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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

कृपया मुशायरे सम्बंधित अधिक जानकारी एवं मुशायरा भाग 2 में प्रवेश हेतु नीचे दी गयी लिंक क्लिक करें 

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

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आदरणीय गुरुप्रीत जी, लाजवाब गजल हुई। बधाइयाँ।

शुक्रिया आदरणीय अरुण कुमार जी 

जनाब गुरप्रीत सिंह साहब ...उम्दा अशआर हुए हैं ..मुबारकबाद कबूल कीजिये|

आपका बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय राणा प्रताप सिंह जी 

बहुत खूब आदरणीय गुर्पीत सिंह जी | हार्दिक बधाई | 

आदरणीय गुरप्रीत जी, बहुत अच्छे अशआर हुए हैं. दूसरा शेर ख़ास तौर पर अच्छा लगा. हार्दिक बधाई. 

आ० गुरप्रीत जी खूबसूरत ग़ज़ल कहने के लिए बधाई स्वीकार करें

आद0 गुरप्रीत जी सादर अभिवादन। मुशायरे में बढ़िया ग़ज़ल कही आपने। बहुत बहुत बधाई आपको।

अच्छी ग़ज़ल मंच पर प्रस्तुत हुई है आदरणीय गुरप्रीत सिंह जी, दाद स्वीकार करें।

    

कोई  अमृत पिला गया है मुझे

फिर से जिन्दा बना गया है मुझे

बस  उमीदें  जगा  गया है मुझे

गुनगुनाना  भुला  गया  है मुझे

आसमां पर सजा गया है देखो,

अब सितारा  बना गया है मुझे

घर बुलाता  नहीं  कभी हम को,

रात सपनों में आ गया है मुझे

कलम लिखती कहाँ मुझे कागज़,

फेस बुक पर  टिका गया है मुझे

माँ बताती नहीं कभी  दिल की,

“सब्र करना तो आ गया है मुझे।"

अब  बहाना  चला  कहाँ  तेरा,

आईना सब दिखा गया है मुझे

मौलिक, अप्रकाशित

जनाब मोहन बेगोवाल जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,लेकिन अभी समय चाहता है,मुशायरे में सहभागिता के लिए धन्यवाद ।

आ. मोहन बेगोवाल जी इस प्रयास के लिए हार्दिक बधाई

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