For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

VISHAAL CHARCHCHIT
  • Male
  • MUMBAI
  • India
Share on Facebook MySpace

VISHAAL CHARCHCHIT's Friends

  • Nilesh Shevgaonkar
  • Alok Mittal
  • Priyanka singh
  • आशीष नैथानी 'सलिल'
  • लोकेश सिंह
  • seema agrawal
  • राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
  • deepti sharma
  • कुमार गौरव अजीतेन्दु
  • SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR
  • praveen
  • लक्ष्मण रामानुज लडीवाला
  • pardeep yadav
  • विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी
  • Kiran Arya
 

VISHAAL CHARCHCHIT's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
MUMBAI
Native Place
PRATAPGARH (UP)
Profession
GRAPHIC DESIGNER & COPYWRITER
About me
KAVI - SHAYAR & VYANGYKAAR

VISHAAL CHARCHCHIT's Blog

एक गजल

दरिया रहा कश्ती रही लेकिन सफर तन्हा रहा

हम भी वहीं तुम भी वहीं झगड़ा मगर चलता रहा

साहिल मिला मंजिल मिली खुशियां मनीं लेकिन अलग

खामोश हम खामोश तुम फिर भी बड़ा जलसा रहा

सोचा तो था हमने, न आयेंगे फरेबे इश्क में

बेइश्क दिल जब तक रहा इस अक्ल पर परदा रहा

शिकवे हुए दिल भी दुखा दूरी हुई दोनों में पर

हर बात में हो जिक्र उसका ये बड़ा चस्का रहा

छाया नशा जब इश्क का 'चर्चित' हुए कु्छ इस कदर

गर ख्वाब में…

Continue

Posted on June 3, 2014 at 2:30pm — 13 Comments

कुछ दोहे आज के हालात पर (भाग - 2)

रट्टू तोते की तरह, क्यों रटते दिन रात

दादा जी का नाम भी, गूगल पर मिलि जात



त्रेता के सज्जन कहैं, सबके दाता राम

कलियुग के ढोंगी कहैं, हमरे आशाराम



दिन भर आगे सेठ के, डरि के दुम्म हिलायँ

साँझ ढले पव्वा लगै, अउर शेर हुइ जायँ



हफ्ते में तो चार दिन, काटैं मदिरा माँस

बाकी के कुल तीन दिन, धरम करम उपवास



अबला से सबला हुई, नाच नचावैं आज

बाबू जी की खोपड़ी, बजा रहीं ज्यों साज



गुरु से चेला बीस अब, देय रहा है…

Continue

Posted on April 9, 2014 at 10:59pm — 18 Comments

कुछ दोहे आज के हालात पर

छप्पन व्यंजन खाय के,भरा पेट कर्राय

तब टीवी की खबर पर, 'देश प्रेम' चर्राय

नेता उल्लू साधते, आपन गाल बजाय

जनता देखय फायदा, बातन में आ जाय

जोड़-तोड़ बनि जाय जो, दोबारा सरकार

लूट-पाट होने लगे, बढ़ता भ्रष्टाचार

महंगाई जस जस बढ़ै, व्यापारी मुस्कायँ,

जैसे आवय आपदा, फौरन दाम बढ़ायँ

पत्रकारिता बिक गयी, कलम करे व्यापार

समाचार के दाम भी, माँग रहे अखबार

कामकाज को टारि के, बाबू गाल बजायँ

देश तरक्की…

Continue

Posted on March 26, 2014 at 1:00pm — 14 Comments

दीपावली पर ओबीओ के लिये शुभकामना

छंदों के दीप जलें, शायरी की झिलमिल हो

हँसी खुशी भरी सदा, ओबिओ की महफिल हो

साहित्य करे उन्नति, भाषा का विकास हो

इस मंच पर सदा-सदा स्नेह का प्रकाश हो

सभी विधाओं का सभी दिशाओं में उत्थान हो

सभी नयी प्रतिभाओं के लिये यहां मुस्कान हो

समस्त लक्ष्य - योजना व स्वप्न साकार हो

आने वाले पल के सदा हाथ में उपहार हो

दीपावली की 'चर्चिती शुभकामना' फलीभूत हो

इस मंच के सभी प्रयास सफल व अनुभूत हों

(मौलिक एवं…

Continue

Posted on November 3, 2013 at 2:00pm — 16 Comments

Comment Wall (8 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 9:42am on April 4, 2013, लक्ष्मण रामानुज लडीवाला said…

बहुत खूब भाई श्री विशाल चर्चित जी उम्दा गजल के लिए बधाई -

दिल ये चर्चित का यूं ही बडा शोख है
देख लो आप ही इसको भडका रहे - 

At 1:07am on September 30, 2012, SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR said…

चल मिलें मिलकर छुएं
हम प्रेम का चरमोत्कर्ष,
चल करें अनुभव सभी
आनंद एवं सारे हर्ष,
आ चलें हम साथ मिलकर
प्रेम के उस पार अब....

प्रिय विशाल जी इस प्यारी सशक्त और खूबसूरत रचना के माह के सर्वश्रेष्ठ रचना चुने जाने पर बधाई ,,,..बहुत सुन्दर सन्देश  .....अपने जिले बेल्हा देवी के प्रांगण से (प्रतापगढ़ ) पा मन को और ख़ुशी हुयी ढेर सारी शुभ कामनाएं  

अपना स्नेह बनाये रखें 
भ्रमर ५ 
प्रतापगढ़ साहित्य प्रेमी मंच
भ्रमर का दर्द और दर्पण 
जय श्री राधे 

 

At 9:37am on September 18, 2012, Abhinav Arun said…

स्वागत विशाल जी आप अपनी विशाल ख़याल की रचनाओं के माध्यम से और चर्चित हों ! हार्दिक शुभकामनाएं !!

At 10:22pm on September 3, 2012, विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी said…
आपकी रचना ' आ प्रिय कि प्रेम का हो नया श्रृंगार अब ' को महीने की सर्वश्रेष्ट रचना चुने जाने पर आपको हार्दिक बधाई विशाल जी
At 11:37am on September 2, 2012, Abhinav Arun said…

इस सशक्त रचना को महीने की श्रेष्ठ रचना का पुरस्कार के लिए चुने जाने पर हार्दिक बधाई आपको  आदरणीय श्री विशाल चर्चित जी ! आपकी की इस रचना में भाव प्रवाह मन्त्र मुग्ध करने वाला है !!

At 11:13pm on September 1, 2012,
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
said…

भाई गणेशजी, इस रचना पर अभी-अभी अपनी प्रतिक्रिया दी है हमने. अद्भुत प्रवहमन रचना है यह.  इस तरह की रचनाएँ हिन्दी भाषा में हो रहे प्रयासों के प्रति आश्वस्त करती हैं.

रचनाकार विशाल चर्चित जी को हार्दिक बधाई..

At 10:58pm on September 1, 2012,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय विशाल चर्चित जी ,

सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की रचना "

आ प्रिये कि प्रेम का हो एक नया श्रृंगार अब.

" को महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना (Best Creation of the Month) पुरस्कार के रूप मे सम्मानित किया गया है, तथा आप की छाया चित्र को ओ बी ओ मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया गया है | इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे |

आपको पुरस्कार राशि रु ५५१ और प्रसस्ति पत्र शीघ्र उपलब्ध करा दिया जायेगा, इस नामित कृपया आप अपना नाम (चेक / ड्राफ्ट निर्गत हेतु) , Bank A/C Details तथा पत्राचार का पता व् फ़ोन नंबर

admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध कराना चाहेंगे |
शुभकामनाओं सहित


आपका
गणेश जी "बागी"

At 7:13pm on January 16, 2012, Admin said…

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
3 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
15 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service