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ऊदा देवी

प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अनेक वीर नारियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया था| इस प्रथम स्वाधीनता संग्राम में देश के सभी वर्गों ने अपनी-अपनी हैसियत के अनुसार उसमे योगदान देने में अपना पूरा सहयोग दिया| इस संग्राम में भाग लेने वाली नारियों ने अपने धर्म जाति की परवाह किए बिना अपने त्याग और बलिदान की एक अनोखी मिशाल पेश की और आने वाली पीढ़ियो के लिए मार्गदर्शक बनी| प्रथम भारतीय विद्रोह की सबसे अधिक ध्यान देने वाली बात यह है कि इसमें केवल शाही राजघरानो या कुलीन पृष्ठभूमि वाली नारियों ने ही भाग नहीं लिया था…

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Added by PHOOL SINGH on July 19, 2020 at 3:30am — No Comments

अहसास की ग़ज़ल :मनोज अहसास

2×15

इतने दिन तक साथ निभाया उतना ही अहसान बहुत.

दिल का क्या है, ख़ाली घर था, थे इसमें अरमान बहुत.

हैरानी से पूछ रहा था इक बच्चा नादान बहुत,

गर्मी के मौसम में ही क्यों आते हैं तूफान बहुत.

हद से ज्यादा देखभाल का कोई लाभ नहीं पाया,

मेरे हाथों मेरे घर का टूट गया सामान बहुत.

ऐसे ऐसे मोड़ हमारे रस्ते में आये यारो,

जिनमें फंसकर लगने लगा था जालिम है भगवान बहुत.

फिर इक दिन वो मुझसे मिलकर दिल की बात…

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Added by मनोज अहसास on July 18, 2020 at 11:50pm — 5 Comments

भाई बहिन का सतरंगी प्यार

इंद्रधनुष के रंगों जैसा ,

भाई बहन का प्यार।

भाई बहिन के रिश्ते के,

सात रंग आधार।।

बैंगनी जामुन के जैसे,

मीठा, कसैला इनका प्यार।

कभी झगड़ते ,कभी लुटाते,

बरबस एक दूजे पर प्यार।।

गहरे नीले स्याही के दाग़,

एक दूजे पर डाला करते।

बेवजह चिड़ाते एक दूजे को,

मन ही मन फिर पछताते।।

नीले नीले आसमान को,

बचपन में साथ निहारा करते।

कभी कभी तो रातों में बस,

आसमान में तारे गिनते।।।

हरे भरे घर - परिवार…

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Added by Neeta Tayal on July 18, 2020 at 4:34pm — 4 Comments

ससुराल और मायका

ससुराल और मायके के बीच ,

दो गलियां भी मीलों दूरी है।

एक शहर में ससुराल मायका,

फिर भी लंबी दूरी है।।

ससुराल से मायके जाने में,

इंतजार बहुत जरूरी है।

मायके जाने के लिए,

घरवालों की परमिशन भी जरूरी है।।

जब भी मां का फोन आए,

बार बार बस ये कहती है।

बहुत दिन हो गए अबकी,

तुझसे मिलने की इच्छा मेरी है।।

कैसे आ जाऊं मैं मम्मी,

बच्चों की पढ़ाई चल रही है।

घर के सारे कामों की,

जिम्मेदारी भी तो मेरी…

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Added by Neeta Tayal on July 18, 2020 at 4:32pm — 2 Comments

ग़ज़ल- हाँ में हाँ लोग जो होते हैं मिलने वाले

2122  1122  1122  22

हाँ में हाँ लोग जो होते हैं मिलाने वाले

हैं पस-ए पुश्त मियाँ ज़ुल्म वो ढाने वाले

अपने चहरे के उन्हें दाग़ नज़र आ जाते

देखते ख़ुद को जो आईना दिखाने वाले

पाप धुलते नहीं इस तरह बता दो उनको

हैं जो कुछ लोग ये गंगा में नहाने वाले

हो क़फ़स लाख वो फ़ौलाद का लेकिन यारो

रोक सकता नहीं उनको जो हैं जाने वाले

आपसे वादा निभाएँगे भला वो कैसे

वादा ख़ुद का न कभी ख़ुद से निभाने वाले

आप…

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Added by नाथ सोनांचली on July 18, 2020 at 4:30pm — 14 Comments

ग़ज़ल ( हद में कभी थे हद से गुज़रना पड़ा हमें.....)

(221 2121 1221 212)

हद में कभी थे हद से गुज़रना पड़ा हमें

कई बार जीने के लिए मरना पड़ा हमें

शेरों की माँद में भी कभी बेहिचक गए

दौर-ए-रवाँ में चूहों से  डरना पड़ा हमें

आकर समेटता है हमें वो ही बारहा

हर बार टूटते ही बिखरना पड़ा हमें

आए नहीं वो कल भी तो हर बार की तरह

वादे से अपने आज मुकरना पड़ा हमें

मंज़िल भी होती पाँव के नीचे मगर सुनो

उसके लिए रस्ते में ठहरना पड़ा हमें

होते कहीं पे हम भी…

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Added by सालिक गणवीर on July 18, 2020 at 7:00am — 6 Comments

दिल को झिंझोड़ा नहीं कभी- गजल

मापनी 

२२१/२१२१/१२२१/२१२१/२

पकड़ा किसी का हाथ तो छोड़ा नहीं कभी. 

जोड़ा जो रिश्ता प्यार का तोड़ा नहीं कभी. 

  

महँगा पड़ा है झूठ से लड़ना हमें मगर,

घुटनों को उसके सामने मोड़ा…

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Added by बसंत कुमार शर्मा on July 17, 2020 at 9:33pm — 4 Comments

अच्छे दिन - लघुकथा -

अच्छे दिन - लघुकथा -

"गुड्डू, लो देखो मैं तुम्हारे लिये कितनी सारी ज्ञान वर्धक जानकारी की पुस्तकें लाया हूँ।"

"दादा जी, आप कहाँ से लाये और कैसी पुस्तकें हैं? आप तो पार्क में टहलने गये थे।"

"हाँ बेटा, वहीं पार्क के गेट के बाहर फुटपाथ पर एक लड़का पुस्तकें, पत्रिकायें, समाचार पत्र आदि बेचता है। शिक्षाप्रद कहाँनियों की पुस्तकें हैं|"

"क्या इससे उसका गुजारा हो जाता है?"

"बेटा, वह एम ए, बी एड है, लेकिन नौकरी नहीं है। अतः इसके साथ ही वह लोगों के पानी, बिजली और…

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Added by TEJ VEER SINGH on July 17, 2020 at 11:26am — 2 Comments

पर्याय(लघुकथा)

सोनी अब क्या करेगी? नेवला तो उसके सांपों को खाता जा रहा है।' चुनचुन ने मुनमुन चिड़िया से पूछा।

' खायेगा ही,खाता जाएगा।' मुनमुन बोली।

' फिर? अब तो सोनी के द्वारा पंछियों के नुचवाये पंख भी उगने लगे हैं।' चुन चुन बोली।

' उगेंगे। नई पौध भी पनप रही है,लाल टेस अंखुओं वाली।' मुनमुन बोली।

' वो तो है,मुनमुन।पर इस सोनी का क्या करें?आए दिन इसके हंगामे बढ़ रहे हैं;कभी हंसों पर वार,तो कभी कौवों पर।बस गिरगिट पिछलग्गू बने हुए हैं।' चुन चुन चिढ़ कर बोली।

' लंबी पारी है, चुन चुन।कुछ भी हो…

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Added by Manan Kumar singh on July 17, 2020 at 8:49am — 2 Comments

मन की सुंदरता बलवान

तन की सुंदरता तो प्यारे,

कुछ दिन की है मेहमान।

सुन्दर गोरी चमड़ी से ज्यादा,

मन की सुंदरता है बलवान।।

मन विकार मुक्त तुम रखकर,

त्यागो अपना अहं अज्ञान।

मृदुभाषी सौहाद्र व्यवहार से,

बना लो अपनी छवि महान।।

तन हो सुन्दर और मन हो मैला,

मेले में भी रह जाएगा अकेला।

जीवन हो जाएगा बोझिल,

खुशियां हो जाएंगी सब ओझिल।।

जब पंचतत्व में मिल जाएगा,

नश्वर शरीर तेरा नादान।

सद्व्यवहार सद्गुणों से तेरी,

ख्याति…

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Added by Neeta Tayal on July 17, 2020 at 7:00am — 3 Comments

पनघट के दोहे- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पनघट पोखर बावड़ी, बरगद पीपल पेड़

उनकी बातें कर न अब, बूढ़े मन को छेड़।१।

**

जिस पनघट व्याकुल कभी, बैठे थे हर शाम

पुस्तक में ही शेष अब, लगता उस का नाम।२।

**

पनघट सारे खा गया, सुविधाओं का खेल

फिर भी सुख से हो सका, नहीं हमारा मेल।३।

**

पीपल देखे गाँव का, बीते कितने साल

कैसा होगा क्या पता, अब पनघट का हाल।४।

**

पथिक ढूँढ नव राह तू, अगर बुझानी प्यास

पनघट ही जब ना रहे, क्या गोरी की आस।५।

**

सब मिल पनघट थीं कभी, बतियाती चित खोल

घर- घर नल…

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Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 16, 2020 at 9:59am — 13 Comments

आग में जलना नहीं आया.- ग़ज़ल

 मापनी १२२२ १२२२ १२२२ १२२२ 

कभी रुकना नहीं आया कभी चलना नहीं आया. 

हमें हर एक साँचें में कभी ढलना नहीं आया. 

बहारों में ये सहरा भी गुलिस्ताँ बन गया होता,

किसी दरिया समंदर को उसे छलना नहीं आया. 

जो बाहर ख़ूब  फूले हैं…

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Added by बसंत कुमार शर्मा on July 15, 2020 at 9:00am — 9 Comments

देख लिया न

सुनते आए थे कि घूरे के …

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Added by amita tiwari on July 15, 2020 at 3:30am — 1 Comment

बेगम हज़रत महल

बेगम हज़रत महल भारतवर्ष की आज़ादी में कई सारे क्रांतिकारी वीर-वीरांगनाओं ने अपना पूरा योगदान दिया | यहाँ तक कि भारत माँ के सम्मान, स्वाभिमान और इसकी आजादी को बचाने के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया| बेगम हज़रत महल का व्यक्तित्व उस समय भारतीय समाज की सामंत मान्यताओ में बंधी नारी शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है | ऐसे में रानी लक्ष्मीबाई का चरित्र हमारे समाज की सशक्त महिला व देवी तुल्य भाव को प्रदर्शित करता है| सोचने की बात यह है कि अलग-अलग परिस्थितियों से आई दोनों नारियाँ कैसे समाज में एक आदरणीय…

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Added by PHOOL SINGH on July 14, 2020 at 4:02pm — 3 Comments

मंत्री का कुत्ता - लघुकथा -

मंत्री का कुत्ता - लघुकथा -

मेवाराम अपने बेटे की शादी का कार्ड देने मंत्री शोभाराम जी की कोठी पहुंचा। दोनों ही जाति भाई थे तथा रिश्तेदार भी थे। मेवाराम यह देख कर चौंक गया कि मंत्री जी के बरामदे में शुक्ला जी का पालतू कुत्ता बंधा हुआ था।अचंभे की बात यह थी कि शुक्ला और मंत्री जी एक ही पार्टी में होते हुए भी दोनों  एक दूसरे के कट्टर विरोधी थे।

मेवाराम को यह बात हज़म नहीं हुई। उसके पेट में गुड़्गुड़ होने लगी।इस राज को जानने को वह  उतावला सा हो गया।

आखिरकार चलते चलते उसने मंत्री…

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Added by TEJ VEER SINGH on July 14, 2020 at 11:02am — 4 Comments

सेज पर बिछने को होते फूल जैसे पर - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२१२२/२१२२/२१२२/२



हम जरूरत के लिए विश्वास जैसे हैं

नाम पर सेवा के लेकिन दास जैसे हैं।१।

**

सेज पर बिछने को होते फूल जैसे पर

वैसे पथ के  पास  उगते  घास जैसे हैं।२।

**

है हमारा मान केवल जेठ जैसा बस

कब  तुम्हारे  वास्ते  मधुमास जैसे हैं।३।

**

दूध लस्सी  धी  दही  कब  रहे तुमको

कोक पेप्सी से बुझे उस प्यास जैसे हैं।४।

**

रोज हमको हो निचोड़ा आपने लेकिन

स्वेद भीगे हर  किसी …

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Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 14, 2020 at 10:01am — 10 Comments

प्यार से भरपूर हो जाना- ग़ज़ल

 मापनी १२२२ १२२२ १२२२ १२२२ 

बहुत आसान है धन के नशे में चूर हो जाना, 

बड़ा मुश्किल है दिल का प्यार से भरपूर हो जाना.  

 

अगर वो चाहता कुछ और होना तो न था मुश्किल,

मगर मजनूँ को भाया इश्क में मशहूर हो जाना. 

 

भले दो गज जमीं थी गॉंव में अपने मगर खुश…

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Added by बसंत कुमार शर्मा on July 13, 2020 at 5:59pm — 6 Comments


सदस्य कार्यकारिणी
ज़िन्दगी गर मुझको तेरी आरज़ू होती नहीं(ग़ज़ल)

2122 2122 2122 212

ज़िन्दगी गर मुझको तेरी आरज़ू होती नहीं

अपनी सांसों से मेरी फिर गुफ़्तगू होती नहीं

गर तड़प होती न मेरे दिल में तुझको पाने की

मेरी आँखों में, मेरे ख्वाबों में तू होती नहीं

उम्र गुज़री है यहाँ तक के सफ़र में, दोस्तो!

पर ये वो मंज़िल है, जिसकी जुस्तजू होती नहीं

ये जहाँ गिनता है बस कुर्बानियों की दास्ताँ

जाँ लुटाये बिन मुहब्बत सुर्ख-रू होती नहीं

दोस्तों के दिल मुनव्वर जो नहीं होते 'शकूर'

रौशनी भी…

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Added by शिज्जु "शकूर" on July 13, 2020 at 1:09pm — 9 Comments

रानी अच्छन कुमारी

       भारतवर्ष के इतिहास में पृथ्वीराज चौहान को अपने समय का सबसे बड़ा योद्धा माना जाता है| जिसकी वीरता के किस्से उस समय पूरे भारत में गूंज रहे थे| पृथ्वीराज चौहान अजमेर राज्य का स्वामी बना तो उसके चाचा पृथ्वीराज को चौहान राज्य का वास्तविक अधिकारी नहीं मानते थे। इसी कारण पृथ्वीराज के चाचा अपरगांग्य ने पृथ्वीराज के विरुद्ध विद्रोह कर दिया तो पृथ्वीराज ने अपने चाचा को परास्त कर उसकी हत्या कर दी। इस पर पृथ्वीराज के दूसरे चाचा व अपरगांग्य के छोटे भाई नागार्जुन ने…

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Added by PHOOL SINGH on July 13, 2020 at 12:09pm — 4 Comments

महब्बतों में मज़ा भी नहीं रहा अब तो (ग़ज़ल - शाहिद फ़िरोज़पुरी)

बह्रे मुजतस मुसम्मन मख्बून महज़ूफ मक़्तूअ'

1212 / 1122 / 1212 / 22

क़रार-ए-मेहर-ओ-वफ़ा भी नहीं रहा अब तो

महब्बतों में मज़ा भी नहीं रहा अब तो [1]

जहाँ से मुझको गिला भी नहीं रहा अब तो

मलाल इसके सिवा भी नहीं रहा अब तो [2]

ख़बर जहान की तुम पूछते हो क्या यारो

मुझे कुछ अपना पता भी नहीं रहा अब तो [3]

जिसे सँभाल के रक्खा था इक निशानी सा

मेरा वो ज़ख़्म हरा भी नहीं रहा अब तो [4]

है बेवफ़ाई में उसकी ग़ज़ब की…

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Added by रवि भसीन 'शाहिद' on July 13, 2020 at 12:00am — 8 Comments

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