बह्र -212-212-212-212
मैने कह तो दिया जिंदगी आपकी।।
अब समझ में नहीं आ रही बेरुख़ी ।।
धड़कनें दिल की अपनी जवां गिन कहो।
क्या बदलती न मेरे लिए आज भी।।
आप समझें मुझे गर खिलौना न गम।
मुझको स्वीकार है ना समझ आशिक़ी।।
प्यार अहसास जुल्मों सितम रख लिए।
आगे चलकर मिले न मिले यह सभी।।
जिसकी रग में मुहब्बत की स्याही बहे।
वो कलम क्या बगावत लिखेगी कभी।।
कितना छांटो या काटो या मोड़ो…
ContinueAdded by amod shrivastav (bindouri) on February 23, 2018 at 8:30am — 3 Comments
कुछ कह न सकूं राहे दिल पर बरबाद हूँ या आबाद हूँ मै ।
रहती है तेरी याद मुझे या खुद ही तेरी याद हूँ मै ।
ठुकराया भी तुमसे न गया अपनाया भी तुमसे न गया,
उल्फत के दर फरियादी की इक टूटी सी फरियाद हूँ मै ।
मैं जिस्म हूँ कोई माटी का इस जिस्म की जान तुम्ही तो हो,
कुछ भी न तुम्हारे पहले था कुछ भी न तुम्हारे बाद हूँ मै ।
ये दर्दे जुदाई भी तेरी ये इश्के खुदाई भी तेरी,
तेरे गम में गमगीन फिरूँ तेरे मद…
Added by Neeraj Nishchal on February 12, 2018 at 12:30am — 2 Comments
2122 2122 2122 212
स्वप्न का जो नाभिकी ये संलयन प्रारम्भ है
क्या किसी तारे का फिर से नव सृजन प्रारम्भ है
इस जगत को श्रेष्ठतम रचना समर्पित कर सकूँ
प्रति निशा मसि शब्द निद्रा का हवन प्रारम्भ है
मन-जगत घर्षण से अंतस में अनल जो है प्रकट
भावनाओं का उसी से आचमन प्रारम्भ है
लेखनी नें स्वयं से संकल्प इक धारण किया
एकता के भाव का सो संवहन प्रारम्भ है
चक्षुओं पर जो लगा कर घूमते चश्मा उन्हें
ताप…
ContinueAdded by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on February 5, 2018 at 5:07pm — 14 Comments
22 22 22 22 22 22 22 2
नैन में रैन गँवाए जाऊँ, वक्त पहाड़ जुदाई का
जाने सूरज कब निकले, है वक्त अभी रुसवाई का
उनको कोई ग़रज़ नहीं जो पूछें हाल हमारा भी
कोई दूजी वज्ह नहीं, परिणाम है कान भराई का…
ContinueAdded by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 9, 2018 at 4:30pm — 14 Comments
2122 2122 2122 212
आज अपना सारा ईगो ही जला देता हूँ मैं
बर्फ़ रिश्तों पर जमी उसको हटा देता हूँ मैं
मेरे होने की घुटन तुमको न हो महसूस अब
ज़िन्दगी खोने का खुद को हौसला देता हूँ मैं
नाम दूँ बदनामियाँ दूँ, मेरे वश में है नहीं
सो मेरे होठों को चुप रहना सिखा देता हूँ मैं
तेरे चहरे पर शिकन संकोच अब आए नहीं
इसलिए सौगात में अब फ़ासला देता हूँ मैं
कुछ नहीं बस हार इक ला कर चढ़ा…
ContinueAdded by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 2, 2018 at 9:00am — 22 Comments
अरकान : 2122 2122 2122 212
एक तरफ़ा इश्क़ मेरा बेअसर होने को है
ख़त्म यानी ज़िन्दगी का ये सफ़र होने को है
कहने को तो सर पे सूरज आ गया है दोस्तो
ज़िन्दगी में पर हमारी कब सहर होने को है
हर किसी ने हाथ में पत्थर उठाये देखिये
और फिर उनका निशाना मेरा सर होने को है
आपको चाहा था मैंने बेतहाशा टूट कर
अब यही तकलीफ़ मुझको उम्र भर होने को है
करना है कुछ आपको तो बस दुआएँ कीजिए
अब दवाओं का कहाँ मुझ पे असर होने को…
Added by Mahendra Kumar on December 26, 2017 at 10:00pm — 18 Comments
221 2121 1221 212
दामन को तीरगी से बचाते चले गए
ईमाँ की रोशनी में नहाते चले गए
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हम दर-बदर की ठोकरे खाते चले गए
फिर भी तराने प्यार के गाते चले गए
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कोशिश तो की भंवर ने डुबोने की बारहा
हम कश्ती-ए-हयात बचाते चले गए
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रुसवाईयों के डर से कभी बज़्में नाज़ में
हंस-हंस के दिल का दर्द छुपाते चले गए
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अपना रहा ख़्याल न कुछ होश ही रहा
आँखों में उनकी हम तो समाते चले गए
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करता है जो सभी के मुक़द्दर का…
ContinueAdded by SALIM RAZA REWA on December 5, 2017 at 6:00pm — 16 Comments
बेखब़र क्यों हो गया तू? हो गया अनजान क्यों?
ज़िंदगी तुझ पर ये दिल भी, कर गया कुरबान क्यों?
बेबसी कुछ भी नहीं थी, जिंदगी के दरमियाँ,
चार दिन का बन गया फिर, तू मिरा महमान क्यों?
पूछती है हाल …
ContinueAdded by प्रदीप कुमार पाण्डेय 'दीप' on December 1, 2017 at 8:30pm — 4 Comments
212 212 212 212
छोड़कर दर तेरा हम किधर जाएँगे
बिन तेरे आह भर-भर के मर जाएँगे
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चाँद भी देख कर उनको शरमाएगा
मेरे महबूब जिस दम संवर…
Added by SALIM RAZA REWA on November 20, 2017 at 10:00am — 15 Comments
212 212 212 212, 212 212 212 212
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जब तुम्हारी महब्बत में खो जाएंगे बिगड़ी क़िस्मत भी इक दिन संवर जाएगी /
लब तुम्हारी महब्बत में खो…
Added by SALIM RAZA REWA on November 15, 2017 at 9:00am — 21 Comments
Added by MOHD. RIZWAN (रिज़वान खैराबादी) on November 10, 2017 at 10:53pm — 2 Comments
जैसे चमन को फूल कली ताज़गी मिले-
वैसे ही जिंदगी तुम्हें महकी हुई मिले
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ये है दुआ तुम्हारा मुकद्दर बुलंद …
Added by SALIM RAZA REWA on November 6, 2017 at 11:00am — 8 Comments
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on November 5, 2017 at 10:35pm — 6 Comments
1222 1222 1222 1222
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जिधर देखो उधर मिहनत कशों की ऐसी हालत है-
ग़रीबों की जमा अत पर अमीरों की क़यादत…
ContinueAdded by SALIM RAZA REWA on November 1, 2017 at 9:30am — 15 Comments
Added by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on October 22, 2017 at 11:11am — 16 Comments
Added by जयनित कुमार मेहता on September 26, 2017 at 8:06pm — 14 Comments
अजब सी है जलन दिल में ये कैसी है मुझे तड़पन
उसे अहसास तो होगा बढ़ेगी दिल की जब धड़कन'
दिखा है जबसे उसकी आँखों में वीरान इक सहरा
मुझे क्या हो गया जाने कहीं लगता नहीं है मन
गले को घेर बाँहों से बदन करती कमाँ जब वो'
मुझे भी दर्द सा रहता मेरा भी टूटता है तन
वो रो लेती पिघल जाता हिमालय जैसा उसका गम
मगर सूरज के जैसे जलता रहता है मेरा तन मन
'नज़र मिलते ही मुझसे वो झुका लेते हैं यूँ गर्दन
ये मंज़र देख उठती है लहर…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on September 26, 2017 at 4:30pm — 14 Comments
बह्र : 2122-1122-1122-112/22
फिर मुहब्बत से लिया नाम तुम्हारा उसने
वार मुझ पर है किया कितना करारा उसने
मेरी कश्ती को समन्दर में उतारा उसने
और फिर कर दिया तूफ़ाँ को इशारा उसने
डूबते वक़्त दी आवाज़ बहुत मैंने मगर
बैठ कर दूर से देखा था नज़ारा उसने
आप कहते थे इसे बख़्श दो, देखो ख़ुद ही
मुझ में ख़ंजर ये उतारा है दुबारा उसने
ग़ैर भी कोई गुज़ारे न किसी ग़ैर के साथ
वक़्त…
ContinueAdded by Mahendra Kumar on September 26, 2017 at 10:00am — 30 Comments
22 22 22 22 22 22 22 2
.........................................
आएं न आएं वो लेकिन हम आस लगाए .बैठे हैं
दिन ढलते ही शमए मुहब्बत घर में जलाए बैठे हैं
..
अपनी ख़ामोशी में वो सब राज़ छुपाये बैठे हैं
..
हैरत है जो प्यार मुहब्बत से ना वाकिफ़ हैं यारो
वह इल्ज़ाम दग़ाबाज़ी का मुझ पे लगाए बैठे हैं
..
कौन है अपना कौन…
ContinueAdded by SALIM RAZA REWA on September 24, 2017 at 10:00am — 25 Comments
22 22 22 22 22 2
............................
खोया रहता हूँ मैं जिनकी यादों में
उनकी ही खुशबू है मेरी साँसों में
.
दिल के हाथों था मजबूर बहुत वरना
आता कब मैं उनकी मीठी बातों में
.
उनको खो देने का भी अहसास हुआ
रंग-ए-हिना जब देखा उनके हाथों में
.
खो कर दुनिया आख़िर उनको पाया है
यूँ ही नहीं है नाम मेरा अफसानों में
.
हर शय में उनका ही चेहरा दिखता है
उनके ही सपने हैं मे री आँखों …
ContinueAdded by SALIM RAZA REWA on September 21, 2017 at 8:30am — 7 Comments
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