तनाव की लिखावटें...
अक्सर अजीब होती हैं ...
काँपती सी और कुछ उलझी हुई..
उनमें कहीं कहीं शब्द छुट जाते हैं ..
कटिंग होती है..
और सहायक क्रिया नहीं होती है
सबसे अजीब होता है ..
सपनों का मरना ..…
Added by Amod Kumar Srivastava on June 26, 2013 at 4:30pm — 7 Comments
रथ-वाहन हन हन बहे, बहे वेग से देह ।
सड़क मार्ग अवरुद्ध कुल, बरसी घातक मेह ।
बरसी घातक मेह, अवतरण गंगा फिर से ।
कंकड़ मलबा संग, हिले नहिं शिव मंदिर से ।
करें नहीं विषपान, देखते मरता तीरथ ।
कैसे होंय प्रसन्न, सन्न हैं भक्त भगीरथ ॥
मौलिक / अप्रकाशित
Added by रविकर on June 26, 2013 at 3:58pm — 6 Comments
बहरे रमल मुसमन महजूफ
2122, 2122, 2122, 212
पापियों के पाप से देखो धरा भरने लगी
अब बगावत जिंदगी से मौत है करने लगी,
ढोंगियों की भीड़ है अपराधियों का राज है,
सत्यता इंसानियत इंसान में मरने लगी,
रंग बदला रूप बदला और…
ContinueAdded by अरुन 'अनन्त' on June 26, 2013 at 2:43pm — 20 Comments
रुष्ट-त्रिसोता त्रास दी, खोले नेत्र त्रिनेत्र |
बदी सदी से कर गए, सोता पर्वत क्षेत्र |
सोता पर्वत क्षेत्र, बहाना कुचल डालना |
मरघट बनते घाट, शांत पर महाकाल ना |
शिव गंगा का रार, झेल के जग यह रोता |
नहीं किसी की खैर, त्रिलोचन रुष्ट त्रिसोता ||
त्रिसोता= गंगा जी
मौलिक/ अप्रकाशित
Added by रविकर on June 26, 2013 at 12:00pm — 6 Comments
आज हर ओर खुदी है सड़क
खड्डों मिट्टी की है भरमार
क्योंकि चुनाव को रह गया है एक साल
इसलिए हरेक नेता जी को
सड़क अब टूटी नज़र आने लगी है
अपनी बेरूख़ी जनता अब भाने लगी है
अब सफाई वाला ,कूड़ा उठाने वाला हाज़िरी लगाने लगे…
ContinueAdded by Sarita Bhatia on June 26, 2013 at 10:00am — 22 Comments
क्या विधि लिखूँ सत्य वह …!
जिसका विधान न हो!
न अनुनय के शब्द रहे
तेरी प्रार्थना रिक्त रहे
और प्रार्थी का तुझ
सम्मुख; कोई मान न हो
क्या विधि लिखूँ सत्य वह…
ContinueAdded by वेदिका on June 26, 2013 at 2:30am — 26 Comments
सबको बरसात अच्छी लगती है
किन्तु कब तक ये अच्छी लगती है।
कम दिनों के लिये सुहानी है
थोडी-थोडी पडे तो पानी है
ज्यादा तो मौत की कहानी है
इसकी कुछ बात अच्छी लगती है
सबको बरसात अच्छी लगती है .......।
सब नदी-नाले ये चलाती है
रास्ते भी यही बनाती है
हमको चलना यही सिखाती है
हर मुलाक़ात अच्छी लगती है
सबको बरसात अच्छी लगती है........
पेड-पौधों का सबका कहना है
साथ इसके सभी को रहना…
ContinueAdded by सूबे सिंह सुजान on June 25, 2013 at 11:30pm — 14 Comments
पुष्प से सुन्दर,कोमल हृदय में
लिए एक मधुर-सी- आकांक्षा।
सुन्दर होंगे क्षण प्रिय-मिलन के ,
सदा करती हूँ तुम्हारी प्रतीक्षा।
मेरे इस जीवन का एकमात्र
सुन्दर-मधुर स्वप्न हो तुम।
जिसे अब तक नहीं जानती मैं,
मेरे वो अज्ञात प्रियतम हो तुम।
तुम्हारे दर्शन को व्याकुल आत्मा।
सदा करती हूँ तुम्हारी प्रतीक्षा।
तुम स्वप्न हो मेरे जीवन का,
अनुपम आनंद देती ये कल्पना।
पर उस क्षण मैं जाती हूँ काँप,
जब पाती हूँ तुम्हें केवल सपना।
कैसे…
Added by Savitri Rathore on June 25, 2013 at 9:03pm — 10 Comments
खा खाकर मोटी हुई,जैसे मोटी भैंस !
मै दुबला होता गया ,मेरे धन पे ऐश !!
सुबह शाम गाली सुनूँ ,हरदम करती चीट !
धोबी का सोटा उठा ,अक्सर देती पीट !!
मै घर का नौकर बना ,झेलूँ बस उपहास !
रूठ विधाता भी गये,जाऊं किसके पास !!…
Added by ram shiromani pathak on June 25, 2013 at 8:30pm — 48 Comments
सत्ता मद में चाहिए, येन केन बस वोट,
गधे तो कहे बांप तो,उसमे क्या है खोट |
उसमे क्या है खोट, जो नित भार ही ढोता
सत्ता का वह मीत, बोलता जैसे तोता
जीत पर बदल आँख,बता जनता को धत्ता,
नेता की क्या साख, मिले कैसें भी सत्ता |
(२)
गंगा जल में छुप गये,झट से भोले नाथ,
केदारनाथ धाम में,…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 25, 2013 at 4:00pm — 19 Comments
खानापूरी हो चुकी, गई रसद की खेप ।
खेप गए नेता सकल, बेशर्मी भी झेंप ।
बेशर्मी भी झेंप, उचक्कों की बन आई ।
ज़िंदा लेते लूट, लाश ने जान बचाई ।…
ContinueAdded by रविकर on June 25, 2013 at 3:30pm — 13 Comments
!! मेरी लाडो !!
“ मेरी लाडो ” समर्पित है उन तमाम बहन बेटियो को जो किसी न किसी हादसो के कारण से अपने वजूद अपने अस्तिव को भुला चुकी है या फिर हार मानके अपनी किस्मत को दोष दे रही है । ये एक प्रयास है…
ContinueAdded by बसंत नेमा on June 25, 2013 at 2:30pm — 18 Comments
मन्त्रमुग्ध
जाने हमारे कितने अनुभवों को आँचल में लिए
ममतामय पर्वतीय हवाएँ गाँव से ले आती रहीं
रह-रह कर आज सुगन्धित समृति तुम्हारी...
तुम्हारी रंगीन सुबहों की स्वर्णिम रेखाएँ
बिछ गईं थी तड़के आज आँगन में मेरे
कि जैसे झुक गई थीं पलकें उषा की सम्मानार्थ,
विकसित हुए फूल हँसते-हँसते मन-प्राण में मेरे।
खुशी में तुम्हारी मैं फूला नहीं समाता, यह सच है,
सच यह भी, कि मन में मेरे रहती है सोच तुम्हारी…
ContinueAdded by vijay nikore on June 25, 2013 at 7:30am — 28 Comments
भक्तों के मुख मलिन हैं ,पूजा-गृह में गर्द ,
प्रभु अपने किससे कहें देव-भूमि का दर्द !
हुई न ऐसी त्रासदी जैसी है इस बार ,
प्रभु ने झेली आपदा बदरी क्या केदार !
बादल,बारिश,मृत्यु के कारण बने पहाड़ ,
धरती काँपी,मनुज के थर-थर काँपे हाड़…
ContinueAdded by प्रो. विश्वम्भर शुक्ल on June 24, 2013 at 10:30pm — 13 Comments
छटपटाया बहुत चाँद
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रात बारिश बहुत जोर की थी प्रिये
देख चेहरा तेरा चाँद में खो गया…
ContinueAdded by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on June 24, 2013 at 10:30pm — 19 Comments
मै खड़ा हूँ यूँ बांहों को खोले हुए
मेरी बाँहों में आने का वादा करो
मै जहाँ ये भुला दूँगा सुन लो मगर
मुझको दिल में बसाने का वादा करो
मै जो अब तक अकेला हूँ जीता रहा
धुंधले ख्वाबों को आँखों से सीता रहा
ये जो कोरी पड़ी है मेरी जिंदगी
रंग अपना चढ़ाने का वादा करो
मै खड़ा हूँ यूँ बांहों को खोले हुए
मेरी बाँहों में आने का वादा करो
तुम जो रूठी तो तुमको मना लूँगा मै
तुमको पल भर में अपना बना लूँगा मै
मै भी रूठूँगा…
Added by Anurag Singh "rishi" on June 24, 2013 at 6:30pm — 16 Comments
गड़ गड़ करता बादल गर्जा, कड़की बिजली टूटी गाज
सन सन करती चली हवाएं, कुदरत हो बैठी नाराज
पलक झपकते प्रलय हो गई, उजड़े लाखों घर परिवार
पल में साँसे रुकी हजारों, सह ना पाया कोई वार
डगमग डगमग डोली धरती, अम्बर से आई बरसात
घना अँधेरा छाया क्षण में, दिन…
Added by अरुन 'अनन्त' on June 24, 2013 at 3:00pm — 22 Comments
क्या हुआ, कैसे हुआ ..
या हुआ अचानक ..
देखते देखते बदल गया..
स्वयं का कथानक ..
परछईओं ने भी छोड़ दिए ...
अब तो अपना दामन…
ContinueAdded by Amod Kumar Srivastava on June 24, 2013 at 12:30pm — 8 Comments
आदि अनादि अनन्त त्रिलोचन ओम नमः शिव शंकर बोलें
सर्प गले तन भस्म मले शशि शीश धरे करुणा रस घोलें,
भांग धतूर पियें रजके अरु भूत पिशाच नचावत डोलें
रूद्र उमापति दीन दयाल डरें सबहीं नयना जब खोलें
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Added by अरुन 'अनन्त' on June 24, 2013 at 10:59am — 23 Comments
तपत तलैया तल तरल, तक सुर ताल मलाल ।
ताल-मेल बिन तमतमा, ताल ठोकता ताल ।
ताल ठोकता ताल, तनिक पड़-ताल कराया ।
अश्रु तली तक सूख, जेठ को दोषी पाया ।…
ContinueAdded by रविकर on June 24, 2013 at 9:30am — 6 Comments
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