For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खोया रहता हूँ मैं जिनकी यादों में - सलीम रज़ा रीवा

22 22 22 22 22 2

............................

खोया रहता हूँ मैं जिनकी यादों में

उनकी  ही खुशबू है मेरी साँसों में

.

दिल के हाथों था मजबूर बहुत वरना

आता कब  मैं  उनकी मीठी बातों में

.

उनको खो देने का भी अहसास हुआ

रंग-ए-हिना जब देखा उनके हाथों में

.

खो कर दुनिया आख़िर उनको पाया है

यूँ  ही  नहीं  है नाम मेरा अफसानों में

.

हर शय में उनका ही चेहरा दिखता है

उनके  ही  सपने  हैं मे री  आँखों  में

.

उनको पाकर मैंने सब कुछ पाया है

खुशियों  की सौग़ात है मेरे  हांथो  में

.

हर पल मुझको उनकी याद सताती है

नीद नहीं  आती  है  अब  तो रातों में

.....................................

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 620

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SALIM RAZA REWA on September 21, 2017 at 10:26pm

आदरणीय नीलेश जी , अपने छोटे भाई की बात दिल से न लीजिएगा , 
आपकी वजह से मिसरे में बेहतर मशवरा मिल गया , और कही कुछ हो तो जरूर ध्यान केंद्रित कराएँ आभार ,

Comment by SALIM RAZA REWA on September 21, 2017 at 10:23pm

आली जनाब समर साहिब ,
आपके मशवरे से दिल को तसल्ली हुई मैं यह सुधर कर लूंगा आपका तहे दिल से शुक्रिया ,
आदरणीय नीलेश जी , अपने छोटे भाई की बात दिल से न लीजिएगा ,
आपकी वजह से मिसरे में बेहतर मशवरा मिल गया , और कही कुछ हो तो जरूर ध्यान केंद्रित कराएँ आभार ,

Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 21, 2017 at 9:29pm

शुक्रिया आ. समर सर इस ख़ुलासे के लिए...
मैं  हमेशा उलझ जाता हूँ इसमें 
सादर 

Comment by Samar kabeer on September 21, 2017 at 9:11pm
क़ाफ़िया मतले से ही तय होता है,हुस्न-ए-मतला के सानी को अगर यूँ कर लें तो :-
'वो दिखता है मुझको मस्त फ़ज़ाओं में'
Comment by SALIM RAZA REWA on September 21, 2017 at 8:47pm

आदरणीय नीलेश जी ,
आपका मत सही लगा इसलिए हमने अपना मत हटा लिया ,शेर में आपका मशवरा अच्छा है ,
अब इस बात पर गुनी जन कुछ बात करे तो एक साथ सुधार करता हूँ।
अवगत करने के लिए शुक्रिया ,

Comment by Mohammed Arif on September 21, 2017 at 5:30pm
आदरणीय सलीम रज़ा साहब आदाब, डहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें तथा जनाब निलेश जी बातों का संज्ञान लें ।
Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 21, 2017 at 3:58pm

आ. सलीम रज़ा साहब,
अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई ...
मैं मंच के गुणीजनों   से जानना चाहूँगा कि ग़ज़ल का काफ़िया मतले   से तय होगा या हुस्न-ए-मतला से क्यूँ कि यहाँ मतले में ओं स्वर  काफ़िया है लेकिन हुस्न-ए-मतला में आरों काफ़िया हो गया है.
इस शेर को यूँ करें तो शायद गैय्यता बढ़ जायेगी
.

दिल के हाथों था मजबूर बहुत वरना

आता /कब/  मैं  उनकी मीठी बातों में
.
पुन: बधाई 
सादर 

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service