For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

MAHIMA SHREE
  • Female
  • PATNA, BIHAR
  • India
Share on Facebook MySpace

MAHIMA SHREE's Friends

  • Ashish Painuly
  • Manan Kumar singh
  • Ketan Kamaal
  • seemahari sharma
  • harivallabh sharma
  • atul kushwah
  • Manav Mehta
  • vinay tiwari
  • गिरिराज भंडारी
  • Priyanka Pandey
  • arvind ambar
  • Arun Manav
  • Alok Mittal
  • Madan Mohan saxena
  • Sushil Thakur
 

MAHIMA SHREE's Page

Profile Information

Gender
Female
City State
PATNA
Native Place
PATNA
Profession
स्वतंत्र लेखन
About me
Courageous , Dreamy and very lazy
पंछी मन
नापता आकाश
छूता सागर
फिर लौट आता
नीड़ में
अपनी चोंच में दबाये
यादों के दाने

MAHIMA SHREE's Photos

  • Add Photos
  • View All

MAHIMA SHREE's Blog

बैठे-ठाले

तन्हाई चीखती है कहीं

पगलाई-सी हवा धमक पड़ती है ।

अंधेरे में भी दरवाजे तक पहुँच कर

बेतहाशा कुंडियाँ खटखटाती है।

अकेला सोया पड़ा इंसान अपने ही भीतर हो रहे शोर से

घबड़ा कर उठ बैठता है ।

मोबाइल में चौंक कर देखता है समय

“रात के ढ़ाई ही तो अभी बजे हैं “ बुदबुदाता है।

सन्नाटा उसकी दशा पर मुस्कुराता है।

उधर दुनिया के कहीं कोने में

भीड़ भूख-प्यास से बेकाबू हो कर सड़को पर नहीं निकलती,

सामूहिक आत्महत्याएं कर रही होती…

Continue

Posted on August 24, 2015 at 8:30pm — 9 Comments

चुप्पी

कभी किसी की चुप्पी

कितना उदास कर जाती है।

साँसे  भी भारी होती जाती है।

मन हो जाता है उस झील- सा

जो कब से बारिश के इंतजार मे  थम सी गई हो 

और उसकी लहरें भी उंघ रही हो किसी किनारे बैठ के

शाम भी तो धीरे से गुजरी है अभी कुछ फुसफूसाती हुई

उसे भी किसी की चुप्पी का खयाल था शायद।

 

मौलिक व अप्रकाशित

Posted on July 2, 2015 at 8:00pm — 9 Comments

ग़ज़ल

2122 2122 2122 212

जिंदगी से जो चली अपनी ढ़िठाई दोस्तों

खाक में ही उम्र सारी यूँ  बिताई दोस्तों

अम्न की वंशी बजाई और गाये गीत भी

नफरतों की होलिका हमने जलाई दोस्तों

जब कभी दुश्वारियाँ आयी हमारी राह में

एक माँ की ही दुआ फिर काम आई दोस्तों

दोस्ती है एक नेमत टूटना अच्छा नहीं

साथ चलने में कहाँ कोई बुराई दोस्तों

हो भला सबका यहाँ मेरी दुआ है बस यही

ना करें कोई भी मज़हब की लड़ाई…

Continue

Posted on June 13, 2015 at 12:00pm — 13 Comments

फोकस (लघुकथा)

“हैलो! क्या चल रहा है ?”

“सर!  अभी प्रमुख नेताओं का भाषण बाकी है, लगता है लम्बा चलेगा । भीड़ भी काफी है।“

"ओके!" 

“हैलो! , सर !  मंच के ठीक सामने कुछ दूरी पर एक पेड़ है, उस पर एक आदमी फांसी लगाने की कोशिश कर रहा है।“

“अरे! “सोच क्या रहे हो ? , कैमरा घुमाओ उसकी तरफ !, फोकस करो! , हिलना भी मत जबतक................!”

मौलिक व अप्रकाशित

Posted on May 1, 2015 at 7:02pm — 20 Comments

Comment Wall (40 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 8:18pm on May 2, 2015, Manan Kumar singh said…

हेलो,।

At 1:22am on May 1, 2015, Dr. Vijai Shanker said…
आदरणीय सुश्री महिमा श्री जी , लघु-कथा पर अपनी द्वितीय प्रस्तुति पर आपकी प्रतिक्रिया अभी विलम्ब से देखी , आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए आपका आभार एवं धन्यवाद। सादर।
At 9:49pm on November 18, 2013,
सदस्य कार्यकारिणी
sharadindu mukerji
said…

आदरणीया महिमाश्री जी, पुरस्कार के लिये बधाई हेतु हार्दिक धन्यवाद. शरदिंदु.

At 2:16pm on October 18, 2013, Abhinav Arun said…

JANM DIN KI HARDIK BADHAI AUR ANANT SHUBHKAMNAYEN AA. MAHIMA JI ! SAHITYA KE KSHETRA ME AAPKI UDAAN UNCHI HO AAP KAALJAYI RACHEN ..AAPKI MAHIMA CHATURDIK VISTAR LE YAHI KAAMNA HAI !! BAHUT AASHIRWAAD AAPKO !!

At 11:15pm on August 11, 2013, mrs manjari pandey said…

   महिमाश्री जी आपको रचना पसन्द आई मेरा मन भी प्रफ़ुल्लित हुआ ! धन्यवाद

At 7:00pm on August 4, 2013, जितेन्द्र पस्टारिया said…

आदरणीया महिमा जी,

आपका बहुत बहुत आभार

सादर!

At 5:25pm on July 7, 2013, डॉ नूतन डिमरी गैरोला said…

आदरणीय महिमा जी आपका सहृदय आभार 

At 9:19pm on June 20, 2013, Abhinav Arun said…

वेलकम जी ! बहुत सुखद रहा ओ बी ओ परिवार का सम्मिलन !!

At 9:00am on March 31, 2013, श्रीराम said…

 सुंदर प्रस्तुति ... बहुत-बहुत बधाई

At 9:59am on December 31, 2012, कुमार गौरव अजीतेन्दु said…

महिमा जी, नववर्ष की हार्दिक बधाई स्वीकार करें.....

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
27 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
2 hours ago
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
5 hours ago
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
6 hours ago
Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं करवा चौथ का दृश्य सरकार करती  इस ग़ज़ल के लिए…"
6 hours ago
Ravi Shukla commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेंद्र जी बहुत अच्छी गजल आपने कहीं शेर दर शेर मुबारक बात कुबूल करें। सादर"
6 hours ago
Ravi Shukla commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी गजल की प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत बधाई गजल के मकता के संबंध में एक जिज्ञासा…"
6 hours ago
Ravi Shukla commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय सौरभ जी अच्छी गजल आपने कही है इसके लिए बहुत-बहुत बधाई सेकंड लास्ट शेर के उला मिसरा की तकती…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर आपने सर्वोत्तम रचना लिख कर मेरी आकांक्षा…"
21 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे... आँख मिचौली भवन भरे, पढ़ते   खाते    साथ । चुराते…"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"माता - पिता की छाँव में चिन्ता से दूर थेशैतानियों को गाँव में हम ही तो शूर थे।।*लेकिन सजग थे पीर न…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे सखा, रह रह आए याद। करते थे सब काम हम, ओबीओ के बाद।। रे भैया ओबीओ के बाद। वो भी…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service