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Mukesh Kumar Saxena's Discussions (22)

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"वो नज़रों से नज़रें ना मिलाएं तो क्या करें । करके नज़रअंदाज़ वो जाएं तो क्या करें । हमस…"

Mukesh Kumar Saxena replied Feb 24, 2018 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-92

649 Feb 24, 2018
Reply by Balram Dhakar

"गुनहगार हूँ ,मैं सज़ा चाहता हूँ । मै राज़ी हूँ तेरी रज़ा चाहता हूँ । तू एक बार मुझको गल…"

Mukesh Kumar Saxena replied May 23, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-59

680 May 23, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"गुनहगार हूँ ,मैं सज़ा चाहता हूँ । मै राज़ी हूँ तेरी रज़ा चाहता ..."

Mukesh Kumar Saxena replied May 23, 2015 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-59

680 May 23, 2015
Reply by मिथिलेश वामनकर

"AAP SHAM PRITSHAT THEEK KAH RAHE HAI MAGAR YEH NIYAMAWALI HI TO KAVITA KA NIRMAN KAR…"

Mukesh Kumar Saxena replied May 28, 2013 to कविता के भाव पर व्याकरण की तलवार क्यों

79 Sep 4, 2013
Reply by Dr Ashutosh Mishra

"इतने बड़े कवियों के बीच में लिखना कोई आसन काम है क्या मगर फिर भी हिम्मत जुटा कर जो ल…"

Mukesh Kumar Saxena replied Jun 10, 2012 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक २० ( Now closed with 1007 Replies )

1007 Jun 10, 2012
Reply by धर्मेन्द्र शर्मा

"श्री मुकेश कुमार सक्सेना जी की रचना रदीफ़ दुरुस्त न होने की वजह से ओबीओ प्रबंधन द्वा…"

Mukesh Kumar Saxena replied Apr 30, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - २२

814 May 1, 2012
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"स्वप्न में न लिप्त हो तू । बात कर न स्वार्थ की । हे मनुज तू थाम के चल, उँगलियाँ यथार…"

Mukesh Kumar Saxena replied Apr 9, 2012 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक १८(Now closed with 1542 replies)

1542 Apr 10, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"एक दिन सपने में मिले मुझे कृष्ण कन्हैया । मैंने हाथ जोड़ कर कहा भैया । तुमने अपने का…"

Mukesh Kumar Saxena replied Apr 9, 2012 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक १८(Now closed with 1542 replies)

1542 Apr 10, 2012
Reply by अरुण कुमार निगम

"बोले मोसे नहि रहू मै जब  सखियन हमजोली में . देख अकेल्ली  मार झपट्टा  रंग लगाबे चोली…"

Mukesh Kumar Saxena replied Mar 7, 2012 to "OBO लाइव महा उत्सव" अंक १७ (Now Closed With 1737 Replies)

1737 Mar 8, 2012
Reply by Saurabh Pandey

"खा लिया कर गम को अपने आंसुओं को पी लिया कर आज तेरे पेट में रोटी नहीं तो क्या हुआ .…"

Mukesh Kumar Saxena replied Feb 28, 2012 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - २०(Now Closed with 906 Replies)

906 Feb 29, 2012
Reply by Rana Pratap Singh

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Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
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Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
16 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
17 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
23 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
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सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
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Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
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सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
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Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
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सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
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