For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

March 2023 Blog Posts (19)

ताजगी का एक झोंका नित्य लाती खिड़कियाँ - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

रोशनी उस पार बेढब नित दिखाती खिड़कियाँ

काश नन्ही भोली चिड़िया खोल पाती खिड़कियाँ/१

*

है नहीं कोई उबासी सोच पर हावी सनम

ताजगी का एक झोंका नित्य लाती खिड़कियाँ/२

*

दूर पथ पर चाँद बढ़ता हसरतों से देखना

याद का झोंका लिए यूँ याद आती खिड़कियाँ/३

*

इस हवा को बात कोई कर रही बेचैन क्या

द्वार के ही साथ जो ये खटखटाती खिड़कियाँ/४

*

ढूँढ लेना छाँव पन्छी पेड़ की इक डाल पर

दोपहर की धूप से जब कुम्हलाती खिड़कियाँ/५

*

कर दिया जर्जर समय ने ओढ़ ली हर…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 31, 2023 at 10:24pm — No Comments

तितली ( दोहे ) - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

आ जाती हैं  तितलियाँ, होते ही नित भोर

सब को इनकी सादगी, खींचे अपनी ओर।१।

*

मधुवन में जब तितलियाँ, बहुत मचाती धूम

पीछे - पीछे  भागता,  हर्षित   बचपन  झूम।२।

*

फूलों से अठखेलियाँ, कलियों से कर बात

तन–मन में जादू  जगा, तितली  सोये रात।३।

*

मधुबन  में  जब  बैठते, बच्चे , वृद्ध, जवान

सबकी देखो तितलियाँ, हरती लुभा थकान।४।

*

छोटे -छोटे  पंख  से, रचकर  मृदु  संगीत

कलियों से तितली कहे, फूल बने हैं मीत।५।

*

नापे नभ  को  तितलियाँ,…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 31, 2023 at 10:02pm — 2 Comments

हमें यूँ न रंगीन सपने दिखाओ - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२२

*

अँधेरों से जब जब डरी रोशनी है

बड़ी मुश्किलों में पड़ी जिन्दगी है।१।

*

कहीं आदमी खुद लगे देवता सा

कहीं देवता भी हुआ आदमी है।२।

*

सहेजी न हम से गयी यार पुरवा

कहो मत कि अब हर हवा पश्चिमी है।३।

*

हमें यूँ न रंगीन सपने दिखाओ

हमारे हृदय में बसी सादगी है।४।

*

समझ कौन पाया रही एक औषध

कहन आपकी जो लगी नीम सी है।५।

*

वही लोक में नित हुए देवता हैं

जिन्हें नार केवल रही उर्वसी है।६।

*

मौलिक /…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 30, 2023 at 4:57am — 2 Comments

सम्राट अशोक महान

चन्द्रगुप्त का पौत्र, जो बिन्दुसार का पुत्र था

बौद्ध धर्म का बना अनुयायी

जो धर्म-सहिष्णु सम्राट हुआ||

 

माता जिसकी धर्मा कहलाती, सुशीम नाम का भाई था

इष्ट देव शिव-शंकर पहले

ज्ञान-विज्ञान का बड़ा जिज्ञासु हुआ||

 

परोपकार की भावना जिसमें, उत्सुक जो अभिलाषी था

महेंद्र-संघमित्रा का पिता न्यारा

सदा पुत्र-पुत्री का साथ मिला||

 

बेहतरीन अर्थव्यवस्था ग़ज़ब सुशासन, जिसका…

Continue

Added by PHOOL SINGH on March 28, 2023 at 4:27pm — 1 Comment

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास

2122    2122     2122     212

ज़िन्दगी बेशक ज़रा छोटी हो पर ऐसी न हो।

जिसमें अपने पास सुनने वाला भी कोई न हो।

तुम ज़रा कह दो उसे पापा सुबह तक आएंगे,

मेरी बेटी आज फिर जिद में अगर सोई न हो।

फासलों का क्या भरोसा वक़्त की सब बात है,

वो शिकायत मत सुना जो दिल से खुद तेरी न हो।

अब यहाँ से लौट कर जाना तो मुमकिन है नहीं,

वो जगह भी देख ले जो आज तक देखी न हो।

आपके होने से इतना तो भरोसा है मुझे,

एक तो शै है जो…

Continue

Added by मनोज अहसास on March 25, 2023 at 7:08pm — 2 Comments

जिस दौर से हम तुम गुजरे हैं

जिस दौर से हम-तुम गुजरे है,

वो दौर ज़माना क्या जाने?

हम दोनों हीं बस किरदार यहाँ के,

कोई अपना अफसाना क्या जाने 

 

रंगमंच के पर्दे के पीछे

चरित्र सभी गढ़े जाते है 

जो कहते है जो करते है

वो बोल सभी लिखे जाते है

 

हम दोनों अपने किरदार में थे

अपनी बेचैनी कोई क्या जाने? 

जिस दौर से हम तुम गुजरे है,

वो दौर जमाना क्या जाने? 

 

है एक लम्हे का साथ सही,

पर साथ पुराना लगता है 

तुम कंधे…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 23, 2023 at 10:03am — No Comments

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास :इस्लाह के लिए

1222×4

एक ताज़ा ग़ज़ल प्रस्तुत है मित्रों इसमें यह सुझाव देने की कृपा करें कि यदि तक की जगह भी कर दिया जाए तो कैसा रहेगा

वफ़ा के रास्ते पे कोई रहबर तक नहीं आता

किसी का ज़िक्र क्या वो अपना होकर तक नहीं आता

मैं अपनी जिंदगी उस रास्ते पर छोड़ आया था

जहाँ से अब कोई रास्ता मेरे घर तक नहीं आता

तुम्हारा दुख वहीं चौखट पे लग के रोता रहता है

सौ जमघट देख कर वो दिल के भीतर तक नहीं…

Continue

Added by मनोज अहसास on March 22, 2023 at 11:00pm — No Comments

केवल तुमको प्यार लिखूँ(गीत-२२) - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

नित्य  तुम्हारे  चन्द्र  रूप  को,  मन  चाहा  शृंगार  लिखूँ ।

मैं जीवन के अन्तिम क्षण तक, केवल तुमको प्यार लिखूँ।।

छुईमुई  हो   पीर  सयानी,

सुख की नूतन रहे कहानी।।

अँखियों में चंचलता खेले,

सिर पर ओढ़े चूनर धानी।।

मुस्कानों  की  हर  गठरी  पर, यौवन  का  उपहार  लिखूँ।

मैं जीवन के अन्तिम क्षण तक, केवल तुमको प्यार लिखूँ।।

*

छमछम  पायल  ओट बजाना

फिर साँसों की सुधि भरमाना।।

भौंरों जैसी अठखेली पर,

छुईमुई सा झट शरमाना।।

बालापन  सी …

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 22, 2023 at 9:05am — 2 Comments

ग़ज़ल (गर आपकी ज़ुबान हो तलवार की तरह)

माना  नज़र  है  तेरी  ख़रीदार  की तरह

लेकिन न लूट तू  मुझे  बाज़ार  की तरह

रिश्ते  बिगड़ते  देर  तनिक भी नहीं लगे

गर आपकी ज़ुबान हो तलवार की तरह

वो तो चुनाव  जीत के  परधान  बन  गया

जो  घूमता  था  गाँव  में  बेकार  की तरह

वादा तो कीजिये नहीं और कर दिए अगर

वादा  खिलाफी हो  नहीं सरकार की तरह

देते  हैं  भाव  नेता  चुनावों  के  वक़्त  पर

और  फेंक  देते  बाद में अख़बार की तरह

शाइर …

Continue

Added by नाथ सोनांचली on March 21, 2023 at 7:49pm — 6 Comments

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास

1222×4

ज़रा सा और मैं दुनिया के ग़म में चूर हो जाता

हमारे बीच का ये फासला भरपूर हो जाता

मैं जैसे रोज जलता हूँ तेरी यादों की बारिश में

किसी दिन तू भी मुझसे मिलने को मजबूर हो जाता

मैं अपने आप से लड़कर भी अक्सर हार जाता हूँ

ज़माने से अगर लड़ता तो चकनाचूर हो जाता

इसी डर ने मुझे तुझ तक पहुँचने से सदा रोका

मेरे साये से तेरा नाम ही बेनूर हो जाता

तेरी बातें बहुत दिन बाद इक हमदर्द से की तो

मुझे…

Continue

Added by मनोज अहसास on March 17, 2023 at 11:16pm — 5 Comments

तुम ना आया करो ख्वाब मे

तुम ना आया करो ख्वाब में हमें रुलाने के लिए

टूट चुके उन नातों को फिर से तोड़ जाने के लिए

तुम जा चुके हो मान लो, इस सत्य को तुम जान लो

उस जहां से ना आया करो हमें सताने के लिए



तुम्हें गए हुए अब दो वर्ष बीत चुके है

बिन तुम्हारे जीना अब हम सीख चुके है

तुम लौटा ना करो सपनों में हमें जगाने के लिए

रात भर जाग कर बस तुम्हें भुलाने ले लिए



मुझे मालूम हैं के हम अंतिम क्षण मिल ना पाए थे

मैं खड़ा था वहीं पर मैंने कदम नहीं बढ़ाए थे

अब आगे बढ़कर तुम… Continue

Added by AMAN SINHA on March 14, 2023 at 10:12am — 1 Comment

पतझड़ से मत घबराना मन (गीत- २१)- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

हर पीड़ा जब पतझड़ ढोता, तब हँसता सन्सार वसंती।

पतझड़ से मत घबराना मन, हर पतझड़ आधार वसन्ती।।

*

सुमन नहीं इसके हिस्से में,

केवल पत्ते, वही बिछाता।

एक यही तो ऋतुराज की,

करने को अगवानी आता।



है इसका हर त्याग अबोला, खिलता जिससे प्यार वसन्ती।

पतझड़ से मत घबराना मन, हर पतझड़ आधार वसन्ती।।

*

मत कोसो इसको नीरस कह,

इस ने हर नीरसता लूटी।

झाड़े इसने तन से कणकण,

तब जाकर नव कोंपल फूटी।।



चलो सराहो इसकी कोशिश, जिस ने जोड़ा तार…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 13, 2023 at 8:11pm — 3 Comments

गज़ल ः

1222 1222 122

कहूँ सच आपका कोई नहीं है

जहाँ में आश्ना कोई नहीं है

सबूतों बात ये कह दी अभी से

वो दुनिया में मिरा कोई नहीं है

ये सब माया उसी की जो छुपा है

सिवा उसके ख़ुदा कोई नहीं है

अकेलापन बड़ी सबसे सज़ा है

अभागा अन्यथा कोई नहीं हैं

किया जो ज़ुर्म उसने वो भरेगा

वो मेरा मुँहलगा कोई नहीं है

मुखौटा कब कोई पहना है मैंने

बहस ये मुद्दआ कोई नहीं है

जो है इनसान का…

Continue

Added by Chetan Prakash on March 12, 2023 at 7:44pm — 2 Comments

कविता: "एक वज़ह"

 शिकवों के दौर थे काफी,

 साथ ना तेरे आने को,

 पर एक वज़ह जिंदा थी बाकी,

 तेरा साथ निभाने को।

 

 अल्फाज़ों का शोर बहुत था,

 तुझे दगा बताने को।…

Continue

Added by Dr. Geeta Chaudhary on March 11, 2023 at 10:28pm — 10 Comments

आलेख - माँ की देखभाल औलाद की नैतिक जिम्मेदारी

माँ की देखभाल औलाद की नैतिक जिम्मेदारी

गाज़ियाबाद। इंदिरा चौधरी ने 85 साल की उम्र में जिस इकलौते बेटे की पैरवी करके जमानत कराई, उसे उन्होंने अकेले पाँच वर्ष की उम्र से पाला था। वह जब जेल से बाहर आया तो मां को साथ रखने के बजाय वृद्धाश्रम में छोड़ गया। वह बताती हैं कि वह वाराणसी में बेटे-बहू के साथ ही रह रही थीं। एक दिन अचानक बेटा बहू और पोते को लेकर लापता हो गया। पता चला कि वह जिस कंपनी में काम करता था, वहीं गबन कर गया। कंपनी के केस दर्ज कराने के बाद पुलिस ने उसे तिहाड़ जेल में…

Continue

Added by Rachna Bhatia on March 9, 2023 at 10:17am — 5 Comments

ग़ज़ल - मेरे घर आज आ रहा है कोई

2122 1212 22

1

सोये जज़्बे जगा रहा है कोई 

दिल प हौले से छा रहा है कोई 

2

नज़रों से मय पिला रहा है कोई

मुझको मुझसे चुरा रहा है कोई

3

चाँद तारो न उम्र भर जाना

मेरे घर आज आ रहा है कोई

4

चन्दा कुछ देर ओढ़ ले बदरी

छत प मुझको बुला रहा है कोई

5

मुस्कुराहट सजा के होटों पर

इश्क करना सिखा रहा है कोई 

6

लौटना अपना मुस्तरद*करके

मेरा ओहदा बढ़ा रहा है…

Continue

Added by Rachna Bhatia on March 8, 2023 at 8:17pm — 4 Comments

बरसों बाद मनायें होली(गीत-२०)-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

लुकछिप आना झील किनारे, लेकर गोरी रंग।

बरसों बाद मनायें होली, फिर से हम तुम संग।।

*

सुनते सब  से  गाँव तुम्हारे, यौवन  भरी बहार।

फागुन में लचकी है चहुँदिश, फूलों वाली डार।।

फूल पलासी भरना थोड़े, आँचल अबकी बार।

हम  सूखे  पतझड़  के  वासी, मानेंगे उपकार।।

**

पा लेगा  उन फूलों  से ही, जीवन  नयी उमंग।

बरसों बाद मनायें होली, फिर से हम तुम संग।।

**

प्यासी  बंजर  धरती  जैसे, हैं  मन  के  हालात।

रूठ गयी है हर एक बदली, हवा न करती बात।।

कर  बैठा …

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 8, 2023 at 7:13am — 8 Comments

ग़ज़ल नूर की- नहीं जो था होना वो सब हो रहा है

नहीं जो था होना वो सब हो रहा है

निज़ाम-ए-ख़ुदा में ग़ज़ब हो रहा है.

.

इबादत में कैसा शग़ब हो रहा है                  शग़ब- कोलाहल 

धड़क-कर ये दिल बे-अदब हो रहा है.

.

ज़रूरी नहीं कोई मक़सद हो अपना…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on March 2, 2023 at 5:44pm — 12 Comments


मुख्य प्रबंधक
लघुकथा : पीठ का दाग (गणेश बाग़ी)

रवाजे को खटकाते हुए पड़ोसन ने आवाज़ लगायी..

"गुड़िया की मम्मी, गुड़िया की मम्मी....."

"आओ आओ, शीला बहन, कैसी हो ?" दरवाजा खोलते हुए गुड़िया की मम्मी ने औपचारिकता निभायी ।

"सब ठीक है बहन, तनिक चीनी चाहिए था"

"अरे क्यों नही, अभी देती हूँ, बैठो तो"

"तुमको पता है शीला ! 605 वाली विमला की छोटी बेटी का चक्कर किसी से चल रहा है, कल उसको एक लड़के से बतियाते देखी थी"

"छोड़ो न बहन, उसके साथ पढ़ने वाला कॉलेज-वालेज का कोई लड़का रहा होगा"

"अरे ना…

Continue

Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 1, 2023 at 5:32pm — 15 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
7 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
7 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। पंचकल त्रिकल के प्रयोग…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई के साथ-साथ धन्यवाद भी। कि, इस पटल पर, इस खुले आयोजन…"
9 hours ago
Chetan Prakash commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"वाकई  खूबसूरत शुद्ध हिन्दी गजल हुई, आदरणीय! "कर्म हम रणछोड  के अनुसार भी करते…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीया रक्षिता जी,  आपकी इस कविता में प्रदता शीर्षक की भावना निस्संदेह उभर कर आयी…"
11 hours ago
Chetan Prakash commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक शेर की विषय - वस्तु…"
13 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"धन्यवाद भाई लक्ष्मण धामी जी "
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service