For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-78

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 78 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब रज़ी तिर्मिज़ी साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|

 
" तुम याद आये और तुम्हारे साथ ज़माने याद आये "

फेलुन फेलुन फेलुन फेलुन फेलुन फेलुन फेलुन फा 

22 22 22 22 22 22 22 2

(बह्र:  मुतदारिक मुसम्मन् मक्तुअ मुदायफ महजूफ)
रदीफ़ :- याद आये 
काफिया :- आने (जमाने, बहाने, निशाने, अफ़साने आदि)
 

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 23 दिसंबर दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक २4 दिसंबर दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 23 दिसंबर दिन शुक्रवार  लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 12441

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय बासुदेव अग्रवाल नमन जी सादर अभिवादन, आज के मुशायरे में बेहतरीन गजल के साथ शिरकत करने के लिए बधाई आपको, सादर
आ0 सुरेन्द्र नाथ जी आपने ग़ज़ल पर तवज्जो दी और ग़ज़ल आपको पसन्द आई मेरा लिखना सार्थक हुआ।

आदरणीय वासुदेव अग्रवाल जी बेहतरीन प्रयास बधाई आपको

आदरणीय बासुदेव अग्रवाल जी, आपकी कोशिशों से आने वाले समय केलिए महती आशा बलवती हुई है. ग़ज़ल के अन्यान्य पहलुओं पर भी ध्यान बनाये रखें. दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है, कि ग़ज़ल के मिसरे कवितात्मक नहीं होते. यह बात दीग़र है कि जो बहर इस आयोजन केलिए ली गयी है उसकी विशेषता ही गीतात्मकता है. 

आयोजन में शिरकत करने और बेहतर कोशिश करने केलिए हार्दिक धन्यवाद और शुभकामनाएँ 

आ0 सौरभ जी आपके सुझाव मेरे लिए सदैव अनमोल होते हैं। यह ग़ज़ल 30 मात्रा के छंदों वाली धुन मस्तिष्क में बैठा कर ही लिखी थी इसलिए असआर में कवितापना झलक रहा है। सादर।

आदरणीय बासुदेव अग्रवाल जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने. शेर-दर-शेर दाद हाज़िर है-

ग़म पी पी कर दिल ऊब गया तो मैखाने याद आये,...................गम पी पी कर ऊब गया दिल, तब मैखाने याद आये
तेरी आँखों से मय के छलके पैमाने याद आये।...........................तेरी आँखों से छलके मय के पैमाने याद आये।

दबे हुए थे दिल में जो शोले मिली हवाएँ उनको,....................... दबे हुए दिल के शोलों को, अब के मिली हवाएं जो 
तुम याद आये और तुम्हारे साथ जमाने याद आये।

उठी हिलौरें दिल में जब भी गाऊँ कुछ मदहोशी में,
तेरा हाथ पकड़ जो गाये सभी तराने याद आये।................. बह्र का बढ़िया निर्वाह हुआ है 

यादों की शहज़ादी को छूने की जब भी चाह करी,
इठला के ना करते तेरे हसीं बहाने याद आये।................... कथ्य अस्पष्ट लग रहा है.

संगी साथी जब भी मिलते टीस एक मन में उठती,
मस्ती में झूमे हिलमिल जो दो दीवाने याद आये।.................उला में बह्र और कथ्य के हवाले से पुनर्विचार निवेदित है.

पल जो संग गुजारे तेरे तरसाते अब रह रह के,.................... तेरे साथ गुजारे पल जो, रह रह के तरसाते हैं 
मीठे तानों की तकरारों के अफ़साने याद आये।

बाकी मक्ता वाचाल हुआ जा रहा है. पुनर्विचार निवेदित है. ग़ज़ल के प्रयास पर हार्दिक बधाई. सादर 

आ0 मिथिलेश भाई आपके शेर दर शेर इतने बारीकी से दिए गए सुझाव ग़ज़ल की बारीकियों को समझने के लिए बहुत ही मददगार साबित हुए हैं। आपकी इस समीक्षा और हौसला आफजाई के लिए मेरे पास आभार व्यक्त करने के शब्द नहीं है।

आदरणीय वासुदेव अग्रवाल जी सादर,अच्छी गजल कही है. बहुत-बहुत बढ़िया स्वीकारें. सादर.

आ0 रतकाले साहिब आपका तहे दिल से शुक्रिया।
आदरणीय वासुदेव जी हार्दिक बधाई इस ख़ूबसूरत गजल के लिए ।सादर

आदरणीय वासुदेव जी बेहतरीन प्रयास के लिए बधाई

आदरणीय वासुदेव भाई , अच्छी गज़ल कही है , दिल से बधाइयाँ स्वीकार करें । 

1 -- चौथे शेर मे करी  का उपयोग  नही  है

2.    छठवें शे र मे -  संग गुज़ारे  --- ऐबे तनाफुर आ रहा है    , साथ गुज़ारे किया जासकता है ,

इसी छठेवें शे र मे और सातवें  में तकाबुले रदीफ  दोष भी है , देखियेगा ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
2 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय सौरभ सर ओ बी ओ का मेल वाकई में नहीं देखा माफ़ी चाहता हूँ आदरणीय नीलेश जी, आ. गिरिराज जी ,आ.…"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन आपकी प्रेरक प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ ।  इंगित बिन्दुओं पर…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"ओबीओ का मेल चेक करें "
7 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय सौरभ सर सादर नमन....दोष तो दोष है उसे स्वीकारने और सुधारने में कोई संकोच नहीं है।  माफ़ी…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"भाई बृजेश जी, आपको ओबीओ के मेल के जरिये इस व्याकरण सम्बन्धी दोष के प्रति अगाह किया था. लेकिन ऐसा…"
7 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय धामी जी स्नेहिल सलाह के लिए आपका अभिनन्दन और आभार....आपकी सलाह को ध्यान में रखते हुए…"
9 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय गिरिराज जी उत्साहवर्धन के लिए आपका बहुत-बहुत आभार और नमन करता हूँ...आपसे आदरणीय नीलेश…"
9 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय नीलेश जी सर्व प्रथम रचना पटल पे उपस्थिति के लिए आपका हार्दिक आभार....वैसे ये…"
9 hours ago
Admin posted discussions
20 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सड़सठवाँ आयोजन है।.…See More
21 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
" आदरणीय सुशील सरना जी सादर, जीवन के सत्य पर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
22 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service