For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Shriprakash shukla
  • Male
  • Munster, IN
  • United States
Share on Facebook MySpace

Shriprakash shukla's Friends

  • GOPAL BAGHEL 'MADHU'
 

Shriprakash shukla's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Munster indiana usa
Native Place
india
Profession
Retd
About me
A retired Wing commander from Indian Air Force

Shriprakash shukla's Photos

  • Add Photos
  • View All

Shriprakash shukla's Blog

शरद पूर्णिमा विभा

शरद पूर्णिमा विभा



सम्पूर्ण कलाओं से परिपूरित,

आज कलानिधि दिखे गगन में

शीतल, शुभ्र ज्योत्स्ना फ़ैली,

अम्बर और अवनि आँगन में



शक्ति, शांति का सुधा कलश,

उलट दिया प्यासी धरती पर

मदहोश हुए जन जन के मन,

उल्लसित हुआ हर कण जगती पर



जब आ टकरायीं शुभ्र रश्मियाँ,

अद्भुत, दिव्य ताज मुख ऊपर

देदीप्यमान हो उठी मुखाभा,

जैसे, तरुणी प्रथम मिलन पर



कितना सुखमय क्षण था यह,

जब औषधेश सामीप्य निकटतम

दुःख और व्याधि…
Continue

Posted on December 7, 2010 at 9:00pm — 1 Comment

तम से लड़ता रहा, दीप जलता रहा

तम से लड़ता रहा, दीप जलता रहा



एक, नन्हा सा दिया,

बस ठान बैठा, मन में हठ

अंधियार, मैं रहने न दूं,

मैं ही अकेला, लूं निपट



मन में सुदृढ़ संकल्प ले

जलने लगा वो अनवरत,

संत्रास के झोकों ने घेरा

जान दुर्वल, लघु, विनत



दूसरा आकर जुड़ा,

देख उसको थका हारा

धन्य समझूं, मैं स्वयं को

जल मरूं, पर दूं सहारा



इस तरह जुड़ते गए,

और श्रृंखला बनती गयी

निष्काम,परहित काम आयें

भावना पलती गयी



एक होता…
Continue

Posted on November 19, 2010 at 2:00pm — 5 Comments

दीपावली दीप

दीपावली दीप



दीपावलि की धवल पंक्तियाँ, देती आयीं सदा संदेशा I

छाया मिटे क्लेश कुंठा की, जीवन सुखमय रहे हमेशा I

छोटा बड़ा नहीं कोई भी, बीज साम्य के दीपक बोते I

इसी लिए हर घर के दीपक, केवल मिटटी के ही होते I



चाह यही यह दिव्य रश्मियाँ, हर मन को आलोड़ित करदें I

ये प्रकाश की मनहर किरणें, जीवन अंगना आलोकित कर देंI



रहे कामना यही ह्रदय में, मंगलमय हो हर जीवन I

प्रेम और सद्भाव बढायें, मिलकर सभी धनिक निर्धनI

देश प्रेम की प्रवल भावना, भरी…
Continue

Posted on November 18, 2010 at 12:30am — 3 Comments

Comment Wall (6 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 11:04pm on November 20, 2010,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 6:35pm on November 18, 2010, Ratnesh Raman Pathak said…

At 8:52am on November 18, 2010, PREETAM TIWARY(PREET) said…

At 8:52am on November 18, 2010,
सदस्य टीम प्रबंधन
Rana Pratap Singh
said…

At 7:52am on November 18, 2010, Admin said…

At 12:31am on November 18, 2010, Shanno Aggarwal said…
श्रीप्रकाश जी, ओ.बी.ओ. का परिवार आपका हार्दिक स्वागत करता है.
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
14 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
16 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service