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आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।

पिछले 98 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-99

विषय - "प्रतिरोध"

आयोजन की अवधि- 11 जनवरी 2019, दिन शुक्रवार से 12 जनवरी 2019, दिन शनिवार की समाप्ति तक

(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)

बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
नज़्म
हाइकू
सॉनेट
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :-

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो पद्य-साहित्य की अलग अलग विधाओं अथवा अलग अलग छंदों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.

रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फॉण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर संकलन आने के बाद संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है.

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो - 11 जनवरी' 2019, दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा)

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महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें

मंच संचालक
मिथिलेश वामनकर
(सदस्य कार्यकारिणी टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

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प्रयासरत रहें ।

आदरणीय समर कबीर साहब. सादर,  हिंदी शब्दों की मात्रा गणना का आपका तरीका तो अवश्य ही ठीक है. किन्तु हिंदी के मात्रिक छंदों में भी मात्रिक गणों को आधार लिया जाता है. इन गणों की अधिक आवश्यकता नहीं होती इसलिए इनकी चर्चा भी कम ही होती है. इन्ही गणों में 'णगण' जिसे सामान्यतः द्विकल कहा जाता है. शब्द "अधिकार " में "अधि " एक द्विकल है और इसे मात्रिक छंदों में दो मात्रा के स्थान पर प्रयोग किया जा सकता है जबतक की वहां गुरु के प्रयोग की बाध्यता न हो. इस आधार पर "अधिकार" और "प्रतिरोध" को  २२१ पढ़ा जा सकता है. स्व. कवि दुष्यंत की मशहूर गजल को उदाहरण की तरह देखें. 

//" हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए" २१२२ २१२२ २१२२ २१२ // सादर.   

अशोक जी,छंदों में मुझे इस पर कोई ऐतिराज़ नहीं,लेकिन ग़ज़ल में है ।

आदरणीया सुचिसंदीप जी, यदि यह ग़ज़ल है तो इसमें "ना" क़ाफ़िया आपने गलत लिया है क्योंकि वह "न" होगा "ना" नहीं. कृपया आदरणीय समर कबीर सर की बात का संज्ञान लें. इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

भाई महेंद्र जी , उत्तम सुझाव हेतु आपका हार्दिक आभार

आदरणीया सुचि संदीपजी

खूबसूरत है आपकी यह रचना, देश परिवार समाज हिन्दी नारी आदि हर विषय को आपने लिया है। हार्दिक बधाई

आद0 सूचीसन्दीप अग्रवाल जी सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बढ़िया सृजन । बधाई स्वीकार कीजिये

प्रतिरोध के विभिन्न रूपों  बताती इस शानदार प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई प्रेषित है आदरणीया सुचिसंदीप अग्रवाल जी 

सबसे पहले तो सुचि संदीप जी आपका ओबीओ पर हार्दिक स्वागत है |

बहुत ही सुन्दर रचना हुई प्रदत्त शब्द पर दिल से बहुत बहुत बधाई 

आदरणीया सुचिसंदीप अग्रवाल जी सादर, प्रदत्त विषय पर आपकी बहुत सुन्दर गजल हुई है. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. सादर. 

प्रतिरोध

प्रतिरोध  एक संघर्ष है

हक मांगने और सच के साथ खड़े रहने का

झूठ की मैली चादर को बदलने का .....

 

प्रतिरोध एक ज़रिया है   

अनियंत्रित विचारों और कर्मों को

काबू में रखने का .....

 

प्रतिरोध एक जज़्बा है

स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति का

आँखों में आँखें डालकर

सही और गलत में फर्क करने का

 

प्रतिरोध प्रतिकार भी  है

मजबूर को मज़बूत बनाने 

पाखण्ड को दूर भगाने 

और झूठ को आईना दिखाने का

ताकि हावी न हो जाए सच पर ....

 

प्रतिरोध टकराव  है

बुरे लोगों से  

ताकि अच्छे लोग

कायरों की जमात न बन जाएँ ...

 

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

आदाब। लगभग सभी आयामों को बाख़ूबी शाब्दिक करते हुए विषय को परिभाषित करती बेहतरीन रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय नादिर ख़ान साहिब।

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कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

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