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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

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आख़री चारों बेहतरीन अशआर के साथ बढ़िया ग़ज़ल हेतु तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब सूबे सिंह सुजान साहिब।

शेख साहब आपकी मेहरबानी है ।बहुत बहुत शुक्रिया जनाब 

जनाब सूबे सिंह साहिब,

ग़ज़ल की अच्छी कोशिश है, मुबारकबाद आपको,

५वें और ७वें शे'र में भाव स्पष्ट नहीं है,

आयोजन में सहभागिता बनाए रखें,,,

खोटा सिक्का बताता था लेकिन 
मार्किट में चला गया है मुझे वाह! वाह! बहुत ही उम्दा शे'र ।

                शे'र दर शे'र दाद के साथ दिली मुबारकबाद आदरणीय सूबेसिंह जी ।

जनाब सूबे सिंह सुजान जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है,थोड़ा समय और देते तो ग़ज़ल और निखर जाती, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

आ. सूबे सिंह सुजान जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई आपको

शुक्रिया जी, 

अच्छी ग़ज़ल है आ0 सुजान साहब.... मतला-दर मतला.... और भी अच्छा लगा !!!

Shukriya aakash ji

आ. सूबे सिंह जी 
अच्छी ग़ज़ल हुई है ..  जिसके लिए बधाई 
बेवफ़ा हो के प्यार करता है ये मिसरा अपने आप में अंतर्विरोधी है .. प्यार करता है तो बेवफ़ा कैसे है?/
.
देखता हूँ किसान बनके "सुजान"
कर्ज का बोझ खा गया है मुझे.. इसमें पहला मिसरा भविष्य काल है और सानी भूतकाल.. इस अंतर्विरोध को भी देखिएगा 
सादर 

आपकी बात जायज है यह विचार मुझे भी आया था कि अन्तर्विरोध है। लेकिन कहन हो गई है आपने ठीक कहा आभार ।

आदरणीय सूबे सिंह सुजान जी, अच्छी लगी आपकी ग़ज़ल। सातवाँ शेर ख़ास तौर से पसन्द आया। बाकी गुणीजन कह ही चुके हैं। मेरी तरफ़ से भी हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।

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