , ये कृश काया..." वे बोले 

"फिर तुमने मुझे पहचाना कैसे ?" उसका प्रतिप्रश्न 

" तुम्हारी हँसी का वो नूर, चहरे की निश्चलता आज भी वैसी ही है…

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Posted on March 19, 2021 at 10:00pm — 2 Comments

साक्षात्कार

उत्कर्षा का सारा शरीर थककर चूर हो चुका था कब नींद के आगोश में चली गयी पता ही नहीं चला ।



"हे ईश्वर ये किस पाप की सजा दी है तूने ये जन्म देकर जहाँ दो घड़ी का चैन नहीं ।"



"ऐसा क्यों कहती हो ,सतत कर्मशीलता ही तो भरी है मैंने तुम्हारी पेशियों में . क्या गलत किया?"



"प्रभु ! मैं भी कोई मशीन तो नहीं हूँ की ये सतत परिश्रमशीलता.."



"जानता हूँ ये सब सोचकर ही मैंने तुम्हें अष्टभुजा का प्रतिक रूप दिया है।"



"अष्टभुजा??? या कि...सारा श्रेय तो ..किंतु…

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Posted on May 8, 2020 at 7:52pm — 2 Comments

"मैं आ रही हूँ माँ....."

"मैं आ रही हूँ माँ..."

कितनी बार कहा था माँ ने "बेटा! बस एक बार तुम ग्रेजुएट हो जाओ फिर जहाँ भी किस्मत आजमाना चाहोगी तुम्हें रोकूँगी नही। ये पूरा का पूरा आकाश तुम्हारा हैं।" किंतु तब मैंने उनकी बातों को यूंही हवा में उड़ा दिया था।

संयुक्त परिवार में घर की सबसे खूबसूरत बेटी थी वह। बस! यही ज़रूर उसे ले डूबेगा कहाँ जानती थी। बारहवी के बाद ही अपनी रिश्तेदार के घर इस नगरी में आयी तो वापस लौटी ही नहीं कभी। माँ समझा-बुझाकर ले जाने आई थी उसे तब उन्हें…

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Posted on March 14, 2020 at 4:00pm — 1 Comment

मैं और मेरा मन

पहन रखा हैं 

मैने गले में, एक

गुलाबी चमक युक्त

बडा सा मोती

जिसकी आभा से दमकता हैं      

मेरा मुखमंडल 

मैं भी घूमती हूँ  इतराती हुई

उसके नभमंडल में…

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Posted on June 20, 2019 at 10:00am — 5 Comments

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At 7:45pm on November 30, 2017, डॉ छोटेलाल सिंह said…
आदरणीया नयना जी आपने लघुकथा के माध्यम से जो चित्र खींचा वह मर्मस्पर्शी है बहुत ही रोचक और प्रभावकारी है बहुत बहुत मुबारकबाद इस महान उपलब्धि के लिए
At 2:01pm on September 3, 2013, annapurna bajpai said…

welcome ,Nayana ji in our O B O family . 

 
 
 

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