For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Mukesh Kumar Saxena
  • Male
Share on Facebook MySpace

Mukesh Kumar Saxena's Friends

  • गिरिराज भंडारी
  • कुमार गौरव अजीतेन्दु
  • SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR
  • मनोज कुमार सिंह 'मयंक'
  • CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU'
  • आशीष यादव
 

Mukesh Kumar Saxena's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Jammu
Native Place
Haridwar
Profession
govt Job

आँसू

आँसू

तमन्ना है तुम्हारी आँख का आँसू मैं बन जाऊ .
                              तेरे दामन को भिगो दूं उसी में ज़ज़्ब हो जाऊ.

जन्म लूँ आँख में तेरी बहू मैं गाल पे तेरे.

तेरे होठो को छू लूँ मैं होंठ छूते ही मर जाऊ
तमन्ना है तुम्हारी आँख का आँसू
मैं बन जाऊ .

अगर मैं आँख में निकलू नज़ारे धुँधले हो जाए .
मुझे ही देख पाओ तुम तुम्हें मैं ही नज़र आऊ.
तमन्ना है तुम्हारी आँख का आँसू
मैं बन जाऊ .

कभी ऐसा भी हो निकलू मैं और पलकें बंद तुम कर लो.
अंधेरा हो घना और मैं सुख की नींद सो जाऊ .

तमन्ना है तुम्हारी आँख का आँसू
मैं बन जाऊ .

Mukesh Kumar Saxena's Blog

ऐ मेरी मुश्किलों सब मिलके मेरा सामना करो

ऐ  मेरी  मुश्किलों  सब मिलके   मेरा सामना करो

 

मै  अकेला ही  बहुत हूँ  तुमसे निबटने के लिए ,

ऐ मेरी मुश्किलों सब मिलके मेरा…

Continue

Posted on May 24, 2013 at 9:30pm — 5 Comments

मुझको सरल बनाइये ।

पाषाण सा मैं कठोर हूँ मुझको तरल बनाइये । 

मेरे छल कपट को छीन कर मुझको सरल बनाइये ।

मुझे शक है अपने आप पर बिश्वास भी खुद पर नहीं । 

मेरी पकड़ भी कमजोर है हाथों में  मेरे बल नहीं…

Continue

Posted on March 7, 2013 at 11:09am — 7 Comments

राम या राम चन्द्र

दोस्तों ।



आज विजय दशमी है आज के दिन राम ने रावण को मारा था । यह एक मधुर कल्पना है की चाँद किस प्रकार खुद को राम के हर कार्य से जोड़ लेता है और फिर राम से शिकायत करता है और राम भी उस की बात से सहमत हो कर उसे वरदान दे बैठते है आइये देखते है ।

राम या राम चन्द्र

जब चाँद का धीरज छुट गया…

Continue

Posted on October 24, 2012 at 1:00pm — 4 Comments

गीत

दोस्तों आज़ादी की इस पवित्र वेला में मै आज वहुत दिनों के बाद अपनी उपस्थिति दर्ज करवा  रहा हूँ । और क्यों की आज हम आज़ादी के 65 वर्ष पूरे करके 66 वर्ष में प्रवेश कर रहे है । मै इस झंझट में विल्कुल नहीं पडूंगा की हमने क्या खोया क्या पाया। मै तो एक दृश्य और उस पर लिखे अपने एक गीत को आप के साथ बाँटना चाहता हूँ।…

Continue

Posted on August 15, 2012 at 11:30am — 3 Comments

Comment Wall (3 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 5:38pm on March 31, 2013, LOON KARAN CHHAJER said…

Please send  your photo and one poem. our publising date is 12 & 25 day of every Month. Readership is good." Holi ki Rachana ka upyog nahi ho paya" because your massage received  late. Thanks.

lkchhajer@gmail.com

At 12:23am on April 9, 2012, SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR said…

जन्म लूँ आँख में तेरी बहू मैं गाल पे तेरे. 
तेरे होठो को छू लूँ मैं होंठ छूते ही मर जाऊ 
तमन्ना है तुम्हारी आँख का आँसू मैं बन जाऊ . 

मुकेश जी प्रेम में तमन्ना भी अजीब होती हैं निछावर और समर्पण की बहुत खूब ..सुन्दर प्रस्तुति  ..जय श्री राधे 

भ्रमर ५ 


At 9:05pm on December 24, 2011, Admin said…

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
3 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
15 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service