For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Featured Blog Posts (1,175)

मैं कौन हूँ ,

मैं कौन हूँ?

ये सोच कर ,

विचार कर ,

परेशान हो गया ,

मेरी सोचने की क्षमता,

बेकार हो गई !



मैं कौन हूँ  ?

मन बोला मैं पंडित ,

मेरी बातो में दम हैं ,

इस धरती पर ,

सबसे बुद्धिशाली ,

मैं सबसे गुणी ,

मगर जो ,

हश्र रावण का हुआ ,

वो सोच मैं बेजार हो गया !



मैं कौन हूँ  ?

मगर मन भटकता रहा ,

अपने बल पे गरूर था ,

डरते हैं लोग सारे ,

अच्छो अच्छो को ,

पस्त कर डाला ,

मगर जो ,

हश्र…

Continue

Added by Rash Bihari Ravi on December 27, 2010 at 3:30pm — 14 Comments

ग़ज़ल : अज़ीज़ बेलगामी

ग़ज़ल



अज़ीज़ बेलगामी



ग़म उठाना अब ज़रूरी हो गया

चैन पाना अब ज़रूरी हो गया



आफियत की ज़िन्दगी जीते रहे

चोट खाना अब ज़रूरी हो गया



गूँज उट्ठे जिस से सारी काएनात

वो तराना अब ज़रूरी हो गया



जारहिय्यत  के दबे एहसास का

सर उठाना अब ज़रूरी हो गया



अब करम पर कोई आमादा नहीं

दिल दुखाना अब ज़रूरी हो गया



साज़िशौं, रुस्वायियौं को दफ'अतन…

Continue

Added by Azeez Belgaumi on December 26, 2010 at 2:00pm — 7 Comments

सोचना जरूरी है

ऐसे समय में

जब आदमी अपनी पहचान खो रहा है

बाजार हो रहा है हावी

और आदमी बिक रहा है

कैसी बच सकेगी आदमियत

यह सोचना जरूरी है।



टीवी पर दिखती रंग बिरंगी तस्वीरें

हकीकत नहीं है

और न ही पेज 3 पर के चेहरे

आज भी बच्चे

दो जून की रोटी के लिये

चुनते हैं कचरे

और करते हैं बूट पालिष

अरमानों को संजोये

हजारों लडकियां

पहुंच जाती हैं देह मंडी के बाजार में

और यही हकीकत है।



पूरी दुनिया की भी यही तस्वीर है

जब बाजार हो रहा है… Continue

Added by sanjeev sameer on December 26, 2010 at 12:29pm — 8 Comments

मैने सॅंटा को देखा है ..

मानो…

Continue

Added by Lata R.Ojha on December 26, 2010 at 1:30am — 4 Comments

मुक्तिका: कौन चला वनवास रे जोगी? -- संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:



कौन चला वनवास रे जोगी?



संजीव 'सलिल'

**



कौन चला वनवास रे जोगी?

अपना ही विश्वास रे जोगी.

*

बूँद-बूँद जल बचा नहीं तो

मिट न सकेगी प्यास रे जोगी.

*

भू -मंगल तज, मंगल-भू की

खोज हुई उपहास रे जोगी.

*

फिक्र करे हैं सदियों की, क्या

पल का है आभास रे जोगी?

*

गीता वह कहता हो जिसकी

श्वास-श्वास में रास रे जोगी.

*

अंतर से अंतर मिटने का

मंतर है चिर…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on December 21, 2010 at 11:36pm — 7 Comments

घनाक्षरी : जवानी --संजीव 'सलिल'

घनाक्षरी :

जवानी

संजीव 'सलिल'

*

१.

बिना सोचे काम करे, बिना परिणाम करे, व्यर्थ ही हमेशा होती ऐसी कुर्बानी है.

आगा-पीछा सोचे नहीं, भूल से भी सीखे नहीं, सच कहूँ नाम इसी दशा का नादानी है..

बूझ के, समझ के जो काम न अधूरा तजे- मानें या न मानें वही बुद्धिमान-ज्ञानी है.

'सलिल' जो काल-महाकाल से भी टकराए- नित्य बदलाव की कहानी ही जवानी है..

२.

लहर-लहर लड़े, भँवर-भँवर भिड़े, झर-झर झरने की ऐसी ही रवानी है.

सुरों में निवास करे,…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on December 20, 2010 at 5:00pm — 1 Comment

GAZAL ग़ज़ल by अज़ीज़ बेलगामी

 

ग़ज़ल

by

अज़ीज़ बेलगामी

 

हम समझते रहे हयात गयी

क्या खबर थी बस एक रात गयी



खान्खाहूँ से मैं निकल आया

अब वो महदूद काएनात…

Continue

Added by Azeez Belgaumi on December 19, 2010 at 4:00pm — 22 Comments

कविता :- माफ करना स्वस्तिका

कविता :- हमें माफ करना स्वस्तिका

हमें माफ करना स्वस्तिका

हमने भुला दी है इंसान होने की संवेदना

अब हमें तुम्हारे…

Continue

Added by Abhinav Arun on December 10, 2010 at 4:51pm — 14 Comments

लघु कथाएँ

पत्थर



वह रोज उसे ठोकर मारता |

आते जाते |

मगर वह टस से मस नहीं हुआ |

एक दिन जोर की ठोकर मारते ही उसके पांव लहू लुहान हो गए |

अब वह उस पत्थर की पूजा करता है |

हाँथ जोड़कर उसी तरह रोज आते जाते |



पानी



बाप ने कहा "बेटा पानी अब सर से ऊपर हो रहा है "

"आप वसीयत कर दे "

"तुम्हारी बहन को भी तो हिस्सा देना होगा "

"शादी में जितना दिया था उसका हिसाब… Continue

Added by Abhinav Arun on December 4, 2010 at 4:55pm — 6 Comments

मुक्तिका: जीवन की जय गायें हम.. संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:



जीवन की जय गायें हम..



संजीव 'सलिल'.

*

जीवन की जय गायें हम..

सुख-दुःख मिल सह जाएँ हम..

*

नेह नर्मदा में प्रति पल-

लहर-लहर लहरायें हम..

*

बाधा-संकट -अड़चन से

जूझ-जीत मुस्कायें हम..

*

गिरने से क्यों डरें?, गिरें.

उठ-बढ़ मंजिल पायें हम..

*

जब जो जैसा उचित लगे.

अपने स्वर में गायें हम..

*

चुपड़ी चाह न औरों की

अपनी रूखी खायें हम..

*

दुःख-पीड़ा को मौन सहें.

सुख बाँटें… Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on November 24, 2010 at 8:49pm — 5 Comments

तुम और तुम्हारी यादें

तुम और तुम्हारी यादें .. दिल से जाती ही नहीं ...

कई बार चाहा तुम चले जाओ..

मेरे दिल से .. मेरे दिमाग से ...



हर मुमकिन कोशिश कर के देख लिया ..

पर नाकाम रहे ...

कभी कभी सोचते हैं ..ऐसा क्या है हमारे बीच ...

जिसने हमें बांध कर रक्खा है ..

हमारा तो कोई रिश्ता भी नहीं ..



फिर क्या है ये ...?

"लेकिन नहीं" हैं न ..हमारे बीच एक सम्बन्ध ..

एहसास का सम्बन्ध ..

ये क्या है ..नहीं बता सकती मैं ..

एहसास को शब्दों में नहीं बाँध सकती मैं… Continue

Added by Anita Maurya on November 19, 2010 at 6:32pm — 17 Comments

तम से लड़ता रहा, दीप जलता रहा

तम से लड़ता रहा, दीप जलता रहा



एक, नन्हा सा दिया,

बस ठान बैठा, मन में हठ

अंधियार, मैं रहने न दूं,

मैं ही अकेला, लूं निपट



मन में सुदृढ़ संकल्प ले

जलने लगा वो अनवरत,

संत्रास के झोकों ने घेरा

जान दुर्वल, लघु, विनत



दूसरा आकर जुड़ा,

देख उसको थका हारा

धन्य समझूं, मैं स्वयं को

जल मरूं, पर दूं सहारा



इस तरह जुड़ते गए,

और श्रृंखला बनती गयी

निष्काम,परहित काम आयें

भावना पलती गयी



एक होता…
Continue

Added by Shriprakash shukla on November 19, 2010 at 2:00pm — 5 Comments

प्यार में शर्त-ए-वफ़ा पागलपन

प्यार में शर्त-ए-वफ़ा पागलपन
मुद्दतों हमने किया, पागलपन

हमने आवाज़ उठाई हक की
जबकि लोगों ने कहा, पागलपन

जाने वालों को सदा देने से
सोच क्या तुझको मिला, पागलपन

लोग सच्चाई से कतरा के गए
मुझ पे ही टूट पड़ा, पागलपन

जब भी देखा कभी मुड़ कर पीछे
अपना माज़ी ही लगा, पागलपन

खो गए वस्ल के लम्हे "श्रद्धा"
मूंद मत आँख, ये क्या पागलपन

Added by Shrddha on November 17, 2010 at 6:00pm — 16 Comments


मुख्य प्रबंधक
बलिया मे छठ पूजा, बागी की नजर से ....

सर्व शक्तिमान एवं प्रत्यक्ष भगवान सूर्य के उपासना का पर्व छठ पिछले दिनों उत्तर भारत सहित पूरे भारत मे काफी श्रद्धा और उल्लास से मनाया गया, बिहार से सटे उत्तर प्रदेश के बलिया जिले मे भी छठ का पवित्र त्यौहार धूम धाम से मनाया गया |

इस त्यौहार की खास बात यह है कि छठ पूजा मे प्रथम अर्ध्य डूबते हुये सूर्य को दिया जाता है तथा दूसरा अर्ध्य उगते हुये सूर्य का किया जाता है, यह परंपरा एक बहुत ही प्रसिद्ध कहावत कि " उगते सूर्य को सभी सलाम करते है तथा डूबते… Continue

Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 16, 2010 at 9:30am — 21 Comments

ग़ज़ल:- आज़ादी की बस इतनी परिभाषा

ग़ज़ल:- आज़ादी की बस इतनी परिभाषा



पोर पोर पर प्रकृति ने फेंका पासा देख

क्यों उदास है तू बसंत की भाषा देख |





श्रमजीवी कलमें कहतीं रूमानी शेर

कैसी उभरी अंतस की अभिलाषा देख |





युग के विश्वामित्र ने फिर छेड़ी है रार

फिर त्रिशंकु की टूट रही है आशा देख |





ठूंठ भरी इस राह में रोड़े और छाले

इस पथ जाता कौन पथिक रुआंसा देख |





भूख ग़रीबी महंगाई और भ्रष्टाचार

आजादी की… Continue

Added by Abhinav Arun on November 15, 2010 at 3:25pm — 3 Comments

जागो मेरे स्वामी जागो...

देवोत्थानी एकादशी के अवसर पर मेरे पूज्य पिताजी देवों को जगाया करते थे आज उनकी स्मृति को मन मे संजोए उनकी परंपरा का निर्वाह मै निम्न शब्दों से करता हुआ आप सबको देव- उठानी एकादशी की बधाई देता हूँ.







जागो मेरे स्वामी जागो...



तुम सोए तो सो जाती है...



इस जग की ममता अनजानी,



कहाँ... न जाने खो जाती है,



मेरी भी क्षमता अनचीन्ही..







तुम जागो तो विश्व जागेगा



मानवता..विश्वास जगेगा...



भेद भावना ,…
Continue

Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on November 14, 2010 at 9:30pm — 3 Comments

क्या फायदा बाल दिवस कहने से ?

बाल दिवस पर विशेष







आज का दिन बहुत ही विशेष दिन है क्योकि आज का दिवस उन नन्हे-मुन्नों का है,जो आगे चलकर देश का बागडोर संभालेंगे !ये वही बच्चे है जिन्हें चाचा नेहरु ने देश का भविष्य कहा था .

आज पूरा देश पंडित जवाहरलाल नेहरु को याद कर उनका जन्मदिवस बाल दिवस के रूप में मना रहा है .चाचा नेहरु के देश में आज भी कुछ ऐसे बच्चे रह गए है जो इन… Continue

Added by Ratnesh Raman Pathak on November 14, 2010 at 12:41pm — 4 Comments

हिन्दी कविता का अन्तर्जाल युग और ओबीओ लाइव महाइवेंट - १

हिन्दी कविता एक नए युग में प्रवेश कर चुकी है। इस युग में हिन्दी कविता वैश्विक मंच पर अन्तर्जाल के माध्यम से अपनी पहचान बना रही है । इसलिए इस युग को “अन्तर्जाल युग” ही कहा जाय तो ठीक रहेगा। आज के समय में अन्तर्जाल का प्रयोग करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। इसमें हिन्दीभाषी लोगों की संख्या भी कम नहीं है। धीरे धीरे ही सही अन्तर्जाल के माध्यम से हिन्दी कविता विश्व के कोने कोने तक पहुँच रही है। आज अधिकांश हिन्दी कविताएँ अन्तर्जाल पर उपलब्ध हैं। अब उभरते हुए कवियों को प्रकाशित होने के लिए… Continue

Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on November 11, 2010 at 3:43pm — 3 Comments

नवगीत :: शेष धर संजीव 'सलिल'

नवगीत ::



शेष धर



संजीव 'सलिल'

*

किया देना-पावना बहुत,

अब तो कुछ शेष धर...

*

आया हूँ जाने को,

जाऊँगा आने को.

अपने स्वर में अपनी-

खुशी-पीर गाने को.



पिया अमिय-गरल एक संग

चिंता मत लेश धर.

किया देना-पावना बहुत,

अब तो कुछ शेष धर...

*

कोशिश का साथी हूँ.

आलस-आराती हूँ.

मंजिल है दूल्हा तो-

मैं भी बाराती हूँ..



शिल्प, कथ्य, भाव, बिम्ब, रस.

सर पर कर केश धर.

किया देना-पावना… Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on November 11, 2010 at 9:55am — 3 Comments

मुल्क तो इनका मकां है साथियो

ना यहाँ है ना वहाँ है साथियो
आजकल इंसां कहाँ है साथियो

आम जनता डर रही है पुलिस से
चुप यहाँ सब की जबाँ है साथियो

पार्टी में हाथ है हाथी कमल
आदमी का क्या निशां है साथियो

लीडरों का एक्स-रे कर लीजिए
झूठ रग रग में रवाँ है साथियो

ये उठा दें रैंट पर या बेच दें
मुल्क तो इनका मकां है साथियो

Added by Arun Chaturvedi on November 10, 2010 at 5:44pm — 4 Comments

Featured Monthly Archives

2025

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
5 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service