For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल: हवा का शौक जब पर कुतरना हो गया है

हवा का शौक जब पर कुतरना हो गया है

तभी से इंकलाबी परिन्दा हो गया है

 

वो मेरी रहगुजर का उजाला हो गया है

उसे है जब भी देखा सवेरा हो गया है

 

तुम्हारे बिन गुजारा हमारा हो गया है

हमें जीनें का पक्का इरादा हो गया है

 

यहाँ बस्ती जली थी औ' ये अख़बार चुप था

तिरा आना ख़बर में धमाका हो गया है

 

शराफ़त,सच व ईमां हो सीरत आदमी की

मियाँ किस वहम में हो तुम्हें क्या हो गया है

 

ये मौसम संगदिल है या सूरज की है साजिश

पिघलकर आज शबनम कुहासा हो गया है

 

कोई कब है टिका जब भी आया दौरे तूफाँ

मदारी था जो कल तक जमूरा हो गया है

मौलिक वा अप्रकाशित 

Views: 772

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by भुवन निस्तेज on September 17, 2014 at 8:07pm

आदरणीय सौरभ पाण्डेय साहब बेहद शुक्रिया... मई कोशिस करूँगा की क्रिया परिवर्तित करूँ,,,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 15, 2014 at 2:31am

एक सार्थक प्रयास के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय भुवन भाईजी.
बहुत अच्छी ग़ज़ल से आपने प्रसन्न किया है. 

अलबत्ता, वो छींका और खबर में धमाका हो गया है .. जैसे मिसरे ग़ज़ल के लिहाज से सधे नहीं कहे जा सकते. ऐसा मेरा मानना है. छींकना जैसी क्रिया आपकी ग़ज़ल में जाने क्यों अटपटी लगी.
अन्यथा अन्य शेर बेहतर हुए हैं
दिल से दाद कुबूल कीजिये

Comment by भुवन निस्तेज on July 10, 2014 at 6:07pm

आदरणीय गुमनाम पिथोरागढ़ी भाई धन्यवाद....

Comment by भुवन निस्तेज on July 10, 2014 at 6:06pm

आदरणीय शिज्जु शकूर साहब हार्दिक धन्यवाद....

Comment by भुवन निस्तेज on July 10, 2014 at 6:05pm

आदरणीय  गिरिराज भंडारी साहब धन्यवाद. इस पर मैंने  १२२ २१२२ १२२ २१२२(

Comment by भुवन निस्तेज on July 10, 2014 at 6:02pm

आदरणीय  Ravi Prabhakar भाई, आपको मजा आ गया तो समझिये हमारी कोशिश कामयाब रही,कृपया स्नेह बनाये रक्खे...सादर..

Comment by भुवन निस्तेज on July 10, 2014 at 6:00pm

आदरणीय  Dr Ashutosh Mishra साहब आपकी नज़र पड़ते ही पत्थर पारस बन गया.....सादर..

Comment by भुवन निस्तेज on July 10, 2014 at 5:59pm

आदरणीय  अरुन शर्मा 'अनन्त भाई आपको ढेरों धन्यवाद, यह एहसास मुझे भी हो रहा था की ग़ज़ल पक नहीं रही, जब प्रयास कर हारा तो इसे मंच के हवाले कर दिया ताकि इस पर यहीं चर्चा हो पाए, पर दुर्भाग्य देखिये की कई दिनों से ऑफलाइन था....सादर

Comment by भुवन निस्तेज on July 10, 2014 at 5:55pm

आदरणीय  डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव साहब, हौसला आफज़ाई के लिए शुक्रिया...

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 9, 2014 at 7:25am

सुदर  गजल हुई  है  बधाई ।...........................i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
16 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
16 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
17 hours ago
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
17 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
19 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service