गाँव जबसे कस्बे - - - -
गाँव जबसे कस्बे
होने लगे |
बीज अर्थों के,रिश्तों में
बोने लगे |
गाँव जबसे कस्बे- - - -
पेपसी,ममोज़ चाऊमीन से
कद बढ़ गया |
सतुआ-घुघुरी-चना-गुड़ से
बौने लगे |
पातियों का संगठन
खतम हो गया
बफ़र का बोझ अकेले ही
ढोने लगे |
गाँव जबसे कस्बे- - - -
पत्तलों कुल्ल्हडो की
खेतियाँ चुक गईं |
थर्माकोल-प्लास्टिक से
खेत बोने लगे…
ContinueAdded by somesh kumar on June 15, 2017 at 9:30am — 3 Comments
एक दो तीन- - - एक दो तीन
फिर अनगिन
मन्डराती रहीं चीलें
घेरा बनाए
आतंक के साएँ में
चिंची-चिंची-चिंची
पंख-विहीन |
एक दो तीन- - -
फुदकी इधर से
फुदकी उधर से
घुस गई झाड़ी में
पंजों के डर से
जिजीविषा थी जिन्दा
करती क्या दीन !
एक दो तीन- - -
झाड़ी में पहले से
कुंडली लगाए
बैठे थे विषदंत
घात लगाए
टूट पड़े उस पे
दंत अनगिन | एक दो तीन- - -
प्राणों को…
ContinueAdded by somesh kumar on June 10, 2017 at 10:14am — 3 Comments
किसी से कम रहो ना बेटी , पढ़ो बढ़ो तुम आगे जाओ | |
अडिग रहो अपने ही पथ पर , तुम कदम ना पीछे हटाओ | |
नाम करो अपना इस जग में , बढ़ो सुता तुम कदम बढ़ाओ | |
हर मुश्किल में रहे हौसला , हर गम सहकर बढ़ते जाओ |… |
Added by Shyam Narain Verma on June 3, 2017 at 4:39pm — 4 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on May 22, 2017 at 12:28pm — 1 Comment
Added by Dr. Vijai Shanker on May 8, 2017 at 8:00pm — 10 Comments
Added by Dr Ashutosh Mishra on April 22, 2017 at 5:51pm — 10 Comments
दो कवितायें
दोस्त
जब मेरे पास दोस्त थे
तब दोस्तों के पास कद हद पद नहीं थे
और जब दोस्तों के पास पद हद कद थे
मेरे पास दोस्त नहीं
धन
जब मेरे पास धन नहीं था
तब समझते थे सब मुझे बदहाल
पर मैं खुश था , बहुत खुश था
और जब मेरे पास है अकूत सम्पति
दुनिया मुझे खुशहाल समझती है
और मैं तडपता हूँ बिस्तर पर
नींद के सुकून से भरे एक झोंके के…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on April 18, 2017 at 3:10pm — 10 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on March 19, 2017 at 3:25pm — 8 Comments
Added by Sheikh Shahzad Usmani on March 9, 2017 at 8:30pm — 4 Comments
Added by Mahendra Kumar on March 8, 2017 at 8:30pm — 14 Comments
Added by Dr Ashutosh Mishra on March 4, 2017 at 11:33am — 9 Comments
Added by Dr Ashutosh Mishra on February 19, 2017 at 7:38am — 8 Comments
Added by Ravi Prakash on January 26, 2017 at 7:43pm — 2 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on January 7, 2017 at 8:46pm — 12 Comments
Added by Mahendra Kumar on January 6, 2017 at 3:30pm — 7 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on December 30, 2016 at 8:43pm — 11 Comments
मैं भुला देना चाहता हूँ
झिलमिल सितारों को
झूमती बहारों को
सावन के झूलों को
महकते हुए फूलों को
मौसमी वादों को
पक्के इरादों को
नर्म एहसासों को
बहके जज़्बातों को
सोंधी सी ख़ुशबू को
कोयल की कू को
नाचते हुए मोर को
नदियों के शोर को
चाँदनी रातों को
मीठी-मीठी…
Added by Mahendra Kumar on December 28, 2016 at 1:30pm — 10 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on December 28, 2016 at 10:55am — 10 Comments
आएगा नया साल
खिलेंगे नये फूल
उगेगा नया सूरज
फैलेगी नयी रौशनी
छंटेगा अँधेरा
सजेगी महफ़िल
गायेंगी वादियाँ
बजेंगी चूड़ियाँ
झूमेगा आसमाँ
नाचेगी धरती
उड़ेगा आँचल
हँसेगा बादल
सच होंगे सपने
मिलेंगी ख़ुशियाँ
मुड़ेंगी राहें
आएगी मंज़िल
मगर...
सिर्फ औरों के लिए
मेरे लिए
तो अब भी वही साल है
कई सालों बाद भी
सड़न और सीलन से युक्त
दुर्गन्ध से भरा हुआ
तड़पता
उदास
बीमार
और बोझिल…
Added by Mahendra Kumar on December 26, 2016 at 9:00pm — 6 Comments
तुम क्या हो?
किसी समुद्री मछली के उदर में
किसी ब्रह्मचारी के पथभ्रष्ट शुक्राणु का अंश मात्र
किन्तु उसका निषेचन?
अभी बहुत समय बाकी है उसमे
बहुत.....
हे प्रिये!
बुरा नहीं स्वयं को सर्वश्रेष्ठ समझना
अमरत्व का दिवा-स्वप्न भी बुरा नहीं
किन्तु समझना आवश्यक है
यह जान लेना आवश्यक है कि
अमर होने ने लिए मरण आवश्यक है
मरण हेतु जन्म अति आवश्यक
फिर तुम्हें तो अभी जन्म लेना है
जन्म लेने से पूर्व…
ContinueAdded by योगराज प्रभाकर on December 14, 2016 at 12:42pm — 7 Comments
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